अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आ रहे हैं. ट्रंप ने तीन साल पहले सत्ता संभाली थी. भारत, दक्षिण एशिया का दूसरा देश है जिसके दौरे पर राष्ट्रपति ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप आ रहे हैं. भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति ट्रंप का स्वागत करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी में अच्छी दोस्ती है. वे अलग-अलग पृष्ठभूमि के हैं- डोनाल्ड ट्रंप एक प्रॉपर्टी टाइकून के बेटे हैं, जबकि नरेंद्र मोदी एक गरीब चाय बेचने वाले के वंशज हैं. कई गहरी असमानताओं के बावजूद दोनों नेता एक-दूसरे से कई समानताएं भी साझा करते हैं. जैसे कि अपने-अपने देशों में दोनों नेता दक्षिणपंथी राष्ट्रवादियों से प्यार करते हैं. शायद यही कारण है कि दोनों नेता एक दूसरे से करीबी व्यक्तिगत संबंध बनाए हुए हैं.
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वॉशिंगटन स्थित विल्सन सेंटर के माइकल कुगलमैन ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, ट्रंप और नरेंद्र मोदी में कई बातें कॉमन हैं. यही कारण है कि दोनों नेताओं में अच्छी केमिस्ट्री देखने को मिलती है. दोनों नेताओं ने जब से अपने-अपने देशों में सत्ता संभाली है, तब से इनकी तुलना काफी प्रमुखता से की जाती रही है. नरेंद्र मोदी 2014 में जबकि डोनाल्ड ट्रंप 2017 में सत्ता में आए. तब से दोनों की लोकप्रियता शिखर पर बनी हुई है. राष्ट्रपति ट्रंप (73) और प्रधानमंत्री मोदी (69) की लोकप्रियता उनकी रैलियों या जनसभाओं में देखी जा सकती है. अपार भीड़ को संबोधित करते हुए दोनों नेता अपने प्रशंसकों को काफी आकर्षित करते हैं. दोनों नेताओं के चेहरे और उनके राजनीतिक अभियानों के साथ एक अलग प्रकार का व्यक्तित्व उभरा है जिसके पीछे लोगों का बड़ा जनसमूह स्वतः खिंचा चला आता है.
राष्ट्रवादी नीतियों की समानताएं
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप राष्ट्रवादी और संरक्षवादी नीतियों को अपने-अपने स्तर पर आगे बढ़ाते रहे हैं. ट्रंप ने जहां अमेरिका में माइग्रेंट लोगों के खिलाफ सख्ती बरती और उनकी आवाजाही पर पाबंदी लगाई. वहीं नरेंद्र मोदी ने भारत में घुसपैठियों को रोकने के लिए नीतिगत फैसले किए. ट्रंप की माइग्रेंट पॉलिसी से सबसे ज्यादा असर मुस्लिम समुदाय पर देखने को मिला. कुछ ऐसा ही असर भारत में भी पीएम मोदी की नीतियों से देखने को मिल रहा है. भारत में नरेंद्र मोदी के आलोचक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को इस नीति का जीता-जागता उदाहरण मानते हैं.
'अमेरिका फर्स्ट' और 'मेक इन इंडिया'
दोनों नेता अपने-अपने देशों में राष्ट्रवादी और व्यापार संरक्षणवादी आंदोलनों को तरजीह देते रहे हैं. ट्रंप ने जहां 'अमेरिका फर्स्ट' का नारा दिया तो नरेंद्र मोदी ने 'मेक इन इंडिया' की अवधारणा को एक आंदोलन का रूप दिया है. दोनों नेता दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व करते हैं और दोनों उन चार सशक्त देशों का हिस्सा हैं जिनमें रूस के व्लादिमीर पुतिन और ब्राजील के जेर बोलसोनारो शामिल हैं. भारत के पूर्व राजनयिक राकेश सूद ने एएफपी को बताया, कई क्वालिटी ऐसी हैं जो दोनों में कॉमन हैं-दोनों अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा से गहराई से जुड़े हैं. साथ ही किसी समाधान या डील तक पहुंचने के लिए दोनों का अटल विश्वास एक दूसरे में काफी समानताएं प्रदर्शित करता है. नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की गहरी दोस्ती ने भारत और अमेरिका को एक-दूसरे के करीब लाने में काफी मदद की है. हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार और रक्षा को लेकर कई मतभेद हैं, इसके बावजूद दोनों देश निरंतर एक-दूसरे के करीब आते रहे हैं.
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'इनसाइडर' और 'आउटसाइडर' का अंतर
दोनों नेताओं में समानताएं होने के साथ कई अंतर भी देखने को मिलते हैं. नरेंद्र मोदी जहां हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से निकले हैं, वहीं ट्रंप बिजनेस घराने से राजनीति में पहुंचे हैं. नरेंद्र मोदी राजनीति के मामले में 'इनसाइडर' माने जाते हैं, जबकि ट्रंप 'आउटसाइडर'. राजनीति के लिहाज से देखें तो नरेंद्र मोदी ज्यादा पारंपरागत राजनेता हैं, जबकि ट्रंप ने बिजनेस की परंपरा को आगे रखते हुए राजनीति में कदम रखा है. इन सबके बावजूद दोनों देशों के नेताओं के बीच वास्तविक व्यक्तिगत संबंधों ने साझेदारी बढ़ाने में मदद की है. जॉर्ज बुश और मनमोहन सिंह, बराक ओबामा और मनमोहन सिंह, ओबामा और नरेंद्र मोदी और अब नरेंद्र मोदी और ट्रंप-इन नेताओं की जोड़ी में एक मजबूत केमिस्ट्री देखने को मिली है. इन नेताओं के संबंधों ने भारत और अमेरिकी संबंध को प्रगाढ़ बनाने में पूरी मदद की है.
भारत के साथ खड़े दिखे ट्रंप
कई ऐसे मौके आए जब किसी फैसले पर विश्व बिरादरी में भारत की आलोचना हुई लेकिन ऐसे मौके पर भी डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ खड़े दिखे. कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मामले में कई देशों ने भारत की आलोचना की लेकिन ट्रंप ने भारत के साथ अपना समर्थन जाहिर किया. विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की भारत यात्रा से इस संबंध को और मजबूती मिलेगी. अमेरिका में नरेंद्र मोदी के लिए 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम किया गया तो अहमदाबाद में सोमवार को ट्रंप के लिए 'नमस्ते ट्रंप' का आयोजन हो रहा है. इस यात्रा की कामयाबी का खासा असर अमेरिकी चुनावों पर देखा जा सकता है जहां ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने के लिए आशान्वित हैं. अमेरिका में भारतीय मूल के काफी वोटर्स हैं जिनमें अधिसंख्य गुजरात से हैं. नरेंद्र मोदी खुद गुजरात से आते हैं. इसे देखते हुए ट्रंप की यह यात्रा उनके राजनीति सफर की दशा-दिशा भी तय करेगी.
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