गुजरात के सूरत में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के कर्मचारी संघ ने म्यूनिसिपल अधिकारी के सामने एक चौंकाने वाली घटना की शिकायत दर्ज कराई है. इसमें कहा गया कि महिला कर्मचारियों के साथ परमानेंट करने के लिए फिटनेस टेस्ट के नाम पर हैरान करने वाली हरकत की गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
शिकायत में संघ की ओर से कहा गया है कि कॉर्पोरेशन की तकरीबन 100 कर्मचारियों को उस समय
हैरानी हुई, जब वे परमानेंट किए जाने से पहले अनिवार्य फिटनेस टेस्ट के लिए सूरत नगर आयुर्विज्ञान
एवं अनुसंधान संस्थान पहुंची. इस दौरान पहले महिला ट्रेनी क्लर्क को
10-10 के समूह में निर्वस्त्र खड़ा रहने को कहा गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इसके बाद
उनकी प्राइवेसी को लेकर भी असंवेदनशीलता दिखाई गई. विवाहित के साथ ही अविवाहित कर्मचारियों की भी प्रेग्नेंसी जांच
की गई. महिला डॉक्टरों ने प्रेग्नेंसी के संबंध में सवाल भी पूछे. इस पर महानगर पालिका में विपक्ष के नेता पपन तोगड़िया ने नाराजगी जताई है. वहीं इस मामले के तूल पकड़ने के बाद म्यूनिसिपसल कमिश्नर ने तीन सदस्यीय जांच टीम बना दी है. (सभी तस्वीर- प्रतीकात्मक)
इस मामले को लेकर अस्पताल अधीक्षक वंदना देसाई ने कहा कि जांच टीम से 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अस्पताल के स्त्री रोग विभाग
के प्रमुख आश्विन वछानी ने बताया कि गाइडलाइन्स के मुताबिक,
महिलाओं की शारीरिक जांच अनिवार्य है.
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि
उन्हें नहीं पता कि ऐसी जांच पुरुषों की होती है या नहीं, लेकिन महिलाओं के
मामले में हमें इन नियमों का पालन करना पड़ता है और जांच करनी होती है कि
कहीं किसी महिला को किसी तरह का रोग तो नहीं है.
बता दें कई कुछ दिन पहले गुजरात के ही भुज में पीरियड्स की जांच के लिए 68 छात्राओं के कपड़े उतरवाए जाने का मामला सामने आया था. इस घटना का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने जांच के लिए एक टीम भी गठित की थी.
हालांकि बाद में महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जांच करने पहुंची टीम को
यह बताया गया कि छात्राओं को इससे कोई समस्या नहीं है. मुद्दा यह था कि
छात्राओं के पीरियड्स हैं या नहीं, यह जांचने के लिए कैसा तरीका अपनाया गया
है.