अकसर दफ्तरों में जब पार्टी होती है तो बॉस द्वारा सभी कर्मचारियों को बुलाया जाता है. कोई कर्मचारी भी पार्टी देता है तो उससे जुड़े अन्य कर्मचारियों को बुलाया जाता है. लेकिन ब्रिटेन से एक ऐसा दिलचस्प मामला सामने आया है जहां एक बॉस ने अपनी एक कर्मचारी को पार्टी में नहीं बुलाया. और इसका परिणाम बॉस को बहुत महंगा पड़ गया.
प्रतीकात्मक तस्वीर: Getty Images
दरअसल, मिरर डॉट यूके की एक रिपोर्ट मुताबिक, यह मामला ब्रिटेन का है. यहां एक कार डीलरशीप कंपनी के बॉस ने पिज्जा पार्टी की. इस पार्टी में उन्होंने सभी को बुलाया बस एक रिसेप्शनिस्ट को उन्होंने नहीं बुलाया. जब उस माहिला कर्मचारी को इस पार्टी की भनक लगी तो उसने सबक सिखाने की ठान ली.
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दिलचस्प यह भी इस कार डीलरशिप कंपनी के बॉस हर महीने अपने कर्मचारियों को एक पार्टी देते थे. इस पार्टी में लंच के तौर पर कुछ भी ऑर्डर किया जाता था. अकसर इसमें पिज्जा, मछली और चिप्स वगैरह ऑर्डर किया जाता था. इस बार उन्होंने पिज्जा पार्टी दी थी.
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लेकिन इस बार की पार्टी में लेविका नाम एक रिसेप्शनिस्ट बॉस ने नहीं बुलाया तो वह भड़क गई. लेविका अपनी शिकायत लेकर स्थानीय कोर्ट में पहुंच गई. वहां उसने अपने तर्क भी दिए. लेविका ने कहा है कि उसे जानबूझकर इस पार्टी से बाहर रखा गया क्योंकि उसने स्टाफ के एक सदस्य पर लैंगिक भेदभाव करने का आरोप लगाया था.
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इसी आरोप के बाद लेविका को महीने में होने वाली पार्टी से अलग रखा जाता था. रिपोर्ट के मुताबिक, लेविका ने अपने वेतन, काम के घंटों और अपने स्टाफ की ओर से कथित लैंगिक भेदभाव के बारे में कोर्ट में शिकायत काफी पहले की थी, इसके बाद अब कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया.
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कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए बॉस को आदेश दिया कि लेविका को मुआवजे के तौर पर 23 हजार पाउंड (करीब 24 लाख रुपये) दिया जाए और उसे ऐसी पार्टियों में जरूर बुलाया जाए. हालांकि कंपनी और बॉस की तरफ से भी कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलें रखी गईं.
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कंपनी ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि लेविका को इसलिए खाने के लिए नहीं पूछा जाता था क्योंकि वह पार्ट टाइम कर्मचारी थी और उसकी ड्यूटी दोपहर एक बजे ही खत्म हो जाती थी.
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कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि लेविका को पार्टी में ना बुलाया जाना गलत था. उसे मुआवजा दिया जाए. और इसी के साथ ही कोर्ट ने बॉस को आदेश दिया कि लेविका को तत्काल इतने पैसे दिए जाएं.
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बता दें कि कोर्ट में मामला लंबा चला. रिपोर्ट के मुताबिक, लेविका ने मार्च 2018 में शिकायत कोर्ट में की थी. उसने अपनी दलीलों में कोर्ट को साक्ष्य के तौर पर कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए. इसके बाद कोर्ट ने यह निर्णय लिया है.
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