फेसबुक, यूट्यूब सहित कई सोशल मीडिया वेबसाइट पर कोरोना वायरस से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो गया है. सोशल मीडिया साइट्स इस वीडियो को बार-बार हटा रही हैं, लेकिन नए यूजर्स इसे दोबारा अपलोड कर रहे हैं. इस वीडियो में कोरोना वायरस से जुड़ी सच्चाई दिखाने का दावा किया गया है. आइए जानते हैं पूरा मामला... (प्रतीकात्मक फोटो)
इस वीडियो का नाम है- "प्लैनडेमिक- कोविड-19 के पीछे छिपा हुआ एजेंडा (Plandemic: The Hidden Agenda Behind Covid-19)" इसे कैलिफोर्निया की एक कंपनी इलेवेट ने बनाया है. इस कंपनी को मिक्की विलिस नाम की महिला चलाती हैं. उनका दावा है कि ये वीडियो कोरोना महामारी पर बनाए जाने वाले एक डॉक्यूमेंट्री का प्रीव्यू है.
Politifact की रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल साइट से लगातार हटाए जाने के बावजूद इस वीडियो को लाखों लोग देख चुके हैं. वीडियो बनाने वालीं मिक्की ने अप्रैल में एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था कि करप्ट स्वास्थ्य सेवा के अंधकार वाले हिस्से का सच दिखाने के लिए वे डॉक्यूमेंट्री बना रही हैं. (प्रतीकात्मक फोटो)
असल में यह वीडियो कोरोना वायरस पर कॉन्सिपरेसी थ्योरी पेश करता है. हालांकि, अन्य कॉन्सिपरेसी थ्योरी वाले वीडियो से अलग इसका प्रोडक्शन स्टैंडर्ड काफी अच्छा है. इसलिए यह काफी तेजी से वायरल हो रहा है.
वीडियो में झूठी जानकारी दी गई है कि वायरस कहां से आया और कैसे संक्रमण फैल रहा है. 26 मिनट का वीडियो पहली बार इसी हफ्ते की शुरुआत में सामने आया था.
वीडियो में दावा किया गया है कि नेचुरल तरीके से ये वायरस सामने नहीं आ सकता, इसे लैब से ही रिलीज किया गया है. इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि मास्क और ग्लव्स पहनने से लोग अधिक बीमार हो रहे हैं. हालांकि, ये सारी बातें झूठ हैं क्योंकि साइंटिफिक तौर से इसके सबूत नहीं हैं. वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में हेरफेर किया जा रहा है ताकि आबादी को नियंत्रित किया जा सके.
usatoday.com की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो पर फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा- 'ये सलाह देना कि मास्क पहनने से आप बीमार होते हैं, इससे खतरा पैदा हो सकता है. इसलिए हम वीडियो हटा रहे हैं.'