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लॉकडाउन के चलते संकट में चित्रकूट के बंदर, लोगों ने की मदद

योगितारा दूसरे
  • 30 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST
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लंका में भगवान श्रीराम को जीत दिलाने वाली वानर सेना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोस्थली धर्मनगरी चित्रकूट में भूख से मर रही है. दरअसल, यहां के बंदर पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर हैं.  चित्रकूट में पर्यटक बंदरों के लिए खाने का इंतजाम करते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण चित्रकूट में पर्यटकों का आना बंद है. इसलिए बंदरों के सामने भी खाने के लाले पड़ गए हैं. नगर परिषद ने कुछ समाजसेवियों की मदद से इनके लिए रोज चना और बिस्कुट की व्यवस्था की है.
(Photo Aajtak)

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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए इस समय पूरा देश लॉकडाउन है. जिसका असर हर किसी के जीवन पर पड़ रहा है. ऐसे में भला जानवर कैसे अछूते रहते. भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के करीब साढ़े 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे. राम-रावण युद्ध में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली वानर सेना भी चित्रकूट में सबसे ज्यादा  दिखेगी.

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लॉकडाउन की वजह से मंदिरों के कपाट बंद हैं. चित्रकूट के कामदगिरि की परिक्रमा पर भी फिलहाल रोक है.  श्रद्धालुओं यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसलिए चित्रकूट में रहने वाले बंदरों और लंगूरों के सामने खाने का संकट गहरा गया है. ऐसे में नगर परिषद चित्रकूट ने इनकी सुध ली और कुछ समाजसेवियों की मदद से इनके खाने का इंतजाम किया. बंदरों और लंगूरों को खाने में बिस्कुट और चने दिए जा रहे हैं.

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चित्रकूट नगर परिषद के सीएमओ रमाकांत शुक्ला का कहना है कि जिस दिन से लॉकडाउन हुआ है उस दिन से हमने सोचा कि इंसान अपने खाने-पीने की व्यवस्था कर लेगा. लेकिन गाय, बंदर, कुत्ते जैसे जानवर अपने खाने की व्यवस्था कैसे करेंगे. फिर हम लोगों ने चंदा इक्ट्ठा किया और जानवरों के खाने की व्यवस्था की.

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इसके बाद दूसरे लोगों ने भी यहां आना शुरू किया और प्रशासन की मदद से जानवरों के खाने के चने, बिस्कुट आदि लेकर आने लगे. प्रशासन और समाजसेवियों की पूरी कोशिश है कि किसी भी जानवर को खाने पीने की दिक्कत ना हो बंदरों के अलावा दूसरे जानवरों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.

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