Advertisement

ट्रेंडिंग

नदी में उभरे 500 साल पुराने मंदिर की क्या है कहानी, देखने उमड़े लोग

aajtak.in
  • 13 जून 2020,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST
  • 1/10

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के नयागढ़ स्थित महानदी में 500 साल पुराना मंदिर दिखाई दिया है. यह मंदिर अचानक नदी में उभरकर ऊपर आ गया है. इसे गोपीनाथ का अति प्राचीन मंदिर बताया जा रहा है. हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि यह कुछ साल पहले भी दिखाई दिया था. इसको देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई.
 

(Photos: Deepak kumar nayak)

  • 2/10

दरअसल, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की महानदी वैली हेरिटेज साइट्स डॉक्यूमेंटेशन के एक प्रोजेक्ट के दौरान यह घटना सामने आई है. इस प्रोजेक्ट के असिस्टेंट दीपक कुमार नायक ने इसके बारे में अपने फेसबुक पर विस्तार से बताया है. उन्होंने इससे जुड़ी तस्वीरें भी साझा की हैं.

  • 3/10

दीपक कुमार नायक ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में रुचि रखने वाले रवीन्द्र कुमार की मदद से इस साइट का मुआयना किया और बताया कि इस जगह पर गोपीनाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का ही मंदिर था.

Advertisement
  • 4/10

उधर इस खबर के सामने आते ही अब इस जगह को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. कुछ लोगों ने यह बताया कि पहले इस जगह पर पद्मावती गांव था. यह पद्मावती गांव का मंदिर है.

  • 5/10

दीपक कुमार नायक ने अपने खोज के माध्यम से बताया कि अतीत में पद्मवती गांव सतपतना का हिस्सा था, अर्थात 7 गांव का गठजोड़. लेकिन 19वीं शताब्दी में एक बाढ़ के कारण धीरे-धीरे पद्मावती गांव ने गहरे जल में समाधि ले ली. इसके बाद यहां के लोग ऊंचे स्थानों पर जा बसे. हालांकि बहुत से लोगों ने उसके चारों ओर अपना डेरा जमाए रखा और वो अंत तक वहीं पर बसे रहे.

  • 6/10

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि प्राचीन काल में उस जगह करीब 22 मंदिर थे. अकेला यही गोपीनाथ मंदिर का कुछ भाग ही पानी का स्तर कम होने पर इसलिए दिखाई देता था, क्योंकि यह उस समय का सबसे बड़ा मंदिर था.

Advertisement
  • 7/10

दीपक कुमार नायक ने यह भी लिखा कि कई बार वहां जाने के बावजूद विभिन्न कारणों से हम इसकी खोज नहीं कर पाए. लेकिन 7 जून को अचानक उनके मित्र राणा ने उन्हें बताया कि मंदिर का ऊपरी भाग अब नदी में कुछ दिनों से दिखने लगा है.

  • 8/10

इसके बाद दीपक वहां पहुंचे और उन्होंने यह सब देखा और कैमरे में कैद किया. हालांकि इसके लिए उन्हें नाव तक का भी सहारा लेना पड़ा. अपने फेसबुक पोस्ट में दीपक लिखते हैं कि गोपीनाथ मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला पत्थर वही लग रहा है जिनका प्रयोग 15वीं और 16वीं शताब्दी में मंदिरों को बनाने के लिए किया जाता था.

  • 9/10

इसके अलावा वे उन जगहों पर गए जहां गोपीनाथ की पूजा की जाती है. इससे पहले भी 11 वर्ष पूर्व गोपीनाथ मंदिर का कुछ भाग दिखाई दिया था. लेकिन तब यह बहुत कम समय के लिए उभरा था.

Advertisement
  • 10/10

महानदी प्रोजेक्ट के प्रमुख अनिल धीर ने बताया कि इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज (इनटाक) की तरफ से डॉक्यूमेंटेशन ऑफ दि हेरिटेज आफ दि महानदी रिवर वैली प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. छत्तीसगढ़ से महानदी के निकलने वाले स्थान से जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तक 1700 किमी. (दोनों तरफ) के किनारे से 5 से 7 किमी. के बीच सभी पुरानी कृतियों की पहचान और रिकार्डिंग की जा रही है; फरवरी में इसकी सूची प्रकाशित की जाएगी.

Advertisement
Advertisement