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चंद सेकंड में ऐसे चित हुआ अफ्रीकी रेसलर, सोना जीत सूरमा बने सुशील

अनुग्रह मिश्र
  • 12 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST
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भारत के स्टार रेसलर सुशील कुमार ने एक बार फिर भारत का नाम रोशन किया है. उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में लगातार तीसरी बार गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया.

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सुशील ने पुरुषों की फ्री स्टाइल 74 किलोग्राम के फाइनल मुकाबले में गोल्ड मेडल जीता. फाइनल मुकाबले में उन्होंने साउथ अफ्रीका के पहलवान जोहनेस बोथा को शिकस्त देकर स्वर्णिम सफलता हासिल की. सुशील ने मुकाबले में 10-0 से अजेय जीत दर्ज की.

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दोनों पहलवानों का मुकाबला कब शुरू हुआ और कब खत्म, पता ही नहीं चला. सुशील ने विरोधी पहलवान को ऐसी पटखनी दी कि वो पूरे मैच में एक भी अंक हासिल नहीं कर सका. सुशील ने बोथा को पहले ही मिनट में पूरा पलटते हुए चार अंक झटके और इसके बाद उन्हें नीचे पटकते हुए दो और अंक हासिल कर लिये.

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सुशील ने बोथा को संभलने का मौका भी नहीं दिया और एक बार फिर उन्हें पटक कर चार अंक हासिल कर लिये, जिससे वह स्वर्ण विजेता बन गए.

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पहलवान सुशील कुमार ने अपनी यह जीत हिमाचल प्रदेश में बस हादसे में मारे गए बच्चों को समर्पित की है. इस दर्दनाक हादसे में 23 बच्चों की मौत हो गई थी. सुशील ने अपने ट्वीट में लिखा है यह पदक उन बच्चों को समर्पित है, जिन्होंने हादसे में जान गंवाई.

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इस बेहद अहम जीत को सुशील ने अपने माता-पिता, गुरु सतपाल और योग गुरु बाबा रामदेव को भी समर्पित किया है. 

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सुशील ने बेहतरीन कुश्ती खेली और विरोधियों को चारों खाने चित करते हुए गोल्ड मेडल तक पहुंचे. गोल्ड मेडल तक के सफर को सुशील के हुनर और मनोबल ने और आसान बना दिया.

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सेमीफाइनल के अहम मुकाबले में सुशील मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया के पहलवान को कॉनॉर इवांस को 4-0 से हराया था. क्वार्टर फाइनल में उन्होंने पाकिस्तान के मोहम्मद बट को 10-0 से मात दी थी. पूरे मुकाबले में सुशील विरोधी पहलवानों पर हावी रहे.

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सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में पुरुषों की फ्री स्टाइल 66 किलोग्राम में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इसके अलावा लंदन ओलंपिक में इसी कैटेगरी में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.

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सुशील ने 14 साल की उम्र से ही पहलवानी शुरू कर दी थी. दिल्ली में गुरु महाबली सतपाल से कुश्ती के गुर सीखे और कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए.

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