Advertisement

ट्रेंडिंग

बिल गेट्स का प्लानः धरती से 19KM ऊपर बिछाना चाहते है चॉक की परत, जानिए वजह...

aajtak.in
  • स्टॉकहोम,
  • 24 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST
  • 1/8

अरबपति बिल गेट्स चाहते हैं कि धरती के स्ट्रैटोस्फेयर में लाखों टन चॉक (Chalk) के धूल का स्प्रे किया जाए. यानी धरती की सतह से करीब 19.36 किलोमीटर ऊपर चॉक की परत. इससे सूरज की रोशनी धरती पर कम आएगी, धरती पर हो रही ग्लोबल वॉर्मिंग में कमी आएगी. इसे लेकर एक बड़े प्रयोग की तैयारी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट कर रहे हैं. इसके लिए बिल गेट्स ने यूनिवर्सिटी को 3 मिलियन डॉलर्स यानी 21.77 करोड़ रुपए दिए हैं. (फोटोःगेटी)

  • 2/8

डेली मेल वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार इस थ्योरी को लेकर एक परीक्षण भी किया जाने वाला है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट एक बड़े से गुब्बारे में 2 किलोग्राम चॉक की धूल स्वीडन के किरूना कस्बे के ऊपर छोड़ेंगे. ये धूल धरती की सतह से 19.36 किलोमीटर ऊपर स्ट्रैटोस्फेयर में छोड़ा जाएगा. इससे ये पता किया जाएगा कि इतने चॉक से सूरज की कितनी रोशनी परावर्तित यानी रिफलेक्ट होती है. कितनी रोशनी धरती तक नहीं पहुंचती. इससे धरती कितनी ठंडी होगी. (फोटोःहगहंट)

  • 3/8

हालांकि, इस आइडिया को दुनियाभर के साइंटिस्ट बुरा भला कह रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे धरती के मौसम में भयावह परिवर्तन होगा. इस तरह की जियो-इंजीनियरिंग किसी भी तरह से धरती के लिए सही नहीं है. लेकिन बिल गेट्स की तरह कई अन्य दानदाताओं की वजह से इस प्रोजेक्ट का परीक्षण स्वीडन के किरूना कस्बे में किया जा रहा है. यह परीक्षण गर्मियों के अंत तक किया जाएगा. फिलहाल इसकी तैयारी चल रही है. (फोटोः गेटी)

Advertisement
  • 4/8

बड़े गुब्बारे के साथ 600 किलोग्राम के वैज्ञानिक उपकरण और 2 किलोग्राम चॉक भेजी जाएगी. ये चॉक की धूल 19.36 किलोमीटर की ऊंचाई पर कुछ किलोमीटर तक फैलाई जाएगी. इस गुब्बारे के साथ गए वैज्ञानिक उपकरण स्ट्रैटोस्फेयर में फैलाए गए चॉक के धूल से आंकड़ें जुटाएंगे. ये पता करेंगे कि इस धूल से कितनी रोशनी कम रिफलेक्ट होती है. कितनी रोशनी धरती पर कम जाएगी. चॉक की धूल इतनी ऊपर कितनी देर तक सूर्य की रोशनी को रोक सकती है. (फोटोः NASA)

 

  • 5/8

इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर फ्रैंक किउच ने कहा कि फिलहाल हम छोटा प्रयोग कर रहे हैं. इसके बाद हमें पता चलेगा कि इसमें कितना सफल रहे. हम ऐसा कोई प्रयोग नहीं कर रहे जिससे पूरी धरती को खतरा हो. या मौसम में किसी तरह का परिवर्तन हो. इस प्रयोग से सिर्फ कुछ आंकड़े जुटाएंगे उसके बाद इस तकनीक का क्या करना है, वो बाद में सोचेंगे. (फोटोः गेटी)

  • 6/8

फ्रैंक किउच ने कहा कि पूरी धरती पर अगर इस तरह से चॉक पर फैलानी हो तो करोड़ों टन चॉक का पाउडर लाना पड़ेगा. लेकिन ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट होगा. इससे सूरज की रोशनी और गर्मी का कुछ हिस्सा वापस अंतरिक्ष की ओर चला जाएगा. इससे फायदा ये होगा कि धरती पर ग्लोबल वॉर्मिंग कम होगी. धरती का तापमान कम होगा. 

Advertisement
  • 7/8

फ्रैंक कहते हैं कि अगर क्लाइमेट चेंज को रोकना है तो हमें ऐसे प्रयास करने पड़ेंगे. इससे ग्रीनहाउस गैस कम होगी. लेकिन अगर ऐसे प्रयास नहीं किए गए तो कुछ ही सालों में धरती का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. इससे काफी ज्यादा नुकसान होगा. उदाहरण के तौर पर आप ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों को ले सकते हैं. जहां पर लोग नहीं रहते. क्योंकि यहां पर तापमान 50.55 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. (फोटोः NASA)

  • 8/8

हालांकि कुछ वैज्ञानिक ये कह रहे हैं कि इस प्रयोग से धरती पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. सूरज की रोशनी को रोकना उसकी गर्मी को कम करना धरती के लिए ठीक नहीं है. इससे धरती के मौसम पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टुअर्ट हैसजेल्डिन ने कहा कि सूरज की रोशनी रोकने से धरती की ग्लोबल वॉर्मिंग कम नहीं होगी. ग्लोबल वॉर्मिंग के कई अन्य प्रमुख कारण हैं. (फोटोः हगहंट)

Advertisement
Advertisement