इजरायली हमले, नाकाबंदी, भीषण जंग के बाग गाजा पट्टी के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. जंग के बाद यहां खेत और फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, इसलिए खाने और पीने की भारी कमी है.
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गाजा में लोग एक-एक अन्य के दाने के लिए तरस रहे हैं. हालात इतने बुरे हैं कि भूख और कुपोषण हर रोज किसी ना किसी की जान जा रही है. इस आपदा के बीच कई देश वहां के लोगों के लिए खाना भिजवा रहे हैं.
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राहत सामिग्री जैसे ही इलाके में पहुंचती है, सभी लोग उसपर टूटकर पड़ते हैं. ट्रकों पर चढकर लोग राशन बटोरते हैं. अगर नीचे कुछ गिर जाए को लोग उसे लेने के दौड़कर भागते हैं. इस छीना-छपती में भी कई लोग घायल हो जाते हैं.
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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि भूख और कुपोषण से मरने वालों की संख्या 180 तक पहुंच गई है. इनमें 93 केवल बच्चे शामिल हैं. भेजी जा रही राहत सामग्री एक समुद्र की बूंद के बराबर है.
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गाजा को अब राहत सामग्री केवल हवा से ही नहीं बल्कि जमीनी रास्तों से भी भेजी जा रही है. कनाडा ने भी इस संकट की घड़ी में हवाई माध्यम से 21600 पाउंड मदद पहुंचाई है.
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ज़मीन पर जारी संघर्ष और तबाही के बीच आम लोगों तक मदद पहुंचाना बेहद मुश्किल हो गया है. ऐसे में ड्रोन और हेलिकॉप्टर जैसे हाईटेक साधन अब जीवन बचाने की दिशा में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इन ड्रोन्स में लोगों के पास आटा, चीनी और रेडीमेड फूड के पैकेट गिराए जा रहे हैं.
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ड्रोन के जरिए हल्के पैकेट्स को टारगेट लोकेशन पर गिराया जाता है, वहीं हेलिकॉप्टर से भारी मात्रा में राहत सामग्री नीचे छोड़ी जाती है. हाल ही में, इजराइल ने गाजा के कुछ हिस्सों में सीजफायर और संयुक्त राष्ट्र (UN) के लिए सुरक्षित रास्ते बनाने का भी ऐलान किया ताकि वहां की जनता को मदद पहुंचाई जा सके। मार्च से मई तक इजराइल ने गाजा में बाहरी सहायता पर रोक लगा दी थी.
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22 महीने से जारी युद्ध ने गाजा को तबाह करके रख दिया है. यहां एक तरफ लोग भूख से मर रहे हैं और दूसरी तरफ उनपर गोलियां भी बरसाई जा रही हैं. स्थिति को देखते हुए दुनिया भर की एजेंसियां राहत बढ़ाने की अपील कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र ने साफ कहा है कि केवल हवाई मार्ग से पहुंचाई जा रही मदद से गाजा का संकट नहीं सुलझ सकता. जमीनी रास्तों से बड़े पैमाने पर राहत पहुंचानी ही होगी.
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