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सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप के लाखों शरणार्थियों को कोरोना से खतरा

aajtak.in
  • 17 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST
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पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मामले बड़ी तेजी से सामने आ रहे हैं. इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दुनिया के सबसे बड़े रोहिंग्या रिफ्यूजी कैंप को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार (Cox's Bazar) में  तंग शिविरों और भीड़ में रहने वाले लगभग 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी कोरोना वायरस से प्रभावित हो सकते हैं. वहीं, जानकारी की कमी और गरीबी के चलते कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ पाना और भी मुश्किल होगा. (Photo-india today)

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विशेषज्ञों का कहना है कि शिविरों में गरीबी के हालात में रहने वाले लाखों लोगों के लिए ये बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है. बताया जा रहा है कि यहां ज्यादातर रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं. जहां दूसरे देशों में कोरोना वायरस के चलते लोगों को दो मीटर (छह फीट) के अंतराल में रहने के लिए कहा जा रहा है तो वहीं शिविरों में रह रहे रोहिंग्या के लिए ये काफी कठिन है. (Photo-india today)

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जानकारी के मुताबिक, कुटापलोंग 600,000 रोहिंग्या के साथ दुनिया के सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है. जहां के लोगों को हर दिन खाना-पानी जुटाने के लिए काम करने बाहर जाना पड़ता है. यहां बनी हर झोपड़ी बमुश्किल 10 वर्ग मीटर (12 वर्ग गज) की है जिसमें कम से कम 12 लोग एक साथ रहते हैं.  सहायता कार्यकर्ता (Aid worker) का कहना है कि झोपड़ी की दूरी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि आप पड़ोसी के व्यक्ति की सांसों की आवाज तक सुन सकते हैं.  (Photo-Reuters)

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वहीं, बांग्लादेश के प्रमुख डॉक्टर पॉल ब्रॉकमैन का कहना है कि इन शिविरों में सोशल डिस्टेंसिंग लगभग असंभव है. समाचार एजेंसी एएफपी को उन्होंने बताया, 'यहां चुनौती का पैमाना बहुत बड़ा है. रोहिंग्या की आबादी को कोरोना वायरस से बहुत ज्यादा खतरा है.' (Photo-Reuters)

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बांग्लादेश ने केवल कुछ ही कोरोना वायरस मौतों और 50 से कम मामलों की सूचना दी है, लेकिन विशेषज्ञों को डर है कि ये आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं. रोहिंग्या इस बीमारी के बारे में बमुश्किल ही जानते हैं क्योंकि सरकार ने शरणार्थियों पर शिकंजा कसने के उपायों के तहत पिछले साल के आखिर से उनकी इंटरनेट तक पहुंच को बंद कर दिया था. (Photo-Reuters)

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गौरतलब है कि, हाल ही में कॉक्स बाजार के पास ही एक बांग्लादेशी महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. रोहिंग्या समुदाय के नेता मोहम्मद जुबेर ने कहा, 'हम बेहद चिंतित हैं. यदि वायरस यहां तक ​​पहुंचता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैल जाएगा.' उन्होंने कहा, 'बहुत से सहायता कर्मचारी (aid worker) और स्थानीय सामुदायिक कार्यकर्ता ( Community workers) लोग हर दिन शिविरों में प्रवेश करते हैं. कुछ प्रवासी रोहिंग्या भी हाल ही में बाहर से लौटे हैं. उनके जरिए भी कोरोना वायरस यहां आ सकता है. (Photo-Reuters)

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एक दूसरे समुदाय के नेता सईद उल्लाह का कहना है कि इंटरनेट बंद होने के कारण उन्हें वायरस के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता है. हममें से ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यह बीमारी क्या है. लोगों ने केवल यह सुना है कि इससे बहुत से लोगों की मौत हुई है. हमारे पास यह जानने के लिए इंटरनेट नहीं है कि क्या हो रहा है. हम अल्लाह की दया पर भरोसा कर रहे हैं.' (Photo-Reuters)

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संयुक्त राष्ट्र ने शिविरों में हाथ धोने और स्वच्छता अभियान शुरू करने के लिए स्वयंसेवकों और सहायता कर्मियों को लगाया था. उन्होंने सरकार से सामान्य इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने का आग्रह किया है.'शिविरों में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता (UN spokeswomen) लुईस डोनोवन का कहना है कि लोगों की जिदंगी बचाने के लिए इंटरनेट से  संचार की आवश्यकता होगी है. (Photo-Reuters)

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