India vs Pakistan: भारत-पाक‍िस्तान का एश‍िया कप में मैच पक्का! सरकार के फैसले पर उठे 5 करारे सवाल

सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलेगा, लेकिन एशिया कप और अन्य बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लेगा। इसके लिए पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा भी दिया जाएगा। सरकार का तर्क है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों का विश्वसनीय मेजबान दिखाना जरूरी है. लेकिन इस फैसले से कई सवाल खड़े हुए हैं...

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एशिया कप 2025 में भारत को पाकिस्तान से खेलना चाहिए या नहीं? (Photo, ITG) एशिया कप 2025 में भारत को पाकिस्तान से खेलना चाहिए या नहीं? (Photo, ITG)

निखिल नाज़

  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST

एशिया कप का शेड्यूल जब पहली बार सामने आया था, तब संदेह जताया जा रहा था. फिक्स्चर घोषित होने के बावजूद यह सवाल बना रहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक हालात और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान का मुकाबला होगा भी या नहीं. यहां तक कि जब एशिया कप के लिए भारतीय टीम की घोषणा हुई, तब भी लोगों को भरोसा नहीं था. कुछ को लगा यह सिर्फ बीसीसीआई का फैसला है और सरकार अब भी मंजूरी रोक सकती है.

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लेकिन अब तस्वीर साफ है. जो लोग मान रहे थे कि सार्वजनिक विरोध के चलते भारत-पाक मैच रद्द कर दिया जाएगा, वे गलत साबित हुए. यह बहस सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया और संसद तक गूंजी.

सरकार ने अब आधिकारिक बयान जारी करके साफ कर दिया है कि एशिया कप में भारत-पाक मैच होगा. साथ ही उन्होंने अपना तर्क भी बताया, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं.

भारत सरकार का रुख क्या है?

सरकार ने कहा है कि भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय खेल संबंध तो नहीं रखेगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में वह पाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा. 2013 से भारत-पाक के बीच कोई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज नहीं हुई है और यह स्थिति बनी रहेगी. हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय आयोजनों (जैसे एशिया कप) में पाकिस्तान से खेलेगा.

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सरकार के आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर भारत कोई बहुपक्षीय खेल आयोजन करता है तो उसमें पाकिस्तान के खिलाड़ी और टीमें भी भाग ले सकेंगी.

खेल मंत्रालय ने बयान में क्या कहा?

'अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय आयोजनों में हम अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों की परंपराओं और अपने खिलाड़ियों के हितों को ध्यान में रखते हैं. साथ ही भारत की छवि एक विश्वसनीय मेजबान देश के रूप में उभर रही है.'

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इसका मतलब यह भी है कि अगर पाकिस्तान के खिलाड़ी भारत आकर हॉकी या किसी अन्य खेल के टूर्नामेंट (जैसे एशिया कप) में भाग लेना चाहें, तो उन्हें वीजा दिया जाएगा. यह फैसला सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी खेलों पर लागू होगा. यह कदम पहलगाम आतंकी हमले (26 शहीद) और उसके बाद की ऑपरेशन सिंदूर कार्रवाई के बाद लिया गया है.

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सरकार का उद्देश्य क्या है?

भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों का पसंदीदा गंतव्य बनाने के लिए वीजा प्रक्रिया आसान की जाएगी.

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खिलाड़ियों, अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों के पदाधिकारियों को वीजा प्राथमिकता से दिया जाएगा.

उनके कार्यकाल तक मल्टी-एंट्री वीजा मिलेगा (अधिकतम पांच साल तक).

अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के प्रमुखों को भारत में दौरे के दौरान पूरा प्रोटोकॉल मिलेगा.

पांच बड़े सवाल -

1.क्या मेजबानी राष्ट्रीय हित से बड़ी है?

सरकार का तर्क है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों का भरोसेमंद केंद्र दिखाना जरूरी है. लेकिन सवाल उठता है- क्या यह राष्ट्रीय हित से ऊपर है? पहलगाम में भारतीय नागरिकों की शहादत के बाद क्या खेल आयोजन ज्यादा अहम हैं?

2. क्यों एशिया कप?

आईसीसी टूर्नामेंट न खेलने पर अलगाव (Isolation) का खतरा है, लेकिन एशिया कप में ऐसा कुछ नहीं. अतीत में यह टूर्नामेंट कई बार टल चुका है. तो फिर पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को इसमें भाग लेने की अनुमति क्यों दी गई?

3. अलगाव किस कीमत पर?

मान लीजिए आईसीसी टूर्नामेंट का बहिष्कार करने से अलगाव का खतरा है, तो भी क्या यह राष्ट्रीय हित से बड़ा हो सकता है? क्या सैनिकों और नागरिकों की शहादत से ऊपर अंतरराष्ट्रीय खेल हो सकते हैं?

4. अतीत में भारत ने रुख अपनाया था

यह पहली बार नहीं है कि भारत ने राष्ट्रीय हित के नाम पर बड़ा खेल आयोजन छोड़ा हो.

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1974: भारत ने डेविस कप फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलने से इनकार किया था (अपार्थाइड के खिलाफ स्टैंड).

1986: एशिया कप में टीम ने श्रीलंका का दौरा सुरक्षा खतरे के कारण रद्द किया.

अपार्थाइड (रंगभेद) काल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ कोई क्रिकेट सीरीज नहीं खेली, जबकि इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमें जाती थीं.

तो जब अतीत में भारत ने कड़ा रुख अपनाया, तो अब एशिया कप खेलने की जरूरत क्यों?

5. जब सामाजिक और कारोबारी रिश्ते नहीं, तो खेल संबंध क्यों?

पाकिस्तानी यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया अकाउंट भारत में बैन हैं.

भारत से पाकिस्तान को होने वाला 55 मिलियन डॉलर का निर्यात घटाकर सिर्फ 5 मिलियन डॉलर कर दिया गया (90% गिरावट).

कलाकारों और खिलाड़ियों को भी पाकिस्तान से दूरी बनाए रखने के लिए मजबूर किया गया.

दिग्गज खिलाड़ियों ने भी पाकिस्तान के खिलाफ लेजेंड्स लीग जैसे टूर्नामेंट छोड़ दिए.

तो सवाल है- जब सामाजिक और कारोबारी रिश्ते खत्म कर दिए गए, तब खेल संबंधों में अलग रवैया क्यों? क्या यह डबल स्टैंडर्ड नहीं है?
 

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