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अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कहां से आ रहा पत्थर, क्यों है खास?

aajtak.in
  • 04 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST
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अयोध्या में राम मंदिर की तैयारियां जोरों पर हैं. आगामी पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से पहले भूमिपूजन करेंगे. आइए जानते हैं राम मंदिर निर्माण के लिए किन पत्थरों को चुना गया है और वे पत्थर कहां के हैं.

(Photos: aajtak)

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दरअसल, राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बयाना में राम मंदिर बनाने के लिए पत्थरों की कटाई-छंटाई फिर से तेज हो गई है. अयोध्या में रामलला का मंदिर राजस्थान के ही पत्थरों से बनेगा. अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए यहीं के पत्थरों को चुना गया है.

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भरतपुर के बंशी पहाड़पुर के पत्थरों के बारे में मान्यता है कि इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. साथ ही यह लंबे समय तक चमकता रहता है. इतना ही नहीं इससे पहले भी भरतपुर से काफी मात्रा में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर अयोध्या आ चुका है. भरतपुर के रुदावल क्षेत्र के बंशी पहाड़पुर के पत्थर का इस्तेमाल पहले भी कई प्राचीन इमारतों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल हो चुका है.

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बंशी पहाड़पुर से निकलने वाले पत्थर की उम्र करीब 5000 वर्ष तक मानी जाती है. कहा जाता है कि इन पत्थरों पर पानी पड़ने से ये और ज्यादा निखर जाता है और हजारों वर्षों तक एक रूप में ही कायम रहता है.

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यह भी बताया गया है कि मुताबिक राम मंदिर निर्माण के लिए 4 घन फुट पत्थर की जरूरत है, जो बंशी पहाड़पुर से जा रहा है. इस वजह से यहां के लोगों में भी काफी खुशी है. क्योंकि उनके क्षेत्र का पत्थर राम मंदिर निर्माण में काम आएगा. पत्थर की नक्काशी करने वाले कारीगर भी काफी खुश हैं, क्योंकि उनके द्वारा बनाये जाने वाले पत्थर राम मंदिर बनाए जाने में इस्तेमाल होंगे.

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भरतपुर जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर बयाना उपखंड स्थित बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में चारों तरफ पहाड़ियां हैं. जिसमें से लाल पत्थर निकलता है. इस पत्थर से देश की ज्यादातर ऐतिहासिक इमारतें बनाई गई हैं. यहां से राम मंदिर निर्माण के लिए कई वर्षों से पत्थर ले जाने का काम जारी है.

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साल 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान भी बंशी पहाड़पुर काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि राम शिला पूजन के लिए ''श्री राम'' लिखी विशेष प्रकार की ईंटों का निर्माण भी यहीं से कराया गया था.

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अब भूमिपूजन के बाद यह तय है कि पत्थर भेजने का काम एक बार फिर से तेज गति से शुरू होगा. इसके साथ ही भारी संख्या में यहां के कारीगर मंदिर निर्माण में काम आने वाले पत्थरों की नक्काशी के काम में लग गए हैं.

(इनपुट- सुरेश फौजदार, भरतपुर से)

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