कोरोना वायरस के इस लॉकडाउन दौर में भारत ने पिथौरागढ़ से लगी चीन सीमा तक सड़क बनाने में सफलता पा ली है. शुक्रवार को नई दिल्ली से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सड़क का ऑनलाइन उद्घाटन भी कर दिया है.
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दरअसल, कैलाश-मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में प्रसिद्ध धारचूला से
लिपुलेख (चीन सीमा) तक बीआरओ द्वारा निर्मित सड़क राष्ट्र को समर्पित हो गई
है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम
से सड़क का उद्घाटन करते हुए कहा कि चीन सीमा तक सड़क बनने से देश मजबूत हुआ
है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि सड़क बनने से कैलाश मानसरोवर यात्रा सुगम
होगी और सेना, आईटीबीपी, एसएसबी के जवान अग्रिम चौकियों तक वाहनों से
पहुंच सकेंगे. यह सड़क सामरिक और धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. हमारी
सेना को भी अब चीन सीमा तक पहुंचने में आसानी होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में ट्वीट कर भी जानकारी दी है.
इस मौके पर चीफ
ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज
मुकुंद नरवणे भी उपस्थित थे. इसके अलावा कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी अब
आसान होगी.
बीआरओ ने 80 किलोमीटर की इस सड़क से धारचूला को लिपुलेख से जोड़ा है. यह विस्तार 6000 से 17060 फीट की ऊंचाई पर है.
बता दें कि जनपद पिथौरागढ़ के तहसील धारचूला के ब्यास घाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्र के इस सड़क का निर्माण कार्य बीआरओ
द्वारा पूरा किया गया है. 2003 में बीआरओ को इस सड़क के निर्माण का जिम्मा
सौंपा गया था. यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निर्माण कार्य अब
पूरा हुआ है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा हुई आसान:
इस सड़क के निर्माण के साथ अब कैलाश मानसरोवर की यात्रा में भी एक और नया अध्याय जुड़ गया है. उत्तराखंड के पारंपरिक लिपुलेख सीमा तक की सड़क बन जाने के बाद तीर्थयात्री सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर के दर्शन करके एक-दो दिन में ही भारत लौट सकेंगे.
(Photo: aajtak)
दरअसल, यह रोड कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जाएगी. इस रोड
का काम कई सालों से चल रहा था लेकिन ऊंचे पहाड़ और मुश्किल हालात से इसमें
काफी दिक्कतें आ रही थी. अभी तक कैलाश मानसरोवर जाने में 3 हफ्ते से
ज्यादा का वक्त लगता है जबकि लिपुलेख के रास्ते अब मात्र 90 किलोमीटर की
सड़क यात्रा कर कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकेगा.
घटियाबगढ़ से लेकर
लिपुलेख तक करीब 75.54 किलोमीटर रोड का काम बीआरओ कर रहा है. लिपुलेख की
तरफ 62 किलोमीटर तक रोड का काम पूरा हो चुका है. घटियाबगढ़ से आगे की तरफ
पहाड़ काटकर सड़क बनाने में ऊंचे पहाड़ होने के वजह से बहुत मुश्किलें आई.
वर्तमान
में लिपुलेख दर्रे के दुर्गम मार्ग से पैदल यात्रा पर जाने वाले यात्रियों
को करीब एक से डेढ़ लाख रुपए प्रति यात्री खर्च होता है. सुविधाओं के अभाव
में यात्रियों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है. दूसरा इस
यात्रा में 15-16 दिन का समय लगता है.
चीनी
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने उनसे सिक्किम में नाथुला मार्ग खोलने का आग्रह किया था, जिसे
उन्होंने मान लिया था. लिपुलेख दर्रे के पार चीन में सीमा से मानसरोवर की
दूरी महज 72 किलोमीटर है और सीमा से वहां चीन ने शानदार सड़क पहले ही बना
रखी है.