कई नाम अभिशप्त होते हैं. ज़हन में उनके आते ही शक्ल किसी और की याद आती है. उस एक दूसरे शख्स के बिना उनका अपना कोई अस्तित्व नहीं मालूम देता. ऐसे ही नामों में एक है विनोद काम्बली. 1988 में आज़ाद मैदान में म्खेले जा रहे हैरिस शील्ड के उस ऐतिहासिक मैच के बाद विनोद काम्बली को हमेशा-हमेशा सचिन तेंडुलकर के साथ जोड़ दिया गया. दोनों ही खिलाड़ियों ने इंडिया के लिये खेलना शुरू किया. लेकिन होते-करते स्थिति ये हो गयी कि सचिन खेल की दुनिया में आगे ही बढ़ते रहे और काम्बली एक अच्छी शुरुआत के बाद ठंडे बस्ते में डाल दिए गए जहां से एक-एक करके उनकी वापसी के सभी दरवाज़े बंद होते रहे.
एक समय पर अपनी क्रिकेट का सितारा बन रहे विनोद काम्बली ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि वो क्रिकेट में काम पाने के इच्छुक हैं और अपनी आदतों को पूरी तरह से बदलने को तैयार हैं. इन आदतों का ज़िक्र आया क्यूंकि कुछ ही वक़्त पहले वायरल हुए एक वीडियो में कथित तौर पर विनोद काम्बली नशे की हालत में सड़क पर दिख रहे थे. हालांकि विनोद ने इस बात से इन्कार किया कि वीडियो में वो ही थे.
अपने करियर के दौरान और उसके बाहर भी, विनोद काम्बली खेल के अलावा भी कई वजहों से चर्चा का विषय बने. इनमें से एक मौका आया साल 2011 में. विनोद काम्बली एक न्यूज़ चैनल से बात कर रहे थे. इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 1996 के विश्व कप के सेमी-फ़ाइनल मैच में लिये गए कई फ़ैसलों को वो शक़ की निगाह से देखते हैं. सनद रहे कि ये इंडिया-श्रीलंका के बीच हुआ वही मैच है जो दर्शकों के व्यवहार के कारण रोक दिया गया था और रेफ़री क्लाइव लॉयड ने बगैर मैच पूरा हुए, श्रीलंका को विजेता घोषित कर दिया था. विनोद काम्बली की रोते हुए मैदान से बाहर आने की तस्वीरें हर किसी को याद होंगी.
इंटरव्यू के दौरान विनोद ने इस मैच के बारे में बताया कि मैच शुरू होने से पहले टीम में यही प्लानिंग हुई थी कि टॉस जीतने पर इंडिया पहले बैटिंग करेगी. विनोद ने कहा कि अपनी आदत के अनुसार नवजोत सिंह सिद्धू पैड पहनकर भी बैठ गए थे. लेकिन फिर इंडिया ने टॉस जीता और पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला ले लिया. विनोद काम्बली ने ये भी कहा कि उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया और उनका करियर ख़तम कर दिया गया. उन्होंने अजीत वाडेकर के एक आर्टिकल का भी ज़िक्र किया जो अख़बार में छपा था. काम्बली कहते हैं कि वाडेकर ने अपने आर्टिकल में लिखा कि विनोद काम्बली को बलि का बकरा बनाया गया था. अजीत वाडेकर उन दिनों भारतीय टीम के कोच और मैनेजर थे.
इस इंटरव्यू के बाद ईएसपीएन क्रिकइन्फ़ो ने सबा करीम से बात की थी, जो उस इंटरव्यू के दौरान काम्बली के साथ बैठे थे. सबा करीम ने कहा कि उन्होंने विनोद काम्बली को याद दिलाया कि उन्हें उस मैच के बाद टीम से ड्रॉप नहीं किया गया था बल्कि वो कनाडा में भी खेलने गए थे. और जब हम रिकॉर्ड देखते हैं तो पाते हैं कि इंडिया-श्रीलंका के बीच हुए उस सेमी-फ़ाइनल मैच के बाद विनोद काम्बली ने इंडिया के लिये 35 वन-डे मैच खेले थे.
1996 वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन थे. उन्होंने काम्बली की बातों पर जवाब देते हुए एनडीटीवी से कहा कि काम्बली जिस तरह से रोते हुए बयान दे रहे थे, वो बहुत ही घटिया और थर्ड क्लास स्टेटमेंट था. अज़हर ने कहा कि पूरी टीम ने मिलकर ये फ़ैसला लिया था कि पहले गेंदबाज़ी की जायेगी और जब ये बातें हो रही थीं, शायद काम्बली सो रहे थे. अज़हर ने इस विवाद से एक कदम आगे जाकर काम्बली के करियर पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि 'काम्बली का कैरेक्टर कैसा था, वो कैसे थे, ये सभी को मालूम था. उन्होंने जितना भी क्रिकेट खेला, उसके लिये उन्हें अज़हर का शुक्रिया अदा करना चाहिये. वरना कई बार तो उन्हें टूर से वापस भेज दिया जाने वाला था.'
संजय मांजरेकर, जो उस मैच का हिस्सा थे, ने भी ट्वीट करके यही कहा कि टीम का पहले बॉलिंग करने का फैसला ग़लत हो सकता है लेकिन वो एक ईमानदार फ़ैसला था.
अजीत वाडेकर ने क्रिकेट कंट्री से बात करते हुए बताया, 'कोलकाता में मैंने विकेट देखा और मुझे वो बहुत ठीक नहीं लगा. लेकिन उसी वक़्त श्रीलंका का हर खिलाड़ी चेज़ करने में माहिर माना जाता था. तो हमने सोचा कि हम उन्हें चेज़ करने नहीं देंगे. हम उन्हें पहले बैटिंग करने को कहेंगे और फिर हम चेज़ करेंगे. ... और फिर यही फ़ैसला भारी पड़ गया क्यूंकि बाद में विकेट स्पिनरों के लिये स्वर्गलोक बन गया और एक बार जब सचिन आउट हो गए तो ताश के पत्तों की तरह विकेट्स गिरने लगे.'
विनोद काम्बली ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में 104 वन-डे मैच और 17 टेस्ट मैच खेले. वन-डे में उन्होंने 2 शतकों के साथ 2477 रन बनाये और टेस्ट में 4 शतकों के साथ 1084 रन बनाये.
केतन मिश्रा