Indian Women Hockey Captain Salima Tete: 3 किमी दूर से पानी लाने को मजबूर भारतीय महिला हॉकी कप्तान सलीमा टेटे... घर का वादा भी सरकार ने नहीं किया पूरा

Indian Women Hockey Captain Salima Tete: भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को इसी साल 2 मई को ही सविता पूनिया की जगह टीम की कमान मिली है. सलीमा झारखंड में सिमडेगा जिले की रहने वाली हैं. उन्होंने कहा कि आज भी उनका परिवार 3 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर है.

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टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ भारतीय महिला हॉकी स्टार सलीमा टेटे. टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ भारतीय महिला हॉकी स्टार सलीमा टेटे.

aajtak.in

  • रांची,
  • 08 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 9:54 PM IST

Indian Women Hockey Captain Salima Tete: इस साल होने वाले पेरिस ओलंपिक से पहले ही भारतीय महिला हॉकी टीम काफी सुर्खियों में रही है. सबसे पहले यह टीम जनवरी में चर्चाओं में आई थी, जब वो क्वालिफाइंग राउंड में हारकर बाहर हुई थी. यानी भारतीय महिला हॉकी टीम अब पेरिस ओलंपिक में नजर नहीं आएगी, क्योंकि वो क्वालिफाई नहीं कर सकी है.

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अब भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे सुर्खियों में बनी हुई हैं. वो अपने खेल के बाद अब घरेलू स्ट्रगल को लेकर सुर्खियों में हैं. सलीमा को इसी साल 2 मई को ही सविता पूनिया की जगह कप्तान बनाया गया. सलीमा झारखंड में राजधानी रांची से करीब 165 किमी दूर रहती हैं. वो सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर की रहने वाली हैं.

परिवार 3 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर

सलीमा के परिवार के पास साफ पानी का भी पर्याप्त साधन नहीं है. घर पर माता-पिता के अलावा दो बहन हैं जिन्होंने लगातार कड़े संघर्ष के जरिए उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. सलीमा के पिता सुलक्षण टेटे भी हॉकी खेलते थे, जहां से उन्हें इस खेल के बारे में पता चला. लेकिन नेशनल टीम का कप्तान बनने के बाद भी उनका परिवार 3 किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर है. 

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साथ ही अभी तक सरकार ने उन्हें घर देने का अपना वादा भी पूरा नहीं किया है. सलीमा को नेशनल लेवल तक पहुंचाने में उसकी मां ने रसोइया और बड़ी बहन ने दूसरों के घरों में बर्तन तक मांजने का काम किया है. सलीमा ने कहा कि जब वो गांव जाती हैं तो उन्हें भी 3 किमी दूर से पानी लाना पड़ता है.

सलीमा की मां सुबानी टेटे गांव के ही सरकारी स्कूल में रसोइया हैं. सुबह उठकर सबसे पहले वे पानी लाने जाती हैं. फिर दोपहर और शाम को भी पानी लाना पड़ता है. किसी दिन मेहमान के आ जाने पर थोड़ी और मेहनत करनी पड़ती है. हालत ऐसी है कि उनके परिवार को दिन में 2 से 3 बार पानी भरने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.

रोज करीब 3-4 बार पीने का पानी लाना पड़ता है

सलीमा ने आजतक से कहा, 'मेरे माता-पिता आज भी पीने का पानी लाने के लिए घर से बहुत दूर जाते हैं. गांव में होने पर मैं भी ऐसे ही पानी लाती हूं. गांव में मोबाइल नेटवर्क जीरो है. बमुश्किल ही परिजनों से बात कर पाती हूं. गांव में चापाकल है, पानी की सरकारी टंकी भी है लेकिन पानी ऐसा कि आप पी नहीं सकते.'

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इस स्टार प्लेयर ने कहा, 'यहां तक कि उस पानी से दाल भी नहीं पकती. गांव के दूसरे छोर पर एक पुराना कुआं है. पीने और खाना बनाने के लिए हम उसी का पानी इस्तेमाल करते हैं. रोज करीब 40 लीटर पानी खपता है. घर के लोग 3-4 बार में लाते हैं.'

अब भी घर मिलने का इंतजार कर रहीं कप्तान

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा इस वक्त बेंगलुरु में भारतीय टीम के साथ प्रैक्टिस कर रही हैं. टोक्यो ओलंपिक के बाद राज्य सरकार ने उन्हें घर देने का वादा किया था. पर वे बताती हैं कि उन्हें आज तक घर का इंतजार है.

सलीमा ने कहा, 'आज तक मैं इंतजार में ही हूं. मेरे गांव वाले भी पीने के पानी की सुविधा, अच्छी सड़क, बिजली, मोबाइल टावर, पीएम आवास सब डिजर्व करते हैं. हमें जात-पात का नहीं देखना चाहिए, हम सारे एक हैं. पर मेरे गांव में क्रिश्चियंस के साथ भेदभाव हो रहा है. उन्हें पीएम आवास नहीं मिल रहा.'

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