सरहद पर चल रहे तनाव के बीच चीन ने अब लिपुलेख पर दुस्साहस दिखाया है. चीन ने लिपुलेख के पास भी अपनी सेना तैनात कर दी है. लिपुलेख वह जगह है, जो भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं को मिलाता है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने PLA की एक बटालियन को उत्तराखंड में लिपुलेख के बिल्कुल नजदीक
तैनात किया है. यह लद्दाख सेक्टर के बाहर LAC पर मौजूद उन ठिकानों में से
एक है जहां पिछले कुछ सप्ताह में चीन के सैनिक दिखे हैं.
लिपुलेख
में चीनी सैनिकों की तैनाती यह दिखाता है कि चीन का यह दावा
गलत है कि उसने लद्दाख से अपनी सेना हटा ली है. हालांकि रिपोर्ट्स के
मुताबिक इसके जवाब में भारत ने भी एक हजार जवान अपनी सीमा पर तैनात कर दिए
हैं.
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि लिपुलेख
के चीन की सेना ने एक बटालियन को तैनात किया है, जिसमें करीब 1000 सैनिक
हैं, ये सीमा से थोड़ी ही दूरी पर हैं. उधर भारत ने भी चीनी सैनिकों के लगभग
बराबर ही अपने सैनिकों की संख्या भी बढ़ा दी है.
दरअसल, 15 जून को भारत और
चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए
थे. इस दौरान चीन के भी सैनिकों के हताहत होने की खबरें थीं, हालांकि चीन
ने संख्या का खुलासा नहीं किया था.
इधर लिपुलेख को लेकर भारत और
नेपाल के बीच सीमा विवाद तब और बढ़ा जब भारत ने 8 मई को लिपुलेख से गुजरने
वाले कैलाश मानसरोवर रोडलिंक का उद्घाटन किया.
भारत ने कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद सीमा विवाद पर वार्ता करने का
प्रस्ताव रखा था. लेकिन नेपाल ने इसके बाद कालापानी, लिपुलेख और
लिम्पियाधुरा को शामिल करते हुए नया नक्शा जारी कर दिया था.
नेपाल
नक्शा जारी करने के बाद और आक्रामक रुख अपनाता चला गया. जिससे विवाद
सुलझने के बजाय बढ़ गया. नेपाल के एक अधिकारी शरद कुमार पोखरेल
ने हाल ही में नेपाली अखबार नया पत्रिका से कहा, 'इसमें कोई शक नहीं है कि
भारत ने जिन इलाकों का जिक्र किया है, वे नेपाल की जमीन है.
हाल
ही में भारत ने इसी महीने नेपाल से अपने नागरिकों को कालापानी,
लिम्पियाधुरा और लिपुलेख में अवैध तरीके से घुसने से रोकने की अपील की थी.
दरअसल, धारचूला (पिथौरागढ़, उत्तराखंड) के उप-जिलाधिकारी ने नेपाल प्रशासन
को इस संबंध में एक पत्र लिखा था.
हालांकि नेपाल ने इस पत्र का
पलटकर जवाब भी दिया था. नेपाल के दार्चुला जिला अधिकारी टेक सिंह कुंवर ने
पत्र का जवाब देते हुए लिखा है, नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच
1818 में सुगौली संधि हुई थी. सुगौली संधि के तहत महाकाली नदी के पूर्व का
हिस्सा लिम्पियाधुरा, कुटि, कालापानी, गुंजी और लिपुलेख नेपाल के भू-भाग
में आते हैं.
नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने इस पत्र
को ट्विटर पर शेयर किया और भारत को दिए जवाब की सराहना की. कमल थापा ने
ट्वीट में लिखा, शाबाश! तमाम नेपाली नागरिक भी इस जवाब को लेकर खुशी जता
रहे हैं.
फिलहाल अब लिपुलेख को लेकर चल रहे भारत-नेपाल के बीच चीन
के सैनिकों की तैनाती एक नया घटनाक्रम है. चीन कितना भी शांति का दावा कर
ले लेकिन उसकी विस्तारवादी नीति की झलक बार-बार दिख जाती है.