PM नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया 'डिजिटल इंडिया', मिलेगा 18 लाख लोगों को रोजगार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार से डिजिटल इंडिया वीक की शुरुआत कर रहे हैं. पीएम दिल्ली में देश और दुनिया के दिग्गजों उद्योगपतियों के साथ इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे. डिजिटल इंडिया के जरिए भारत के हर गांव-शहर को इंटरनेट की सुविधा से जोड़ने की योजना है ताकि जिंदगी से जुड़ी सुविधाएं ऑनलाइन मिल सके.

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PM Narendra Modi PM Narendra Modi

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2015,
  • अपडेटेड 8:23 AM IST

भारत के हर गांव-हर शहर को इंटरनेट से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना 'डिजिटल इंडिया' बुधवार को लॉन्च हो गई. 'डिजिटल इंडिया वीक' के तौर पर देश में एक हफ्ते तक इससे जुड़ा कार्यक्रम चलेगा. दिल्ली के इंदिरा गांधी एरेना में देश-दुनिया के दिग्गज उद्योगपतियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया और 'डिजिटल इंडिया' के अपने सपने की अवधारणा सबसे साझा की.

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डिजिटल इंडिया का मकसद लोगों को इंटरनेट से जोड़ना है ताकि उन्हें दैनिक जीवन से जुड़ी सुविधाएं ऑनलाइन मिल सके. इसके तहत अस्पतालों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी और कई शहरों को वाई-फाई किया जाएगा.

M-गवर्नेंस भी देखेगा देश: मोदी
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल ताकत को समझना समय की मांग है और अगर यह नहीं किया गया तो दुनिया बहुत आगे निकल जाएगी और हम पीछे रह जाएंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश 'एम-गवर्नेंस' में बदलने वाला है. इसका मतलब मोदी गवर्नेंस से नहीं, मोबाइल-गवर्नेंस से है. पूरी सरकार आपके मोबाइल में कैद होने वाली है.

उन्होंने कहा, 'रविशंकर प्रसाद जी ने बताया कि इससे साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा और करीब 18 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.'

'अब कलम नहीं, हाथ से मोबाइल खींचता है बच्चा'
PM मोदी ने कहा, 'समय तेजी से बदल चुका है. पहले आप घरों में जाते थे और कोई बच्चा होता था तो वह आपका पेन खींचता था, चश्मा खींचता था. लेकिन अब वह सबसे पहले मोबाइल छीनने लगता है. वह बाकी कुछ समझे न समझे, डिजिटल ताकत को समझता है. समय की मांग है कि हम इस बदलाव को समझें. अगर हम इसे नहीं समझेंगे तो हम देखते रह जाएंगे और दुनिया कहीं दूर निकल जाएगी.'

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उन्होंने कहा, 'अब मानव जाति वहीं बसेगी, जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरता होगा. अब भी एक बड़ा तबका डिजिटल दुनिया से जुड़ा नहीं है. लेकिन जो वंचित है और खुद उससे नहीं जुड़ सकता, क्या उसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए? ऐसा 'डिजिटिल डिवाइड' जो खाई पैदा करेगा वह अमीर-गरीब की खाई से भी बड़ी होगी.'

 

'इलेक्ट्रॉनिक सामान का आयात कम हो'
साइबर सिक्योरिटी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'दुनिया में रक्तविहीन युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं. इसमें सुख-चैन की जिंदगी भारत जी सकें, क्या भारत इसका नेतृत्व कर सकता है या नहीं? क्या रक्तविहीन युद्ध से सुरक्षा देने में भारत का टैलेंट मदद कर सकता है?' उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम या कुछ और चीजों पर भारत आयात करने के लिए मजबूर है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सामानों का इतनी बड़ी मात्रा में आयात ठीक नहीं है. डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाते हुए हम इलेक्ट्रॉनिक सामान के आयात को कम करके इस मामले में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करेंगे.

अंबानी से लेकर टाटा-बिड़ला तक रहे मौजूद
डिजिटल इंडिया वीक
पर ई-हेल्थ, ई-एजुकेशन और डिजिटल लॉकर जैसी योजनाओं को लॉन्च किया गया. पीएम के साथ कार्यक्रम में मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, सायरस मिस्त्री, सुनील भारती मित्तल, अजीम प्रेमजी, कुमारमंगलम बिड़ला समेत कई बड़े उद्योगपति मौजूद हैं. इसके अलावा कई ग्लोबल बिजनेस लीडर्स ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की. सरकार डिजिटल इंडिया अभियान के जरिए बड़े पैमाने पर भारत में निवेश लाने की कोशिश में है.

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इंदौर के दो गांव को शुरुआती लाभ
सरकार ने डिजिटल इंडिया के लिए 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. पिछले साल अगस्त में सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान को लॉन्च किया था. प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंदौर की दो ग्राम पंचायतों को डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट से जोड़ेंगे. इसका मकसद ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने का है.

सरकार इसके जरिए ई-गर्वनेंस को भी बढ़ावा देना चाहती है. इंदौर में इस प्रोजेक्ट के तहत 35 किलोमीटर के दायरे में आनेवाले दस ग्राम पंचायतों को हाइस्पीड इंटरनेट सर्विस से जोड़ा जाएगा. साथ ही 335 ग्राम पंचायतों को हाइस्पीड इंटरनेट सर्विस से जोड़ने का काम लगभग पूरा होने को है.

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