ट्रंप के दौरे से 6 न्यूक्लियर रिएक्टर्स पर आगे बढ़ सकता है काम

वेस्टिंगहाउस शुरू से भारत को एपी1000 रिएक्टर्स सप्लाई करना चाहता है. वेस्टिंगहाउस ने यही रिएक्टर्स चीन को भी दिए हैं. लेकिन 2017 में वेस्टिंगहाउस के दिवालिया घोषित होने के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ गया. 2018 में कनाडा की कंपनी ब्रूकफिल्ड एसेट मैनेजमेंट ने तोशिबा से वेस्टिंगहाउस को खरीद लिया. तब से भारत के साथ न्यूक्लियर एग्रीमेंट के आगे बढ़ने की उम्मीदें बढ़ी हैं.

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साल 2008 से न्यूक्लियर डील समझौता अटका है (फाइल फोटो-IANS) साल 2008 से न्यूक्लियर डील समझौता अटका है (फाइल फोटो-IANS)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

  • बंद पड़े प्रोजेक्ट को जान मिलने की उम्मीद
  • लायबिलिटी पॉलिसी पर आगे बढ़े दोनों देश

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान उन 6 न्यूक्लियर रिएक्टर्स पर काम आगे बढ़ सकता है जो 2008 के परमाणु समझौते के वक्त से अटका है. भारत की सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन लि. (एनपीसीएल) और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस के बीच इस पर समझौता होने के आसार हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस समझौते से कई साल से बंद पड़े प्रोजेक्ट को नई जान मिलने की उम्मीद है.

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अगर यह समझौता होता है तो दक्षिण भारत के कोवाड्डा में बनाए जाने वाले रिएक्टरों के लिए एक समयसीमा तय होगी और भारत के परमाणु दायित्व कानून पर भारत की चिंताएं भी दूर होंगी. बता दें, अमेरिका साल 2008 से भारत को न्यूक्लियर रिएक्टर्स बेचने की बात करता है, जब दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर एनर्जी डील हुई थी. पिछले साल दोनों देशों ने साझा तौर पर ऐलान किया था कि 6 न्यूक्लियर रिएक्टर्स लगाने के लिए भारत और अमेरिका प्रतिबद्ध हैं. पिछले हफ्ते वेस्टिंगहाउस का एक दल भारत भी आया था जिसमें न्यूक्लियर एक्सपोर्ट बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा की गई थी.

NPCL से हुई है बात

अमेरिकी ऊर्जा विभाग की अधिकारी रीता बरनवाल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वेस्टिंगहाउस और एनपीसीआईएल के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हो सकता है. इस पर हस्ताक्षर होते ही दोनों देश समझौते पर आगे बढ़ेंगे. हालांकि वेस्टिंगहाउस की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए वेस्टिंगहाउस और एनपीसीआईएल के बीच बातचीत हुई है.

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चुनाव बाद होंगे बड़े समझौते

इस समझौते को इस बात से भी बल मिलता है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को शीर्ष प्राथमिकता में रखा है. राष्ट्रपति ट्रंप भारत में कृषि उत्पादों से लेकर मोटरसाइकिल तक के बाजार पर निगाह लगाए हुए हैं. हालांकि अभी बड़ी-बड़ी डील नहीं होने जा रही क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप खुद ऐलान कर चुके हैं कि बड़े व्यापारिक समझौते अमेरिकी चुनाव के बाद ही हो पाएंगे. दोनों देशों के बीच जहां तक एटमी डील की बात है तो अमेरिका ने भारत के साथ सिविल न्यूक्लियर डील (ऊर्जा क्षेत्र में) तो की है लेकिन उसने भारत को न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम (एटमी हथियार संबंधी) देने से इनकार कर दिया है. चूंकि यह मुद्दा काफी संवदेनशील है, इसलिए दोनों देश फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ा रहे हैं.

लायबिलिटी पॉलिसी पर फंसी बात

पीट्सबर्ग स्थित वेस्टिंगहाउस शुरू से भारत को एपी1000 रिएक्टर्स सप्लाई करना चाहता है. वेस्टिंगहाउस ने यही रिएक्टर्स चीन को भी दिए हैं. लेकिन 2017 में वेस्टिंगहाउस के दिवालिया घोषित होने के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ गया. 2018 में कनाडा की कंपनी ब्रूकफिल्ड एसेट मैनेजमेंट ने तोशिबा से वेस्टिंगहाउस को खरीद लिया. तब से भारत के साथ न्यूक्लियर एग्रीमेंट के आगे बढ़ने की उम्मीदें बढ़ी हैं. हालांकि दोनों देशों में लायबिलिटी पॉलिसी को लेकर बात फंस रही है. इसमें किसी एटमी हादसे के वक्त पूरी जिम्मेदारी सप्लायर कंपनी पर मढ़ने की बात है न कि प्लांट के ऑपरेटर की इसकी जवाबदेही होगी. यह मामला फंसा हुआ है लेकिन इस पर चर्चा कर इसे सुलझा लेने की उम्मीद है. नरेंद्र मोदी सरकार ने इसके लिए इंस्योरेंस फंड बनाने की बात कही है. भारत और अमेरिका के बीच इस पर कुछ सहमति भी बन चुकी है.

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भारत का सोलर पॉवर पर ज्यादा ध्यान

भारत को भरोसा है कि 2031 तक एटमी पावर स्टेशनों से 22,480 मेगावाट बिजली पैदा होगी जो 2019 के 6780 मेगावाट के स्तर से ज्यादा होगी. लेकिन हाल के वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी से पैदा की गई बिजली की लागत में जैसी गिरावट आई है, उससे सरकार का ध्यान उस ओर ज्यादा आकर्षित हुआ है. बताया जा रहा है कि सरकार न्यूक्लियर पॉवर पर निर्भरता कम ही बढ़ाएगी. सरकार का ध्यान सौर ऊर्जा पर ज्यादा है लेकिन एटमी ऊर्जा बढ़ाने में भी उसकी दिलचस्पी देखी जा रही है क्योंकि ऊर्जा का यह साफ-सुथरा माध्यम है.

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