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कैमरे की नजर से दिल्ली हिंसा, ये तस्वीरें आपको दहला देंगी

aajtak.in
  • 09 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST
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23 फरवरी से अगले चार दिनों तक दिल्ली की हवा में राख की बद्बू थी. 1984 के बाद पहली बार देश की राजधानी नफरत की आग में जलकर खाक हो चुकी थी. काली राख में लिपटे हुए दिख रहे थे जले हुए घर, दुकानें, सामान और लोगों की उम्मीदें. इस तस्वीर में दिख रही है खजूरी खास स्थित जली हुई फातिमा मस्जिद, जिसे 24 फरवरी को भीड़ ने जला दिया. उसकी टूटी खिड़की से नम आंखों के साथ बर्बादी का आलम देखता 19 वर्षीय युवक. आइए देखते हैं दिल्ली में हुई हिंसा के बाद राख में तब्दील शांति की दिल दहला देने वाली तस्वीरें...(फोटोः बंदीप सिंह)

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25 फरवरी को चांदपुर के इस घर में भीड़ ने आग लगा दी. इस घर में रहने वाला परिवार छत के रास्ते भागकर अपनी जान बचा पाया. चांदपुर के निवासियों ने बताया कि कुछ घरों से आवाज आ रही थी कि भाई हम सब जलने वाले हैं. इस आग की आंच बहुत तेज लग रही है. चांदपुर से कुछ लड़के पुलिस स्टेशन गए लेकिन कोई मदद नहीं मिली. हिंसा खत्म होने के बाद जब इस घर के लोग लौटे तो यहां थी सिर्फ बर्बादी की काली तस्वीर. (फोटोः बंदीप सिंह)

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मेरे पास सिर्फ 10 रुपये और जो कपड़े पहन रखे हैं, यही बचे हैं. ये बात कहते हुए 20 वर्षीय हिंसा पीड़ित ये लड़का अपनी रोती हुई मां को संभालता है. खजूरी खास में रहने वाले मां-बेटे का घर, सामान, पैसे, जेवर, कपड़े, पहचान पत्र आदि सब जल गए. इस लड़के ने बताया कि अब भी मां को सपने आते हैं कि लोग उसे मारने और जलाने आ रहे हैं. (फोटोः बंदीप सिंह)

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23 फरवरी से लेकर अगले पांच दिनों तक यह पांच साल का बच्चा कुछ बोला नहीं. डरा हुआ यह बच्चा शांत हो गया. खजूरी खास में रहने वाले इस बच्चे की आवाज किसी ने इतने दिनों तक नहीं सुनी. मांगे हुए कपड़ों को पहनकर जब यह बच्चा पहली बार बोला तो उसने मुंह से सिर्फ यही निकला- मुझे डर लग रहा है. (फोटोः बंदीप सिंह)

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मुस्तफाबाद में जब उग्र हिंसक भीड़ वापस गई तब 12वीं कक्षा के दो लड़कों और एक बुजुर्ग पास ही स्थित निर्माणाधीन इमारत से लकड़ी का बाड़ उठा लाए. इससे गली के मुहाने को बंद कर दिया. बाड़ को गली के मुहाने से अच्छी तरह से बांध दिया. पूछने पर इन्होंने बताया कि हम सिर्फ सुरक्षित महसूस करना चाहते थे. (फोटोः बंदीप सिंह)

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शिव विहार की गली नंबर 6 में मदीना मस्जिद के बगल स्थित तीन मंजिला इमारत में अब कुछ बचा नहीं है. सिर्फ दहशत है. इस घर से बच्चों समेत परिवार तो भाग गया लेकिन बच गए दो बुजुर्ग दंपति. जिन्होंने चार घंटे तक हिंसा का सामना किया. बाद में पड़ोसियों ने जब भीड़ को भगाया तो ये दोनों बुजुर्ग यहां से भाग पाए. (फोटोः बंदीप सिंह)

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ब्रिजपुरी स्थित इस घर को इस 40 वर्षीय शख्स ने 25 लाख रुपये में बनवाया था. हाल ही में घर में 1.5 लाख रुपये लगाकर पेंटिंग कराई थी. नया सोफा लगाया था लेकिन हिंसा के बाद घर का रंग उड़ गया. सोफा कहां हैं पता नहीं चल पा रहा है. घर के नीचे गोदाम में रखे 40 लाख रुपये के व्यवसायिक सामान जला दिए गए. (फोटोः बंदीप सिंह)

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24 वर्षीय इस महिला का घर, सामान और सबकुछ जल गया. खजूरी खास में रहने वाली इस महिला ने हिंसा के दौरान छत से भागकर अपनी जान बचाई थी. इस महिला के पास तो पहचान पत्र भी नहीं बचा. महिला ने बताया कि 30-40 परिवार चांदपुर में एक 25 वर्ग यार्ड के घर में छिपे हुए थे. (फोटोः बंदीप सिंह)

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उत्तर-पूर्व दिल्ली की गलियों में बने घर आपस में सटे हुए हैं. यहां जो हिंसक भीड़ आई थी वह पूरी योजना बनाकर आई थी. कुछ घरों से उसने गैस सिलेंडर निकाले और उन्हें सीवरेज और ड्रेनेज लाइन पर रखकर जला दिया. घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए थे. इसके बाद यहां दोनों समुदायों के घर जलने शुरू हुए. हर घर की एक अलग कहानी है. (फोटोः बंदीप सिंह)

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