क्या फेसबुक के कर्मचारी अपने बॉस यानी कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग से नाराज हैं? दरअसल गाल्सडोर की टॉप-100 सीईओ की लिस्ट में मार्क जकरबर्ग का नाम नहीं है. ग्लासडोर की ये लिस्ट कंपनी के कर्माचारियों के अप्रूवल रेटिंग के बाद तय किया जाता है. इस लिस्ट के टॉप-10 में दो भारतीय मूल के सीईओ हैं.
गौरतलब है कि ग्लासडोर हर साल टॉप-100 सीईओ की लिस्ट जारी करता है. 2013 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ है जब इस लिस्ट में मार्क जकरबर्ग को जगह नहीं मिली है. पहली बार उन्हें इस लिस्ट में 2013 में ही रखा गया था. ग्लासडोर की इस लिस्ट में Adobe के शांतनु नारायन 99% अप्रूवल रेटिंग के साथ दूसरे नंबर पर हैं.
ग्लासडोर की बात करें तो ये एक जॉब सर्च वेबसाइट है. जिस तरह से फॉर्चून और फोर्ब्स हर साल दुनिया के अमीरों की लिस्ट जारी करते हैं ग्लासडोर भी उसी तरह से हर साल टॉप-100 सीईओ की लिस्ट जारी करता है. लिस्ट में शामिल होने के लिए फेसबुक में काम करने वाले लोगों से सर्वे कराया गया था.
ग्लासडोर ने ये सर्वे फेसबुक के कर्मचारियों से मई 2020 से से मई 2021 के बीच कराया है. इस सर्वे से ये निकल कर आ रहा है कि 2019 में जकरबर्ग की रेटिंग 94% थी जो 2021 में घट कर 89% हो गई है. पिछले कुछ सालों से अमेरिका के कई सांसदों ने ये मांग की थी कि फेसबुक का कंट्रोल एक शख्स के हाथ में नहीं रहना चाहिए. बात यहां तक थी कि फेसबुक को अलग अलग हिस्सों में बांट कर मार्क जकरबर्ग को अपना सीईओ पद छोड़ देना चाहिए, क्योंकि ऐसे एकाधिकारवाद हो रहा है. बहरहाल ऐसा नहीं हुआ.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लास्डोर ने फेसबुक के 700 कर्मचारियों का सर्वे किया है. जहां तक कंपनी के टोटल कर्माचारियों का सवाल है तो फेसबुक के पास तकरीबन 60 हजार कर्माचारी हैं. चूंकि ग्लासडोर के सर्वे पर भरोसा किया जाता है और इस जॉब सर्च पोर्टल पर कंपनी की अप्रूवल भी डिस्प्ले होती है, इसलिए ये लिस्ट मायने रखती है.
टॉप रेटेड सीईओ की बात करें तो इसमें नंबर-1 पर रिच लेसर का नाम है जो बॉस्टन कंस्लटिंग ग्रुप के हैं और इन्हें 99% की अप्रूवल रेटिंग मिली है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला इस लिस्ट में छठे नंबर पर हैं और उन्हें 97% की अप्रूवल रेटिंग हासिल हुई है.
ऐपल के सीईओ टिम कुक की बात करें तो इस लिस्ट में वो 32वें पायदान पर हैं और उनका स्कोर 95% है. पिछले साल कंपनी ने कोरोना की वजह से लिस्ट जारी नहीं की थी. रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोस्डोर अपने सर्वे में कंपनी के कर्मचारियों से तीन सवाल करती है. इनमें अप्रूव, डिसअप्रूव और नो ओपिनियन का ऑप्शन होता है.
जाहिर ये मार्क जकरबर्ग के लिए एक बड़े सेटबैक के तौर पर देखा जा सकता है. पिछले कुछ समय से फेसबुक पर दुनिया भर में कई तरह के आरोप भी लगते आए हैं.