प्लेन में फ्यूल कंट्रोल स्विच के अलावा और क्या चीजें पायलट को कंट्रोल करनी होती हैं? समझिए कॉकपिट का पूरा डिजाइन
कॉकपिट प्लेन का दिमाग है, जहां पायलट फ्यूल कंट्रोल स्विच से लेकर उड़ान, नेविगेशन और इमरजेंसी तक सब कुछ संभालते हैं. इसका डिजाइन तकनीक और सुरक्षा का मिश्रण है, जो पायलट को हर स्थिति में मजबूत बनाता है. अगली बार जब आप प्लेन में हों, तो जान लीजिए कि कॉकपिट में कितनी मेहनत और सावधानी से उड़ान संभाली जाती है.
Advertisement
प्लेन के कॉकपिट में कई तरह के सिस्टम होते हैं, जिनपर पायलट को एकसाथ और अलग-अलग कंट्रोल रखना होता है.
जब हम हवाई जहाज में सफर करते हैं, तो हमें लगता है कि सब कुछ अपने आप हो रहा है, लेकिन असल में पायलट कॉकपिट में कई चीजों को कंट्रोल करते हैं. फ्यूल कंट्रोल स्विच के अलावा भी पायलट के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं. कॉकपिट, जो प्लेन का दिमाग कहलाता है, बहुत जटिल और तकनीकी रूप से एडवांस होता है. आइए, समझते हैं कि पायलट को क्या-क्या कंट्रोल करना पड़ता है? कॉकपिट कैसे डिजाइन होता है?
Advertisement
फ्यूल कंट्रोल स्विच से आगे
फ्यूल कंट्रोल स्विच प्लेन के ईंधन की आपूर्ति को नियंत्रित करता है, लेकिन यह सिर्फ एक हिस्सा है. पायलट को निम्नलिखित चीजों पर भी नजर रखनी होती है...
उड़ान नियंत्रण (Flight Controls): पायलट विमान की दिशा, ऊंचाई और गति को कंट्रोल करते हैं. इसके लिए वे जॉयस्टिक या yoke (एक तरह का स्टीयरिंग) और पेडल्स का इस्तेमाल करते हैं.
इंजन प्रबंधन (Engine Management): इंजन की गति, तापमान और दबाव को मॉनिटर करना पड़ता है ताकि प्लेन सुरक्षित उड़ान भर सके.
नेविगेशन सिस्टम (Navigation Systems): GPS, रडार और मौसम रडार की मदद से पायलट रास्ता चुनते हैं और खराब मौसम से बचते हैं.
संचार प्रणाली (Communication Systems): पायलट हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) और अन्य प्लेन से रेडियो के जरिए बात करते हैं.
ऑटोपायलट सिस्टम (Autopilot System): यह सिस्टम उड़ान को आसान बनाता है, लेकिन पायलट इसे चालू-बंद करते हैं. जरूरत पड़ने पर खुद कंट्रोल लेते हैं.
इमरजेंसी सिस्टम (Emergency Systems): ऑक्सीजन सप्लाई, आग बुझाने की व्यवस्था और आपातकालीन लैंडिंग के लिए उपकरण पायलट द्वारा संभाले जाते हैं.
इंस्ट्रूमेंट पैनल (Instrument Panel): स्पीड, ऊंचाई, ईंधन स्तर और अन्य डेटा दिखाने वाले मीटर पायलट की नजर में रहते हैं.
कॉकपिट प्लेन का कंट्रोल रूम होता है, जो पायलट के लिए सब कुछ आसान और सुरक्षित बनाता है. इसका डिजाइन इस तरह से होता है...
डुअल कंट्रोल सेटअप: ज्यादातर प्लेन में दो पायलट (कैप्टन और को-पायलट) के लिए अलग-अलग कंट्रोल होते हैं, ताकि आपात स्थिति में कोई दूसरा संभाल सके.
हेड-अप डिस्प्ले (HUD): यह स्क्रीन पायलट के सामने होती है, जो उड़ान डेटा (जैसे गति और दिशा) को सीधे नजर के सामने दिखाती है, ताकि उन्हें नीचे देखने की जरूरत न पड़े.
मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले (MFD): ये स्क्रीन नक्शे, मौसम और सिस्टम की स्थिति दिखाती हैं. इन्हें छूकर या बटन से कंट्रोल किया जा सकता है.
थ्रॉटल क्वाड्रंट: यह इंजन की शक्ति को नियंत्रित करने के लिए होता है, जो पायलट के हाथ के पास रहता है.
सुरक्षा और आराम: कॉकपिट में मजबूत कांच, कुर्सियां और आपातकालीन निकास होते हैं, जो पायलट को सुरक्षित रखते हैं.
डिजिटल इंटरफेस: आधुनिक प्लेन में टचस्क्रीन और कंप्यूटर सिस्टम होते हैं, जो पुराने बटन और स्विच को कम करते हैं.
पायलट की ट्रेनिंग और जिम्मेदारी
पायलट को कॉकपिट के हर हिस्से को समझने और कंट्रोल करने की ट्रेनिंग दी जाती है. वे सिमुलेटर पर अभ्यास करते हैं, जहां वे हर स्थिति (जैसे खराब मौसम या इंजन खराबी) का सामना सीखते हैं. एक पायलट को न सिर्फ तकनीकी ज्ञान चाहिए, बल्कि त्वरित निर्णय लेने की क्षमता भी चाहिए, क्योंकि कई बार सेकंडों में फैसला करना पड़ता है.
Advertisement
आधुनिक तकनीक का योगदान
आजकल कॉकपिट में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और ऑटोमेशन का इस्तेमाल बढ़ रहा है. यह पायलट की मदद करता है, लेकिन पूरी जिम्मेदारी उनकी ही रहती है. उदाहरण के लिए, अगर ऑटोपायलट फेल हो जाए, तो पायलट को तुरंत मैन्युअल कंट्रोल लेना पड़ता है.
ऋचीक मिश्रा