कोरोना वायरस के चलते देशभर में 17 मई तक लॉकडाउन है. 25 मार्च 2020 से शुरू हुआ लॉकडाउन कब खत्म होगा किसी को नहीं पता. इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. लॉकडाउन के कारण उद्योग-कारखाने बंद होने से लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए. दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर बस-गाड़ियां बंद होने के कारण पैदल ही अपने गांवों की तरफ जा रहे हैं. इस तरह की तस्वीर देश के हर राज्य से आ रही है. एक दर्दनाक तस्वीर राजस्थान के भरतपुर से भी आई है.
(File Photo PTI)
एक दिव्यांग मजदूर महिला लाठी के सहारे अपने पति के साथ जयपुर से बरेली के सफर पर निकली है. यह महिला अपने पति के साथ लाठी के सहारे सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके भरतपुर पहुंची. अब इन्हें यहां से बरेली के लिए एक लंबा सफर तय करना है.
(Photo Aajtak)
उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली दिव्यांग महिला सविता अपने पति गुड्डू के साथ बुलंद हौसले से पैदल चले जा रही है. ये लोग सड़क किनारे सहायता कैंप में कुछ देर आराम करते हैं, खाते-पीते हैं, फिर पैदल चल पड़ते हैं अपनी मंजिल की तरफ. सविता पैरों से जरूर दिव्यांग हैं लेकिन इनके कदम मुश्किल हालात में नहीं डगमगा रहे हैं. पति का साथ और लाठी का सहारा सविता को इस कठिन समय और विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने का हौसला देता है.
(Photo Aajtak)
सविता देवी अपने पति गुड्डू के साथ जयपुर में मजदूरी कर रही थीं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये लोग बेरोजगार हो गए. जयपुर में खाने-पीने और रहने के लिए काफी मुसीबत उठानी पड़ रही थी. इन्होंने काफी कोशिश की बरेली जाने के लिए कोई बस या ट्रक मिल जाए. जिससे वो जल्दी से अपने घर पहुंच जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ फिर इन लोगों ने फैसला किया कि जहां सैकड़ों लोग पैदल अपने घर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए.
(Photo Aajtak)
घर लौटते कामगारों की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं. जो देश के हर राज्य से लगातार आ रही हैं. संकट के इस दौर में इन प्रवासी मजदूरों ने जो कष्ट झेला है उसका प्रतिकूल परिणाम आगे आने वाले लंबे समय तक दिखाई देगा. अब इन्हें शहरों की तरफ फिर से लाना बेहद मुश्किल होगा और गांव में उनके लिए रोजगार की व्यवस्था कर पाना सबसे बड़ी चुनौती. हर मजदूर यही बोल रहा है कि अब शहर की तरफ कभी वापस नहीं आएंगे.
(File Photo PTI)