Happy Birthday Saqlain Mushtaq: वो पाकिस्तानी जिसने स्पिन की नई परिभाषा गढ़ी, 'दूसरा' से बल्लेबाजों को यूं नचाया

क्रिकेट की दुनिया में 'दूसरा' का जिक्र आते ही पाकिस्तान के पूर्व ऑफ स्पिनर सकलैन मुश्ताक का नाम सबसे पहले जेहन में आता है. सकलैन मुश्ताक को ही 'दूसरा' का जनक माना जाता है. मुश्ताक ने पाकिस्तान के लिए 49 टेस्ट और 169 वनडे मैच खेले.

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अनुराग कुमार झा

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:02 PM IST

पाकिस्तान के पूर्व ऑफ-स्पिनर सकलैन मुश्तक आज (29 दिसंबर) अपना 47वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं. सकलैन ने अपनी दमदार बॉलिंग के दम पर पाकिस्तानी टीम को कई ऐतिहासिक जीतें दिलाईं. क्रिकेट की दुनिया में 'दूसरा' का जिक्र आते ही सकलैन मुश्ताक का नाम सबसे पहले सामने आता है. सकलैन को ही 'दूसरा' का जनक माना जाता है.

क्या होती है 'दूसरा' गेंद?

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एक ऑफ-स्पिनर की गेंद आमतौर पर दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए अंदर की आती है, लेकिन यदि वह 'दूसरा' फेंकता है तो गेंद बाहर की ओर निकल जाएगी. यानी गेंद विपरीत दिशा में स्पिन हो जाती है. ऐसे में बल्लेबाज गच्चा खा जाता है क्योंकि उसे लगता है कि गेंद अंदर की ओर आएगी, लेकिन बॉल बाहर की तरफ निकल जाता है. 'दूसरा' गेंद पर ज्यादातर बल्लेबाज कैच आउट होते हैं.

भले ही सकलैन मुश्ताक को 'दूसरा' का जनक माना जाता हो, लेकिन पाकिस्तान विकेटकीपर मोईन खान ने इसे 'दूसरा' नाम दिया. सकलैन इसे लेकर कहते हैं, "मोईन खान को इसका श्रेय जाता है. जब मैं गेंदबाजी कर रहा होता था, तो मोईन विकेट के पीछे से चिल्लाते थे, 'सकलैन दूसरा फेंक दूसरा.' वह स्टंप माइक के पास खड़े होते थे और उनकी आवाज सीधे कमेंट्री बॉक्स में जाती थी. ऐसे में कमेंटेटर्स को समझ आ गई कि कौन सी गेंद 'दूसरा' फेंकी जानी वाली है. अब यह नाम अंग्रेजी डिक्शनरी में भी है."

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सकलैन ने ऐसे सीखी 'दूसरा' फेंकना

सकलैन कहते हैं, "मैं जब छोटा था तो इमरान खान के इन-डिपर (रिवर्स स्विंग) के बारे में सुनता था. मैंने भी सोचा कि मेरा अपना एक अनोखा एक्शन होना चाहिए. मैं अपनी छत पर टेबल टेनिस गेंद से स्पिन की नई तकनीकों का अभ्यास करता था और एक दिन मैंने गेंद में बहुत अलग सा टर्न देखा. उस गेंद को फेंकने लिए बहुत अलग पकड़ और हाथ की एक अलग पोजीशन की आवश्यकता होती थी. वहीं से मुझे आइडिया आया कि मैं गेंद को बाहर कैसे घुमा सकता हूं. फिर मैंने टेनिस बॉल और बाद में क्रिकेट बॉल से इसका अभ्यास करना शुरू किया. 'दूसरा' का अभ्यास करते समय मेरी उंगलियों पर चोटें भी आई."

सकलैन मुश्ताक ने साल 1995 से 2004 के दौरान पाकिस्तान के लिए 49 टेस्ट और 169 एकदिवसीय मैच खेले. टेस्ट मैचों में सकलैन ने 29.83 की औसत से 208 विकेट चटकाए. इस दौरान उन्होंने 13 बार पांच विकेट हॉल लिए. वहीं वनडे इंटरनेशनल में सकलैन मुश्ताक के नाम वपर 21.78 के एवरेज से 288 विकेट दर्ज हैं. सकलैन ने वनडे इंटरनेशनल में छह मौकों पर पारी में पांच विकेट हासिल किए.

अपने शानदार करियर के दौरान सकलैन ने जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे इंटरनेशनल में दो हैट्रिक (1999 विश्व कप में एक) बनाई. इसके साथ ही साल 1999 में सरे को काउंटी चैम्पियनशिप जीतने में भी मदद की. सकलैन पाकिस्तान की ओर से वनडे इंटरनेशनल में दूसरे सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले बॉलर हैं. सकलैन डेथ ओवरों में काफी गेंदबाजी करते थे, फिर भी वनडे में उनका गेंदबाजी औसत 21.78 रहा जो मुरली, वॉर्न और कुंबले जैसे खिलाड़ियों से बेहतर था.

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..जब सहवाग ने सकलैन की जमकर की धुनाई

सकलैन मुश्ताक का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच अप्रैल 2004 में मुल्तान के मैदान पर था. भारत के खिलाफ उस मैच में सकलैन काफी महंगे साबित हुए थे और 43 ओवरों में 204 रन लुटाए थे. उसी मैच में वीरेंद्र सहवाग ने सकलैन की गेंद पर छक्का लगाकर अपना तिहरा शतक पूरा किया था. सकलैन मुश्ताक को उस मैच के बाद टीम में जगह नहीं मिली. दानिश कनेरिया जैसे स्टार स्पिनर ने सकलैन की टीम में वापसी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

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