कोरोना संक्रमण को देखते हुए सैनिटाइजर की उपयोगिता बढ़ गयी है. यही वजह है कि सैनिटाइजर अब बाजार से गायब हो गया है. साथ ही इसकी कालाबाजारी भी पूरे देश में होने लगी है. इसकी उपयोगिता और आवश्यकता को देखते हुए छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने WHO के गाइडलाइन के अनुरूप अल्कोहल से सैनिटाइजर बनाकर अस्पताल और शासकीय विभागों को उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी पहल की है.
कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में सैनिटाइजर की मांग इतनी ज्यादा हो गई है कि यह बाजार से लगभग गायब ही हो चुका है. बताया जा रहा है कि जो सैनिटाइजर बाजार में मिल रहा है वह कालाबाजारी के चलते लिखित मूल्य से कई गुना ज्यादा मूल्य पर बेचा जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी जो इस बीमारी से लोगों को बचाने में अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं उन्हें भी अपनी सुरक्षा के लिए सैनिटाइजर के उपयोग की लगातार जरूरत पड़ रही है.
लोगों की इस परेशानी का हल निकालने के लिए महासमुंद के सरकारी अस्पताल के जिला स्वास्थ्य सलाहकार और फार्मासिस्ट के रूप में कार्य कर चुके संदीप चंद्राकर और लैब टेक्नीशियन पंकज साहू ने WHO के गाइडलाइन के अनुसार सैनिटाइजर को तैयार किया है.
संदीप और पंकज साहू ने महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल की व्यवस्था की. इसके बाद अल्कोहल, डिस्टिल वाटर, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लिसरीन, मिलाकर पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 500 मिली लीटर सैनिटाइजर बनाया गया.
जिला अस्पताल के लैब में मात्र 10 मिनट में तैयार इस सैनिटाइजर को विशेषज्ञों के पास गुणवत्ता जांच के लिए भेजा गया. विशेषज्ञों की तरफ से सैनिटाइजर को हरी झंडी मिल गई है. इस सफलता के बाद सिविल सर्जन के निर्देश पर जरूरी रसायन को जमा कर 180 लीटर सेनिटाइजर बनाया गया है.
फार्मासिस्ट संदीप चंद्राकर का कहना है कि महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल लेकर हॉस्पिटल की लैब में इस सैनिटाइजर को तैयार किया गया है. हॉस्पिटल के लैब में बने सैनिटाइजर का मूल्य बाजार मूल्य से काफी सस्ता है.
इसका उपयोग जिले के प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस के जवान, अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी, हॉस्पिटल के मरीज भी कर रहे है. गौरतलब है कि सैनिटाइजर की कमी और काला बाजारी को देखते हुए जिला अस्पताल की टीम ने इसे बनाने का फैसला लिया, जो एक अच्छी पहल साबित भी हो रही है.