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लॉकडाउन का असर, यमुना नदी में लौटा ये खतरनाक जीव...

aajtak.in
  • 29 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST
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करीब एक दशक के बाद यमुना नदी में कुछ खतरनाक जीव लौट आए हैं. इन जीवों के लौटने के पीछे बड़ा कारण है लॉकडाउन और इंसानी गतिविधियों का कम होना. यमुना नदी में हाल ही में घड़ियाल के बच्चों को तैरते देखा गया है. यह माना जा रहा है कि लॉकडाउन में यमुना का प्रदूषण कम हुए है. इसलिए चंबल नदी से बाहर आकर ये घड़ियाल यमुना में आ गए हैं. (फोटोः एचटी/सुशांत नंदा)

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एक दशक पहले जब यमुना में प्रदूषण का स्तर बढ़ा था, तब घड़ियालों की संख्या नदी में कम होती जा रही थी. ये सारे घड़ियाल यमुना को छोड़कर चंबल नदी में चले गए थे. वहीं पर प्रजनन करते थे. लेकिन इस बार प्रजनन के लिए कुछ घड़ियाल यमुना में आए थे. इसी वजह से यमुना में घड़ियालों के बच्चे देखने को मिले हैं. (फोटोः गेटी)

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हिंदुस्तान टाइम्स (HT) की खबर के मुताबिक घड़ियालों के यमुना में वापस लौटने पर वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है. इन घड़ियालों के बारे में भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुशांत नंदा ने ट्वीट किया था. (फोटोः गेटी)

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सुशांत नंदा ने ट्वीट में लिखा है कि कोरोना महामारी के दौरान एक दिल को सुकून देने वाली खबर है. चंबल नदी से निकलकर साफ हुई यमुना की तरफ घड़ियाल पहुंचे हैं. यमुना में ही इन्होंने अपना घर बनाया फिर प्रजनन किया है. (फोटोः गेटी)

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घड़ियालों को गैवियाल (Gavial) भी कहते हैं. यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है. कुछ ही हफ्तों पहले चंबल और यमुना नदी के संगम के पास में घड़ियालों के बच्चे हुए. चंबल सैंक्चुरी के अधिकारियों का कहना है कि इस बार घड़ियालों के काफी बच्चे हुए हैं. (फोटोः गेटी)

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अंग्रेजी अखबार HT की खबर के मुताबिक यमुना के अपस्ट्रीम से 30 किलोमीटर दूर इटावा में घड़ियालों ने अंडे दिए थे. इसके कुछ दिन बाद ही घड़ियालों के बच्चे यमुना नदी में तैरते हुए दिखाई दिए. (फोटोः गेटी)

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स्थानीय लोगों ने बताया कि दो बच्चों की मौत हो गई, लेकिन बाकी अब भी नदी में तैरते हुए दिख जाते हैं. फिलहाल वन विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की टीम मिलकर दिन-रात इन जीवों की निगरानी कर रहे हैं. (फोटोः गेटी)

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वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कंजरवेशन ऑफिसर राजीव चौहान ने कहा कि यह बेहद हैरतअंगेज घटना है. क्योंकि साल 2011 में इटावा के पास हरौर गांव में यमुना नदी में घड़ियालों के घोंसले हुआ करते थे. साथ ही प्रजनन का बड़ा केंद्र भी था. लेकिन ज्यादातर घड़ियाल अपने प्राकृतिक रहवास चंबल में रहते थे. (फोटोः गेटी)

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