अब सुबकना छोड़िए. जी भरकर रोइए, क्योंकि साइंटिस्ट्स ने ऐसी ग्रंथियां बनाई हैं जिनकी बदौलत आप ढेर सारे आंसू निकाल सकते हैं. इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है. बल्कि इससे आपको फायदा होगा. ज्यादा आंसू निकलने से आंखें साफ रहेंगी. आंसू से संबंधित बीमारियां दूर रहेंगी. आइए जानते हैं कि नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने ये आंसू ग्रंथियां (Tear Glands) कैसे बनाईं? इनका क्या काम है? (फोटोःगेटी)
नीदरलैंड्स के ह्यूब्रेच इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंटल बायोलॉजी एंड स्टेम सेल (Hubrecht Institute for developmental biology and stem cell) और प्रिंसेस मैक्सिमा सेंटर फॉर पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी (Princess Máxima Center for pediatric oncology) के वैज्ञानिकों ने इन आंसू ग्रंथियों को विकसित किया है. (फोटोःगेटी)
इन ग्रंथियों को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के लीडर हांस क्लेवर्स ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती थी ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करना जिससे आंखों के चारों तरफ के गट्स बन सकें. क्योंकि आमतौर पर ये गट्स हर पांच दिन बाद अपनी लेयर बदलते हैं. लेकिन हांस की टीम ने इसमें सफलता हासिल की है. (फोटोःगेटी)
हांस क्लेवर्स की टीम ने गट टिश्यू के छोटे टुकड़े लिए. उन्हें स्टेम सेल और प्रोटीन से भरा. ताकि कोशिकाओं का विकास देखा जा सके. उम्मीद जताई जा रही थी कि स्टेम सेल्स पूरी तरह से विकसित हों और ये सामान्य आंसू की ग्रंथियों की तरह काम कर सकें. (फोटोःगेटी)
साइंटिस्ट्स की टीम ने मानव अंगों के कई मिनियेचर यानी मिनी-ऑर्गन्स बनाए हैं. जैसे लिवर, पैंक्रियास, ब्लैडर आदि. स्तनधारी जीवों से लेकर सरिसृपों तक. यहां तक कि सांप के जहर की ग्रंथियां भी बनाई गई. फिर हांस क्लेवर्स जो कि एक पीएचडी शोधकर्ता हैं, उन्हें इंसानी आंखों की आंसू ग्रंथियां बनाने का काम सौंपा गया. (फोटोःगेटी)
हांस की टीम ने सबसे पहले चूहे की आंसू ग्रंथियां बनाईं. फिर वो इंसान की तरफ बढ़े. एक हफ्ते पहले हांस की टीम ने कई छोटी-छोटी ग्रंथियां विकसित कीं, जो देखने में गुब्बारों की तरह दिखती हैं. आंसू की ग्रंथियां सिर्फ रोते समय पानी निकालने का काम नहीं करतीं, बल्कि आंखों को कई तरह से सुरक्षित रखती हैं. (फोटोःगेटी)
हांस ने बताया कि इन ग्रंथियों से निकलने वाला पानी कॉर्निया की नमी बनाकर रखता हैं. आंखों का लुब्रिकेशन करता है. जलन और संक्रामण से बचाती है. साथ ही आंखों को पोषण देता है. लेकिन जब कोई दुखी होता है, खुश होता है, चोट लगने पर, कुछ चुभने पर या आंखों में बाल या धूल जाने के बाद दिमाग इन आंसू की ग्रंथियों को पानी निकालने का निर्देश देता है. (फोटोःगेटी)
दिमाग से आंसू की ग्रंथियों को जो संदेश मिलता है वह एड्रिनेलिन हार्मोंस की वजह से मिलता है. अगर एड्रिनेलिन हार्मोंस से हांस की टीम द्वारा निर्मित ग्रंथियों को संदेश भेजा जाए तो ये फट जाती हैं और ढेर सारे आंसू निकलने लगते हैं. इससे आपकी आंखें साफ रहेंगी. कई तरह की बीमारियों से आपकी आंखें बची रहेंगी. (फोटोःगेटी)
हांस ने बताया कि फिलहाल इन ग्रंथियों की कुछ सीमाएं हैं. ये ग्रंथियां आम ग्रंथियों की तरह सिर्फ डक्टल सेल से नहीं बनी हैं. इनमें और भी कोशिकाओं को शामिल किया गया है. फिलहाल इनका आंखों में प्रत्यर्पण करके परीक्षण करना बाकी है. हालांकि इन ग्रंथियों के निर्माण से वैज्ञानिक ये पता करने में कामयाब हुए हैं कि भविष्य में कैसे आंसू संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. (फोटोःगेटी)
हांस क्लेवर्स की टीम का ये अनोखा अविष्कार जर्नल सेल स्टेम सेल में प्रकाशित हुआ है. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में ऐसे मिनी-ऑर्गन्स को इंसानों के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. (फोटोःगेटी)