कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू लॉकडाउन को अब 31 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सोमवार से नए नियमों के साथ लॉकडाउन लागू हो गया है. इसी बीच बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान करने लगे हैं. गाजियाबाद में सोमवार को उस समय सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती हुई नजर आईं, जब एक श्रमिक ट्रेन के लिए वेरिफिकेशन करवाने के लिए हजारों की संख्या में मजदूर एक साथ रामलीला मैदान में इकट्ठा हो गए.
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दरअसल, गाजियाबाद से सोमवार शाम छह श्रमिक ट्रेनें उत्तर प्रदेश और
बिहार के अलग-अलग इलाकों के लिए रवाना होनी हैं. ट्रेनों में जाने से पहले
प्रशासन की ओर से मजदूरों को थर्मल स्क्रीनिंग और पेपर वेरिफिकेशन के लिए
वहां रोका गया है. तीन ट्रेन उत्तर प्रदेश के लिए और तीन ट्रेन बिहार के लिए जा रही
हैं.
जैसे ही हजारों की संख्या में मौके पर मजदूर इकट्ठा हुए, वहां
अफरातफरी का माहौल बन गया. स्थानीय प्रशासन की सभी व्यवस्था धरी की धरी रह
गई और एडीएम-मजिस्ट्रेट के सामने सभी नियम बेकार साबित हुए. देखते ही देखते
वहां जनसैलाब जमा हो गया.
घंटाघर के पास मौजूद रामलीला मैदान में लोगों
की बेतहाशा भीड़ इकट्ठा हो गई है. सभी लोगों को ट्रेन या बस के जरिए घर
भेजे जाने का भरोसा प्रशासन द्वारा दिया गया था. सड़क पर जितने लोग पैदल चल
रहे थे सभी को वहां ले जाकर रखा गया है, और अब इस कदर भीड़ हो गई है कि
लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़े हुए हैं.
गाजियाबाद एडीएम के मुताबिक,
बिहार के लिए गाजियाबाद से तीन ट्रेनें चलाई गई हैं जोकि 12 सौ प्रति मजदूर
ट्रेन से लेकर बिहार जाएंगी. आज करीब 36 सौ मजदूरों को बिहार भेजा जाएगा.
इसके अलावा लखनऊ, गोरखपुर के मजदूरों को भी यहां से भेजा जाएगा.
उन्होंने कहा कि सुबह तक स्थिति नियंत्रण में थी, लेकिन अब जो हालात हैं उन्हें संभाला जा रहा है. दूसरी ओर मजदूरों का कहना है कि वह लंबे वक्त से धूप में ही खड़े हैं ऐसे में काफी परेशानी है. कुछ मजदूरों ने कहा कि वो कल भी आए थे, लेकिन नंबर नहीं आ पाया था.
यहां इतनी ज्यादा संख्या में लोग मौजूद हो गए कि सोशल डिस्टेंसिंग की
धज्जियां उड़ गईं. इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. और ये
सभी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार जा रहे हैं इसलिए इन दो राज्यों के लिए भी
खतरा हो सकता है. फिलहाल गाजियाबाद में स्क्रीनिंग की जा रही है. लेकिन
भारी भीड़ के चलते प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
मालूम
हो कि श्रमिक ट्रेनों में बैठने से पहले सभी मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग
की जा रही है. साथ ही वेरिफिकेशन भी करवाया जा रहा है, क्योंकि जहां से
ट्रेन जा रही है और जहां ट्रेन को पहुंचना है, वहां दोनों ओर प्रशासन की ओर
से व्यवस्था की जा रही है.