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दिल्ली से बंगाल तक आ सकता है भयानक भूकंप, IIT कानपुर का खुलासा!

aajtak.in
  • 24 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
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देश का एक बड़ा हिस्सा भयानक भूकंप (Earthquake) की जद में आ सकता है. ये हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से शुरू होकर बिहार तक जाता है. यानी दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. यह दावा किया है देश के सर्वोच्च इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने. (फोटोः गेटी)

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IIT कानपुर के इस अध्ययन में कहा गया है कि जो भूकंप दिल्ली से बिहार के बीच आएगा, वह रिक्टर पैमाने पर 7.5 से लेकर 8.5 तक का हो सकता है.  (फाइल फोटो)

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IIT कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जावेद एन. मलिक ने बताया कि इस दावे के पीछे बड़ा अध्ययन है. हमें पता है कि पिछले 500 सालों में गंगा के मैदानी इलाकों में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. (फाइल फोटो)

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उत्तराखंड के रामनगर में इस समय IIT कानपुर की टीम जमीन खोदकर परतों के जरिए यह अध्ययन कर रही है कि गंगा के मैदानी इलाकों में अब तक किस स्तर के भूकंप आए हैं. (फाइल फोटो)

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रामनगर में जो खुदाई चल रही है उसमें 1505 और 1803 में आए भूकंप के अवशेष लगातार मिल रहे हैं. इसलिए IIT कानपुर की टीम अपने अध्ययन को और बढ़ा रही है, ताकि भूकंप के सही अंतराल और असर का पता किया जा सके. (फोटोः गेटी)

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IIT कानपुर के अध्ययन के मुताबिक 1885 से 2015 तक देश में सात बड़े भूकंप रिकॉर्ड किए गए हैं. इन सबकी तीव्रता 7.5 से 8.5 के बीच थी. (फोटोः गेटी)

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2001 में गुजरात के भुज में आए भूंकप ने करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित अहमदाबाद में भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था. (फोटोः रायटर्स)

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IIT कानपुर की टीम शहरी प्रशासकों, बिल्डरों और आमलोगों को जागरूक करने के लिए देश के सक्रिय भूकंप फॉल्ट्स का मैप तैयार कर रही है. (फोटोः रायटर्स)

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इस मैप से यह पता चलेगा कि कौन सी फॉल्ट लाइन ज्यादा सक्रिय है. साथ ही यह भी पता चलेगा कि भूकंप फॉल्ट लाइन के कितना करीब है. इससे कितना नुकसान हो सकता है. (फोटोः रायटर्स)

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IIT कानपुर ने रामनगर के पास मौजूद जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 6 किलोमीटर की रेंज में गड्ढे खोदकर जमीन के स्तरों की जांच की है. इन स्तरों में वैज्ञानिकों को भूकंप के अवशेष मिल रहे हैं. (फोटोः रायटर्स)

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रामनगर जिस फॉल्ट लाइन पर बसा है, उसे कालाडुंगी फॉल्ट लाइन नाम दिया गया है. इसी फॉल्ट लाइन के आसपास 1505 और 1803 में आए भूकंपों के सबूत मिले हैं. (फोटोः रायटर्स)

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मध्य हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आया तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और पटना तक का इलाका बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. किसी भी बड़े भूकंप का 300-400 किमी की परिधि में असर दिखना साधारण है. (फोटोः रायटर्स)

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अगर छोटा भूकंप भी आता है तो इसका कंपन काफी दूर तक महसूस किया जाता है. गंगा के मैदानी इलाकों की मिट्टी मुलायम है. कंपन होने पर यह धंस सकती है. (फोटोः रायटर्स)

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भारतीय और तिब्बती प्लेटों की फॉल्ट लाइन पर निगरानी करने के लिए सरकार 20 स्थाई जीपीएस स्टेशन बना रही है. ये भी हो सकता है इन केंद्रों में भूकंप मापी यंत्र भी लगाए जाएं. (फाइल फोटो)

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