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रूसी वैज्ञानिकों का कमाल, पानी के अंदर तैनात किया 'स्पेस टेलिस्कोप', खोजेगा धरती का सबसे छोटा कण

aajtak.in
  • मॉस्को,
  • 15 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST
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आपने सुना होगा कि अंतरिक्ष की निगरानी के लिए दुनिया भर में कई तरह के टेलिस्कोप लगे हैं. बड़े और अद्भुत ताकतवर. ये टेलिस्कोप स्पेस यानी अंतरिक्ष की निगरानी करते हैं. लेकिन रूस के वैज्ञानिकों ने पहली बार पानी के अंदर ऐसा टेलिस्कोप लगाया है तो जो इनर स्पेस यानी धरती के अंदर और आउटर स्पेस यानी अंतरिक्ष दोनों पर नजर रखेगा. ये उन कणों की खोज करेगा जिनकी वजह से धरती का निर्माण हुआ था. यानी दुनिया के सबसे छोटे कण न्यूट्रीनोस. अगर इन कणों की गतिविधि बढ़ जाए तो काफी नुकसान हो सकता है. इसलिए इनकी निगरानी जरूरी है. (फोटोःगेटी)

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रूस के वैज्ञानिकों ने हाल ही में बैकल झील (Lake Baikal) के अंदर एक बड़ा स्पेस टेलिस्कोप लगाया है. इस टेलिस्कोप को साल 2015 से बनाया जा रहा था. इसका काम है न्यूट्रीनोस (Neutrinos) का पता लगाना. न्यूट्रीनोस दुनिया के सबसे छोटे कण होते हैं. इनकी निगरानी करना या इनकी मात्रा जानना बेहद कठिन है. इसलिए यह टेलिस्कोप लगाया जा रहा है. (फोटोःगेटी)

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वैज्ञानिकों ने इस टेलिस्कोप को बैकल-जीवीडी (Baikal-GVD) नाम दिया है. इसे बैकल झील में 750 से 1350 मीटर यानी 2500 से 4300 फीट नीचे पानी में तैनात किया गया है. यह झील के किनारे से 4 किलोमीटर दूर है. न्यूट्रीनोस (Neutrinos) का पता लगाना अत्यधिक कठिन कार्य है. लेकिन पानी एक ऐसा माध्यम है जिससे इनकी जांच करना आसान हो जाता है. इसलिए टेलिस्कोप पानी के अंदर तैनात किया गया है. (फोटोःगेटी)

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बैकल-जीवीडी (Baikal-GVD) एक स्टील और कांच से बना गोलाकार गोता लगाने वाला टेलिस्कोप है. जिसमें कई सारे तार लगे हैं. बैकल-जीवीडी (Baikal-GVD) को बर्फ से जमी झील बैकल की गहराइयों में बेहद सतर्कता के साथ डुबाया गया. इसके लिए झील की बर्फ को काटकर चौकोर छेद बनाया गया. इसके बाद बैकल-जीवीडी (Baikal-GVD) को धीरे-धीरे झील के हाड़ कंपा देने वाले ठंडे पानी में उतारा गया. (फोटोःगेटी)

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रूस के ज्वाइंट इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर रिसर्च के साइंटिस्ट डिमित्री नाउमोव ने कहा कि ये टेलिस्कोप धरती पर बनते-बिगड़ते न्यूट्रीनोस की खोज में साइंटिस्ट्स की मदद करेगा. इससे पूरी दुनिया को पता चलेगा कि न्यूट्रीनोस की मात्रा कम है या ज्यादा. संतुलित है या अंसतुलित. कुछ सालों में ऐसे और टेलिस्कोप बनाकर हम एक घन किलोमीटर तक के क्षेत्रफल में तैनात करेंगे. (फोटोःगेटी)

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अमेरिका ने रूस की तरह ही दक्षिण ध्रुव पर आइस क्यूब (Ice Cube) नाम का दुनिया का सबसे बड़ा न्यूट्रीनो ऑब्जरवेटरी लगाया है. अंटार्कटिका में तैनात आइस क्यूब का विरोधी है बैकल-जीवीडी (Baikal-GVD). जिसे रूस ने उत्तरी ध्रुव के बैकल झील में तैनात किया है. इन दोनों को एकदूसरे का विरोधी माना जा रहा है. रूस ने दावा किया है कि उत्तरी ध्रुव पर इतना बड़ा न्यूट्रीनो टेलिस्कोप किसी के पास नहीं है. (फोटोःगेटी)

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ज्वाइंट इंस्टीट्यूट फॉर न्यूक्लियर रिसर्च के साइंटिस्ट बेयर शॉबोनोव ने कहा कि ये बात सच है कि उत्तरी ध्रुव में इससे बड़ा न्यूट्रीनो टेलिस्कोप नहीं है. हमने बैकल झील का चयन उसकी गहराई की वजह से किया. अच्छी बात ये है कि बैकल झील का पानी साफ और स्वच्छ है. यहां का पानी साल के कई महीनों तक बर्फ में जमा रहता है इसलिए ये टेलिस्कोप के लिए भी फायदेमंद है, ताकि वह न्यूट्रीनोस की सही जांच कर सके. (फोटोःगेटी)

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इस टेलिस्कोप को बनाने में रूस, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, जर्मनी और पोलैंड के साइंटिस्ट्स ने मिलकर काम किया है. न्यूट्रीनोस (Neutrinos) एक सब-एटोमिक कण है. इसके तीन प्रकार होते हैं. इलेक्ट्रॉन न्यूट्रीनो (Electron Neutrino), मुओन न्यूट्रीनो (Muon Neutrino) और ताउ न्यूट्रीनो (Tau Neutrino). (फोटोःगेटी)

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साल 2009 में आई धरती की तबाही पर आधारित हॉलीवुड फिल्म 2012 में भी दुनिया की बर्बादी का कारण सूरज से आए सौर तूफान की वजह से धरती के केंद्र में न्यूट्रीनोस की बढ़ती संख्या को दिखाया गया था. बात फिल्म की है लेकिन न्यूट्रीनोस असल में भी धरती के चुंबकीय शक्ति, गुरुत्वाकर्षण शक्ति, टेक्टोनिक प्लेट्स आदि पर असर डालते हैं. (फोटोःगेटी)

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