भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पांच मार्च यानी शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (Solid Fuel Ducted Ramjet - SFDR) का सफल परीक्षण किया है. यह एक प्रकार का बूस्टर इंजन है जो आगे चलकर भारत की मिसाइलों को ताकत देगा. कुछ दिन पहले भारत अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. जिसके अगले वर्जन में यही बूस्टर इंजन लगाया जाएगा. (फोटोःDRDO)
ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से आज सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (Solid Fuel Ducted Ramjet - SFDR) का सफल परीक्षण किया गया है. यह पूरी तरह से स्वदेश में विकसित टेक्नोलॉजी है. रैमजेट इंजन लगने की वजह से मिसाइलों की गति काफी तेज हो जाएगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यही होगा. (फोटोःDRDO)
सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (Solid Fuel Ducted Ramjet - SFDR) की मदद से DRDO लंबी दूरी के एयर-टू-एयर मिसाइल (Air-To-Air Missile) को विकसित करने में मदद मिलेगी. इस इंजन की खास बात ये है कि इसके लगने के बाद मिसाइल उड़ते समय आवाज नहीं करेगी. इसके पीछे छूटने वाला धुआं भी दिखाई नहीं देगा. इससे दुश्मन को मिसाइल के आने की खबर तक नहीं लगेगी. (फोटोःDRDO)
चीन और पाकिस्तान के साथ रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर भारत ऐसी मिसाइल विकसित कर रहा है, जिससे भारतीय वायुसेना के विमान दुश्मन के विमान को हवा में 160 किलोमीटर दूर ही मार गिराएंगे. इस मिसाइल का नाम है बेयॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल अस्त्र (Beyond Visual Range Air-to-Air Missile ASTRA). इस मिसाइल की खासियत है इसकी रेंज, गति और दुश्मन को संभलने का मौका न देना. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
इस मिसाइल का परीक्षण इस साल सितंबर में शुरू होगा. जो अगले साल तक खत्म हो जाएगा. इस मिसाइल का नाम रखा गया है अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile). इस मिसाइल की खासियत इसकी तेजी है. यह 4.5 मैक यानी 5556.2 किलोमीटर की गति से हमला करता है. यानी एक सेकेंड में 1.54 किलोमीटर की स्पीड. यह मिसाइल 2022 तक पूरी तरह से विकसित हो जाएगा. अस्त्र मार्क-3 मिसाइल में यही रैमजेट इंजन लगाया जाएगा. (फोटोःDRDO)
फिलहाल ये तैयारी की जा रही है कि अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile) को स्वदेशी फाइटर जेट LCA तेजस में लगाया जाए. इस जेट में फिलहाल 100 किलोमीटर रेंज तक की मिसाइलें लगी हैं. इस मिसाइल के लगने के बाद तेजस से इजरायली मिसाइल को हटा दिया जाएगा. अभी इजरायल की मिसाइल का आयात किया जाता है. जो अस्त्र मार्क-2 के आने के बाद हट जाएंगी. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
भारतीय वायुसेना और नौसेना ने 288 अस्त्र मार्क-1 (Astra Mark 1 Missile) के ऑर्डर दिए हुए हैं. इस मिसाइल का उपयोग रूस में बने भारतीय फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई (Su-30MKI) में किया जा रहा है. अस्त्र मिसाइल बनने के बाद भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जो इस तरह की मिसाइलें बनाते हैं. ये देश हैं अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile) मिसाइल सुपरसोनिक फाइटर जेट्स के साथ लैस होने पर और ज्यादा घातक सिद्ध होगा. लंबी दूरी के काउंटर मेजर्स मिशन में दुश्मन के छक्के छुड़ा देगा. अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile) में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर्स (ECCM) तकनीक लगाई गई है. ताकि ये दुश्मन के फाइटर जेट के संचार को बाधित कर दे. जब तक वह संभले तब तक उसका काम तमाम. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile) की एक खासियत ये भी है कि ये पीछा करके मारता है. यानी एक बार दुश्मन का विमान टारगेट पर लॉक हुआ तो ये सामने से या पीछे से दौड़ा-दौड़ कर मार डालेगा. इस मिसाइल के पुराने वर्जन यानी अस्त्र मार्क-1 का उपयोग भारतीय वायुसेना मिग-29, मिग-29के, मिराज 2000, सुखोई-30 एमकेआई और तेजस एमके1/1A में कर रही है. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
भविष्य में अस्त्र मार्क-2 (Astra Mark 2 Missile) का उपयोग LCA तेजस एमके-2, एमसीए और TEDBF में भी किया जाएगा. इसके बाद डीआरडीओ की तैयारी है अस्त्र मार्क-3 (Astra Mark 3 Missile) बनाने की. ये मिसाइल भी फिलहाल अंडर डेवलपमेंट है. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)
माना जा रहा है कि अस्त्र मार्क-3 (Astra Mark 3 Missile) 350 किलोमीटर रेंज की होगी. आपको बता दें कि अस्त्र मिसाइलें 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ सकती है. यानी जमीन से 66 हजार फीट की ऊंचाई पर भी दुश्मन के हमले को बर्बाद कर सकती हैं. (फोटोःDRDO/Astra Mark-2)