टेस्ट मैच का सबसे बड़ा स्किल सेट है कि आप रुककर कितना खेलते हैं? कितना टिक पाते हैं और विपक्षी गेंदबाजों से कब तक जूझ पाते हैं? पिच के मिजाज को भांपकर आप कैसी टेक्निक अपनाते हैं.
साउथ अफ्रीका संग सीरीज 0-2 से हार सबसे बड़ी बात जो उभरकर आई कि भारतीय बैटर्स ने पिच पर रुककर खेलने का माद्दा ही नहीं दिखाया. ना वो टिके और ना पिच पर जूझे...ना वो पुरानी टीम इंडिया वाला दम दिखा.
ऐसे में यह नई टीम इंडिया सवालों के घेरे में है, सबसे ज्यादा घेरे में हैं टीम के हेड कोच गौतम गंभीर. क्योंकि ज्यादा ऑलराउंडर्स खिलाने की चाहत, बार-बार बल्लेबाजों के नंबर बदलना... टेस्ट टीम टीम से स्थिरता गायब कर देना, ये कुछ ऐसे पहलू रहे जो साउथ अफ्रीका सीरीज में हार की सबसे बड़ी वजह रहे. इसे लेकर अनिल कुंबले, वेंकटेश प्रसाद, इरफान पठान, दिनेश कार्तिक, क्रिस श्रीकांत जैसे तमाम दिग्गजों ने सवाल उठाए.
कुल मिलाकर इस सीरीज से एक चीज साफ दिखी कि टिककर खेलना यह नई टीम इंडिया टेस्ट क्रिकेट में खासकर घर में और मजबूत टीमों के खिलाफ भूल गई है, इस दावे के पीछे एक वजह है, ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? यही आगे बताएंगे, लेकिन इस सीरीज से पहले और सीरीज के दौरान क्या हुआ उसका एक रिकैप देख लेते हैं.
प्रोटियाज टीम संग सीरीज खत्म हो गई है, और जिस तरह भारतीय टीम 0-2 से हारी, उस हार से कई शर्मनाक रिकॉर्ड बने और कई ऐसे जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी. हेड कोच गौतम गंभीर ने भी सीरीज के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह दिया कि उनका फ्यूचर BCCI के हवाले है. लेकिन यहां यह भी देखना होगा कि उनके कार्यकाल में टीम इंडिया ने चैम्पियंस ट्रॉफी जीती है, एशिया कप जीता है, इंग्लैंड में सीरीज 2-2 से ड्रॉ करवाई है.
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गंभीर ने बात एकदम सही कही.... लेकिन यहां ध्यान यह भी रखना चाहिए कि भारत ने साल 2024 में 0-3 से जो सीरीज न्यूजीलैंड के सामने गंवाई, वो कई लिहाज से शर्मनाक थी.टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब भारतीय टीम को अपने घर पर तीन या उससे ज्यादा मैचों की सीरीज में क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा. इस सीरीज के बाद ही भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई और वहां भी भारतीय टीम 1-3 (5 मैच) से सीरीज हारी थी. जिसके बाद उसका WTC फाइनल लगातार तीसरी बार खेलने का सपना चकनाचूर हुआ.
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हालांकि ऑस्ट्रेलियां संग सीरीज के बाद और दौरान कई बदलाव हुए, रविचंद्रन अश्विन ने सीरीज के बीच में संन्यास लिया बाद में विराट कोहली और रोहित शर्मा को भी रेडबॉल से संन्यास लेना पड़ा. फिन नई भारतीय टीम इंग्लैंड गई और शुभमन गिल की कप्तानी में उसे 2-2 से ड्रॉ करवाया. इस सीरीज के बाद लगा कि नई टीम इंडिया में दम है. वेस्टइंडीज के खिलाफ फिर 2 मैचों की घरेलू सीरीज में भी भारतीय टीम की जीत मिली.
लेकिन फिर भारत आई WTC 2025 चैम्पियन साउथ अफ्रीका. अफ्रीकी टीम ने ना केवल 0-2 से हराकर भारत का सूपड़ा साफ किया, वहीं 25 साल बाद भारत की धरती पर सीरीज जीती.
अब इस रिकैप के बाद सवाल यह है क्या वाकई टिककर खेलना भूली टीम इंडिया?
सबसे बड़ा सवाल तो इस बात का है कि भारतीय बल्लेबाज टिककर खेलना भूल गए हैं, क्योंकि साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में भारत के सभी बल्लेबाजों ने कुल मिलाकर 1478 गेंदें खेलीं. वहीं साउथ अफ्रीकी बल्लेबाजों ने 2042 गेंदें खेलीं. भारतीय टीम की ओर से इस सीरीज में सबसे ज्यादा गेंदें 310 वॉशिंगटन सुंदर ने खेलीं, इसके बाद केएल राहुल (217) और फिर कुलदीप यादव (193), रवींद्र जडेजा (176) रहे. वहीं साउथ अफ्रीकी टीम से टिस्ट्रन स्टब्स ने 342 गेंदों का सामना किया, टेम्बा बावुमा ने 250 तो सेनुरन मुथुसामी ने 206 गेंदें खेलीं.
यानी एक बात तो साफ है कि कुलदीप यादव और मुथुसामी जैसे स्पिनर्स ने भी टिककर खेलने की कोशिश की तो वो टिके रहे, लेकिन भारत की ओर से ऋषभ पंत ने सीरीज में महज 61 गेंदें खेलीं. शुभमन गिल कोलकाता टेस्ट में इंजर्ड हो गए, इससे भारतीय टीम को बड़ा नुकसान हुआ.
कोलकाता टेस्ट से टीम इंडिया को जीतने की जरूरत
साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत के दौरे पर आई थी. तब वो लगातार 15 टेस्ट मैच जीत चुकी थी. 3 मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला उसने मुंबई में जीता और अपना विजय रथ 16 टेस्ट मैच का कर लिया.
अब बारी कोलकाता में हुए दूसरे टेस्ट मैच की थी. ईडन गार्डन्स में हुए उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए. जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 171 रनों पर आउट हो गई. भारतीय टीम को तब फॉलोऑन खेलने को मिला और उसने 657/7 (दूसरी पारी) का स्कोर खड़ा कर दिया.
ऑस्ट्रेलिया को तब 384 रनों का टारगेट मिला, लेकिन वो दूसरी पारी में महज 212 रनों पर सिमट गई. इस तरह तब भारतीय टीम ने उस मुकाबले को 171 रन से जीतकर ऑस्ट्रेलिया का तब प्रभुत्व खत्म किया था. वहीं ऑस्ट्रेलिया के 16 टेस्ट मैच लगातार जीतने के सिलसिले पर भी ब्रेक लगाया था.
लेकिन यह मुकाबला इस नतीजे से ज्यादा वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ की पार्टनरशिप 376 रनों के लिए याद किया जाता है. जहां दूसरी पारी में दोनों ने मिलकर उस पारी में कुल 805 गेंदें खेली थीं. लक्ष्मण ने 281 रन बनाए और 452 गेंदें खेलीं, वहीं राहुल द्रविड़ ने तब 353 गेंदों खेलीं और 180 रन बनाए थे.
पहली पारी में भी लक्ष्मण ने 59 रन बनाए और 83 बॉलों को सामना किया, द्रविड़ ने तब 82 गेंदों में 25 रन बनाए थे.
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कुल मिलाकर तब दोनों ने (83(लक्ष्मण पहली पारी)+82 (द्रविड़ पहली पारी)+452 (लक्ष्मण दूसरी पारी)+353 (द्रविड़ दूसरी पारी) पूरे मैच में 970 गेंदों का सामना किया.
यानी साफ है कि वो टेस्ट मैच भी भारतीय टीम ने इसी वजह से ऑस्ट्रेलिया के जबड़े से छीन लिया था, क्योंकि उन्होंने तब टिककर खेलने का दम दिखाया था. जो फिलहाल इस साउथ अफ्रीका की सीरीज में भारतीय टीम में नदारद दिखा, इस पर अब टीम इंडिया को 'गंभीर चिंतन' की जरूरत है.
Krishan Kumar