सावधान! WhatsApp यूजर्स QR Code के साथ ना करें ये काम, सरकारी एजेंसी ने दी दूर रहने की सलाह

WhatsApp यूजर्स के लिए एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है, जिसमें यूजर्स को QR Code से दूर रहने को कहा है. दरअसल, गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसी I4C ने एडवाइजरी जारी करके लोगों को 'म्यूल WhatsApp अकाउंट' से दूर रहने को कहा है, जो साइबर क्राइम में यूज किए जाते हैं. आइये इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

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WhatsApp यूजर्स के लिए जरूरी एडवाइजरी. (Photo: Unsplash) WhatsApp यूजर्स के लिए जरूरी एडवाइजरी. (Photo: Unsplash)

रोहित कुमार

  • नई दिल्ली ,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

WhatsApp यूजर्स के लिए सरकारी एजेंसी ने एक जरूरी वॉर्निंग जारी है. इस वॉर्निंग के तहत लोगों को WhatsApp से होने वाले फ्रॉड से दूर रहने को कहा है. ये जरूरी एडवाइजरी गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसी इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने दी है.

साइबर ठग भोले-भाले लोगों को शिकार बनाने के लिए जल्दी मोटी कमाई करने का लालच देते हैं. इसके बाद उनके WhasApp अकाउंट पर कब्जा कर लेते हैं. ठगी का यह बेहद सिंपल तरीका है और इसकी वजह से दुनियाभर के लोगों के बैंक अकाउंट खाली हो रहे हैं.

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एडवाइजरी के मुताबिक, ऐसे अकाउंट्स को असल में किराए पर लिए गए 'म्यूल WhatsApp अकाउंट' के जैसे यूज किया जाता है. यहां तक कि आपके अकाउंट से दूसरे लोगों को शिकार तक बनाया जा सकता है. 

QR Code स्कैन करने के लिए दबाव बनाते हैं

स्कैमर्स लोगों को फेक QR कोड स्कैन करने को कहते हैं, जो असल में WhatsApp Web का क्यूआर कोड होता है. इसके लिए सिंपल टास्क, या फिर मोटी कमाई आदि का लालच देते हैं. इसके बाद वे विक्टिम को QR कोड स्कैन करने कहते हैं और चोरी छिपे WhatsApp का एक्सेस हासिल कर लेते हैं. 

'म्यूल WhatsApp अकाउंट' स्कैम कैसे काम करता है? 

I4C एजेंसी ने बताया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ फेक अकाउंट कमाई करने या सिंपल टास्क के बदले कमाई करने का लालच देते हैं. 

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साइबर ठग ऐसे बनाते हैं लोगों को शिकार. (Photo: i4c.mha.gov.in/)

सोशल मीडिया पोस्ट में एक QR Code स्कैनर भी देते हैं. इस कोड को WhatsApp Link के जरिए स्कैन करने को कहते हैं. जैसे ही यूजर्स QR Code को स्कैन करते हैं, उनका WhatsApp का एक्सेस साइबर ठगों के पास पहुंच जाता है. 

ग्रुप में कर सकते हैं शामिल 

साइबर ठग इसके बाद फेक इनवेस्टमेंट ग्रुप में शामिल कर लेते हैं. फिर यूजर्स को वहां बहुत से फेक लोग नजर आते हैं, जो फर्जी दावे करते हैं कि वह कुछ दिनों में करोड़पति बन गए. रातों-रात करोड़पति बनने के लालच में बहुत से लोग फंस जाते हैं.

इनवेस्टमेंट स्कैम ग्रुप में शामिल कर लेते हैं. (Photo: i4c.mha.gov.in/)

इनवाइट के जरिए भी लोगों को इस तरह के ग्रुप में शामिल किया जाता है. कई बार तो कुछ अकाउंट्स में सेलिब्रिटी के फोटोज का यूज किया जाता है. 

म्यूल WhatsApp अकाउंट्स स्कैम में होते हैं यूज 

I4C ने अपनी एडवाइजरी में कहा कि म्यूल WhatsApp अकाउंट्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर स्कैम (फिशिंग, पेमेंट फ्रॉड, आगे म्यूल्स की भर्ती) चलाने के लिए किया जाता है. एक बार WhatsApp अकाउंट का एक्सेस मिलते ही साइबर ठगों की टीम उसका यूज फर्जी लिंक भेजने, कॉन्टैक्ट्स से पैसे मांगने और नए लोगों को इसी स्कैम में फंसाने में लग जाते हैं. स्कैमर्स इसके लिए खतरनाक APKs  फाइल्स भी सेंड कर सकते हैं. 

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भाई-बहन और रिश्तेदारों के लिए खतरनाक 

WhatsApp अकाउंट एक शख्स की पहचान है. एक गलती की वजह से दूसरे के पास उस अकाउंट का एक्सेस पहुंच जाता है तो यह आपके परिचित लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. साइबर ठग WhatsApp का यूज करके दोस्तों, रिश्तेदारों और भाई-बहनों को शिकार बना सकते हैं. ठग उनको मैसेज करके रुपये मांग सकते हैं या फिर उनसे OTP आदि मांगकर उनका भी बैंक खाता खाली कर सकते हैं. 

यह भी पढ़ें: WhatsApp पर करते हैं ये काम, तो कभी-भी बैन हो जाएगा अकाउंट

बचाव के लिए क्या करें? 

बचाव के लिए जरूरी है कि फेक अकाउंट को पहचाने. फेक अकाउंट्स को पहचानना आसान है, ज्यादातर समय साइबर ठग सिंपल टास्क को कंप्लीट करने पर कमाई का लालच देते हैं. साथ ही इसमें वे एक इमरजेंसी दिखाते हैं. 

अगर गलती से या अनजाने में WhatsApp Link डिवाइस की मदद से दूसरे को एक्सेस दे दिया है तो उसे तुरंत रिमूव कर दें. इसके लिए व्हाट्सऐप यूजर्स को सेटिंग्स में जाकर लिंक डिवाइस पर क्लिक करके सेशन चेक करना होगा.  अगर कोई अनजान या संदिग्ध लॉगइन डिटेल्स नजर आती है तो उस पर टैप करके रखें और लॉगआउट करके रखें. 

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WhatsApp को किराए पर ना दें

I4C ने अपनी एडवाइजरी में क्लियर कर दिया है कि यूजर्स किसी भी ऐसी स्कीम का पार्ट ना बनें, जिसमें उनके WhatsApp अकाउंट को किराए पर लेने या लिंक करने के बदले पेमेंट देने की बात कही जाती है. 

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