मिडिल क्लास का बोझ कम करेंगे अरुण जेटली, टैक्स चोरों पर टेढ़ी नजर

वित्त मंत्री अरूण जेटली वेतनभोगी और मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. फरवरी 2015 में अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने जा रहे वित्तमंत्री मंत्री ने कहा कि टैक्स चोरी करने वालों को इसके दायरे में लाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा, 'वास्तव में हम चाहेंगे कि करदाताओं के जेब में ज्यादा पैसा हो जिससे वे ज्यादा खर्च करेंगे और अप्रत्यक्ष टैक्स संग्रह बढ़ेगा.'

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अरुण जेटली (फाइल फोटो) अरुण जेटली (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST

वित्त मंत्री अरूण जेटली वेतनभोगी और मिडिल क्लास पर टैक्स का बोझ बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. फरवरी 2015 में अपना पहला पूर्ण बजट पेश करने जा रहे वित्तमंत्री मंत्री ने कहा कि टैक्स चोरी करने वालों को इसके दायरे में लाने के लिये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने कहा, 'वास्तव में हम चाहेंगे कि करदाताओं के जेब में ज्यादा पैसा हो जिससे वे ज्यादा खर्च करेंगे और अप्रत्यक्ष टैक्स संग्रह बढ़ेगा .'

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उन्होंने कहा, 'टैक्स आधार बढ़ाने का आखिर क्या मतलब है? मैं भी उतना ही अप्रत्यक्ष कर देता हूं जितना कि मेरा सहायक देता है. हमारी खपत की मात्रा अलग-अलग हो सकती है. इसीलिए हर कोई अप्रत्यक्ष कर दे रहा है. और वास्तव में आज आपके करीब आधे कर अप्रत्यक्ष कर हैं, आप उत्पाद शुल्क देते हैं, सीमा शुल्क देते हैं, सेवा कर देते हैं. अब जहां तक आयकर का सवाल है, इसमें कर दायरा बढ़ाने के लिये मैं कर चोरी करने वालों को इसके दायरे में लाने का समर्थन करता हूं.'

बजट में राजस्व बढ़ाने के लिये टैक्स आधार बढ़ाने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'पिछले बजट में आयकर छूट सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी और अगर धन की कमी नहीं होती, तो इस सीमा को और बढ़ाते.'

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अरूण जेटली ने कहा, '2.5 लाख रुपये की आयकर छूट सीमा के बारे में जब हम बात करते हैं, सभी कटौतियों को शामिल करते हुए, जो हमने दी हैं, आज 3.5 से 4 लाख रुपये सालाना कमाई वाले को टैक्स नहीं देना पड़ता है. इस लिहाज से मौटे तौर पर हम उस स्थिति में पहुंच गये हैं.'

वित्तमंत्री ने कहा, 'अगर आज कोई 35,000 से 40,000 रुपये कमाता है और वह कुछ बचत करता है तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ता है. लेकिन जिन लोगों की कमाई इस वर्ग में है वे कहते हैं कि रहन-सहन के खर्चे, परिवहन लागत, बच्चों की स्कूल फीस के बाद वे कुछ बचा ही नहीं पाते हैं.'

मंत्री ने कहा कि इसीलिए कर दायरा बढ़ाने के लिये विभिन्न छूटों को कम करने के पक्ष में नहीं हूं. उन्होंने कहा, 'मेरी यह इच्छा है कि अगर मेरे हिसाब से चीजें हुई और मेरी जेब में और पैसे हुए तो मैं इसे बढ़ाना चाहूंगा. लेकिन आज राजस्व की स्थिति चुनौतीपूर्ण है. पिछली बार, मैंने कई छूट दी जो वास्तव में मेरी क्षमता से बाहर थी.'

'जो लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं, उन्हें इसके दायरे में लाना सही होगा. लेकिन कमजोर वर्ग को टैक्स दायरे में लाना, आज की नीति नहीं हो सकती. वास्तव में अगर आप उनकी जेब में अतिरिक्त पैसा डालते हैं और उन्हें खर्च करने की छूट देते हैं, तो मुझे ज्यादा अप्रत्यक्ष कर मिलेगा और मैं ज्यादा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकूंगा.'

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देश में काले धन के बारे में उन्होंने कहा, 'यह बड़ी मात्रा में है और इसका आसानी से पता लगाया जा सकता है. क्योंकि आप रीयल एस्टेट में जाएं, जमीन की खरीद-फरोख्त देखें, खनन क्षेत्र में जायें, आभूषण देखें, लक्जरी सामान देखें, तो आप इसमें घरेलू काला धन पाएंगे. आप शिक्षण संस्थानों में जाइये, आपको यह वहां मिलेगा. इसलिए इसमें खरीदार और पाने वाले का पता लगाना बेहद आसान है.'

- इनपुट भाषा से

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