उस इंग्लैंड दौरे में कुछ भी नहीं हुआ अच्छा... डूब गया कप्तान अजीत वाडेकर का करियर

1974 में भारत का इंग्लैंड दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था. अजीत वाडेकर की कप्तानी में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, भगवत चंद्रशेखर, एस. वेंकटराघवन जैसे स्थापित खिलाड़ियों के रहते भारतीय टीम का ऐसा हश्र हुआ, जिसे सिर्फ और सिर्फ 'शर्मनाक' कहा जाएगा.

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Ajit Wadekar (Getty) Ajit Wadekar (Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2021,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • 47 साल पहले इंग्लैंड दौरे में भारतीय क्रिकेट की नाकामी
  • स्टार खिलाड़ियों से सजी भारतीय टीम ने कर दिया था सरेंडर

1974 में भारत का इंग्लैंड दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था. अजीत वाडेकर की कप्तानी में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, भगवत चंद्रशेखर, एस. वेंकटराघवन जैसे स्थापित खिलाड़ियों के रहते भारतीय टीम का ऐसा हश्र हुआ, जिसे सिर्फ और सिर्फ 'शर्मनाक' कहा जाएगा. 

उसी इंग्लैंड टूर ने अजीत वाडेकर के क्रिकेट को खत्म कर दिया. तीन लगातार टेस्ट सीरीज जीतने का कारनामा कर दोबारा इंग्लैंड पहुंचे कप्तान वाडेकर को न जाने किसकी नजर लग गई कि पूरी भारतीय टीम लड़खड़ा गई. 

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भारतीय टीम ने सारे मुकाबले गंवाए

इंग्लैंड की धरती पर तीन टेस्ट मैच की सीरीज में भारत का 0-3 से सफाया हो गया था. इतना ही नहीं, उसी इंग्लैंड दौरे में भारतीय टीम महज 42 रनों पर आउट हो गई थी, जो उसका टेस्ट मैचों की एक पारी में उस समय सबसे कम स्कोर का शर्मनाक रिकॉर्ड था, जो 46 साल तक दर्ज रहा. आखिरकार भारतीय टीम ने न्यूनतम स्कोर का अपना अनचाहा रिकॉर्ड 36 रन कर लिया, जब दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वह एडलेड टेस्ट की दूसरी पारी में 36 रन ही बना पाई.  

उसी इंग्लैंड दौरे में भारत ने पहली बार वनडे इंटरनेशनल में कदम रखा था और अपने पहले दोनों मैच गंवाए. इंग्लैंड को फटाफट क्रिकेट खेलने का अनुभव पहले ही मिल चुका था, जबकि कप्तान वाडेकर समेत भारतीय टीम के सभी 11 खिलाड़ियों ने वनडे में डेब्यू किया था. 

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सुधीर नाईक से जुड़ा दुर्भाग्यपूर्ण वाकया

हां, इसी दौरे में मजेदार, लेकिन एक ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण वाकया सामने आया, जिसे कोई भी भारतीय याद नहीं करना चाहेगा. इस दौरे में मदन लाल, बृजेश पटेल के साथ टेस्ट पदार्पण करने वाले मुंबई के बल्लेबाज सुधीर नाईक से जुड़ा मामला सुर्खियों में रहा. 

दरअसल, सुधीर नाईक पर लंदन के ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट की दुकान से दो जोड़े मोजे उठाने का आरोप लगा. वह हालांकि इससे लगातार इनकार करते रहे. उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करने के बजाय अपनी गलती मान लेने के लिए कहा गया, ताकि इस प्रकरण को खत्म किया जा सके. 

सुधीर नाईक (Getty)

दरअसल, तब टीम मैनेजर हेमू अधिकारी नहीं चाहते थे कि ज्यादा 'जगहंसाई' हो. उन्होंने नाईक को गलती मान लेने की सलाह दी. लेकिन अंग्रेजी मीडिया में तब तक यह वाकया वायरल हो चुका था. सलामी बल्लेबाज सुधीर नाईक ने उस इंग्लैंड दौरे के आखिरी टेस्ट में पदार्पण कर दूसरी पारी में 77 रन बनाए थे, जो भारतीयों में सर्वाधिक था. और इसी के बाद मोजे वाला मामला सामने आया.

... विजेता कप्तान वाडेकर का बुरा हश्र

अजीत वाडेकर 1971-73 के दौरान तीन लगातार टेस्ट सीरीज जीतने वाले भारत के पहले कप्तान के तौर पर एक बार फिर इंग्लैंड दौरे पर थे. उन्होंने इससे पहले वेस्टइंडीज को उसकी धरती पर 1970-71 में 1-0 (5) से, इंग्लैंड को उसकी सरजमीं पर 1971 में 1-0 (3) से और भारत दौरे पर इंग्लैंड को 1972-73 में 2-1(5) से हराया था. यानी वाडेकर ने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की धरती पर भारत को पहली सीरीज जीत दिलाई थी. लेकिन उनकी पिछली सफलताओं पर पानी फिर गया. 

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1974: इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम (Getty)

1974 के इंग्लैंड दौर के मैचों का हाल -

- दौरे का पहला टेस्ट ओल्ड ट्रेफर्ड, मैनचेस्टर में खेला गया. भारतीय टीम यह मैच 113 रनों से हार गई. 
- लॉर्ड्स टेस्ट की दूसरी पारी (फॉलो ऑन करते हुए) में भारतीय टीम 42 रनों पर सिमट गई और इस मैच में इंग्लैंड ने पारी और 285 रनों से बाजी मारी. 
- भारतीय टीम (165 और 216 रन) एक बार फिर इंग्लैंड की चुनौती झेल नहीं पाई और बर्मिंघम टेस्ट पारी और 78 रनों से गंवाई. मजे की बात है कि मेजबान इंग्लैंड के इस टेस्ट में सिर्फ दो विकेट (459/2d) गिरे.

कप्तान वाडेकर के घर पर पत्थर फेंके गए

भारतीय टीम के इस दयनीय प्रदर्शन से टीम में बिखर गई. खबर तो ये आई कि टीम के सीनियर खिलाड़ियों और कप्तान में दरार  पड़ चुकी थी. उधर, इस हार से भारतीय प्रशंसक बेहद नाराज हुए, यहां तक कि कप्तान वाडेकर के घर पर पत्थर भी फेंके गए. आखिरकार भारत लौटते ही वाडेकर ने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी, जब उन्हें पता चला कि उनसे वेस्ट जोन की कप्तानी छीन ली गई है.

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