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80 की उम्र में 80 पोर्श कारों के मालिक बने ये शख्स, कंपनी भी है इनकी मुरीद

aajtak.in
  • 23 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST
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उम्र तो महज एक संख्या है ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी लेकिन वियना के रहने वाले शख्स ओटोकार जे से ने ये साबित कर दिया है कि अगर सच में इच्छा हो तो उम्र बस एक नंबर ही है. ओटोकार 80 की उम्र में 80 लग्जरी पोर्श कारों के मालिक बन गए हैं. (सभी तस्वीरें - Getty)

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उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस बुजुर्ग की पोर्श कारों की संख्या भी उसी हिसाब से बढ़ रही है. दशकों में खरीदी गई 80 पोर्श कारों की सीरीज को पूरा करने के लिए इन्होंने एक चमचमाते नीले रंग में पोर्श बॉक्सस्टर स्पाइडर कार खरीदी है. इस उम्र में भी बुजुर्ग ओटोकार, हाथ में सिगार लिए हुए अपनी पोर्श कारों में खुली सड़क पर रफ्तार भरना पसंद करते हैं. यदि दुनिया में कभी पोर्श प्रशंसकों की कोई सूची बनती है तो उसमें उनका नाम ऊपर आना तय है.

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ओटोकार कहते हैं कि पोर्श के लिए उनका जुनून लगभग 50 साल पहले शुरू हुआ था जब एक ऐसी ही कार को उन्होंने अपने घर के पिछले हिस्से में रफ्तार भरते हुए देखा था. कार की रफ्तार देखकर उनके भीतर भी कुछ हलचल हुई. अगले कुछ वर्षों में, उन्होंने पैसे बचाना शुरू कर दिया और अंततः स्पीड येलो 911 ई खरीदा. यह उनकी पहली पोर्श कार थी.

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बाद के दशकों में ओटोकार ने एक 917, एक दुर्लभ आठ-सिलेंडर इंजन के साथ 910, 904 को अपने मूल फ्यूहरमन इंजन और 956 के साथ जोड़ा.  उन्होंने 80 पोर्श कारों को खरीदा और वर्तमान में 38 कारों के मालिक हैं. उन्होंने कहा मैं महीने के हर दिन अलग-अलग पोर्श ड्राइव कर सकता हूं और वीकेंड पर दो पोर्श कारें चला सकता हूं.

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उन्होंने बताया बेशक, जुनून सिर्फ इन वाहनों को खरीदने में नहीं है, बल्कि उन्हें ड्राइविंग में भी है. उन्होंने कहा इन कारों को रखने के लिए बड़े गेराज की जरूरत थी. बाद में उन्हें इसके लिए एक पूरी इमारत बनवानी पड़ी.  ओटोकर ने अपनी पोर्श कारों के लिए एक अलग स्पेशल इमारत बनाई है और इसे अपना 'लिविंग रूम' मानते हैं.

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उनकी पोर्श सीरीज की सभी कारों को यहीं रखा जाता है जो लोगों को दूर से एक खिलौने की दुकान जैसा लगता है. पोर्श कारों को दोनों तरफ लाइन में खड़ा किया गया है. इसमें रेसिंग कार भी शामिल है. इस कार को बनाने वाली कंपनी भी ओटोकार का बेहद सम्मान करती है. वो स्वीकार करते हैं कि ये सुंदरियां सिर्फ मशीनें हैं जब तक कि एक मानव इसे अपना स्पर्श और प्यार नहीं देता है. लोगों के बिना, कारें सिर्फ कारें हैं. यह ऐसे लोग हैं जो इन मशीनों को सांस देते हैं.

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