योग से बेहतर हैं ताई ची, पिलेट्स और HIIT... स्टडी में खुलासा

एक नई स्टडी कहती है योग पारंपरिक एक्सरसाइज के बजाय कम प्रभावी है. इससे बेहतर ताई ची, पिलाटेस और HIIT है. ये खून की नसों और दिल की सेहत सुधारने में मदद करती है. योग बुजुर्गों को फायदा देता है, लेकिन युवाओं में कम. व्यायाम का प्रकार, तीव्रता और निरंतरता महत्वपूर्ण हैं.

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इस स्टडी में बताया जा रहा है कि ताई ची, पिलेट्स और एचआईआईटी से योग से बेहतर हैं. (Photo: Representational/Getty/Unsplash) इस स्टडी में बताया जा रहा है कि ताई ची, पिलेट्स और एचआईआईटी से योग से बेहतर हैं. (Photo: Representational/Getty/Unsplash)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

योग को हमेशा से सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन एक नई स्टडी कहती है कि यह पारंपरिक व्यायाम जितना प्रभावी नहीं है. ‘एडवांसेज इन इंटीग्रेटिव मेडिसिन’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि योग खून की नसों (वैस्कुलर फंक्शन) और हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में कमजोर साबित हुआ.  यह अध्ययन बैठे हुए (सेडेंटरी) वयस्कों पर आधारित है.

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अध्ययन का उद्देश्य और तरीका

यह अध्ययन मौजूदा साहित्य की समीक्षा पर आधारित है, जिसमें रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल्स (RCTs), क्रॉसओवर ट्रायल्स और गैर-रैंडमाइज्ड स्टडीज शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने योग और अन्य व्यायामों (जैसे ताई ची, पिलेट्स, हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग) के प्रभाव को तुलना की. 

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फोकस वैस्कुलर फंक्शन पर था, जो अल्ट्रासाउंड से मापा गया. वैस्कुलर फंक्शन का मतलब है खून की नसों में लचीलापन और प्रतिक्रिया, जो खून को ऊतकों (टिश्यू) तक पहुंचाने में मदद करती है.

सेडेंटरी व्यवहार यानी जैसे लंबे समय तक बैठना. इससे वैस्कुलर फंक्शन खराब होता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल जमा होना और थ्रोम्बोसिस (रक्त के थक्के) का खतरा बढ़ता है. अध्ययन में शारजाह यूनिवर्सिटी की डॉ. लीना डेविड ने कहा कि खून की नसों को लचीली गार्डन होज की तरह सोचें. अगर ये सख्त हो जाती हैं, तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

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हमारा अध्ययन दिखाता है कि स्ट्रक्चर्ड व्यायाम इन होज को लचीला रखता है, जबकि योग कुछ फायदे देता है लेकिन विश्वसनीय नहीं. मध्यम आयु और बुजुर्गों में योग से सुधार दिखता है, लेकिन युवाओं में नहीं. 

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योग कम प्रभावी क्यों?

अध्ययन में पाया गया कि पारंपरिक व्यायाम (ताई ची, पिलाटेस, HIIT) ने सेडेंटरी लोगों में वैस्कुलर फंक्शन को लगातार सुधारा, जबकि योग ने नहीं. योग में फ्लो-मीडिएटेड डायलेशन (FMD) और पल्स वेव वेलोसिटी (PWV) जैसे माप कम प्रभावी साबित हुए.

स्टडीज छोटे सैंपल साइज और छोटी अवधि की थीं, लेकिन कुल मिलाकर व्यायाम ने बेहतर परिणाम दिए. डॉ. डेविड ने कहा कि गति जरूरी है, लेकिन व्यायाम का प्रकार, तीव्रता और निरंतरता वैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए मुख्य हैं. सरल रूटीन भी धमनियों को मजबूत बनाते हैं.

खून की नसों में स्मृति होती है – हर वर्कआउट बैठने के नुकसान को भुला देता है. लंबे समय तक बैठना स्मोकिंग जैसा है. चुपचाप और चालाकी से आपकी खून की नसों की एक्टिवनेस चुराता है. गति इसका सही इलाज है.  

यह निष्कर्ष दुनिया के 300 मिलियन योग प्रैक्टिशनर्स और 620 मिलियन कार्डियोवैस्कुलर डिजीज प्रभावित लोगों के लिए महत्वपूर्ण है. योग सुलभ और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन हृदय लाभ के लिए इसे तीव्र व्यायाम से पूरक करना चाहिए.

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वैस्कुलर स्वास्थ्य का महत्व

वैस्कुलर फंक्शन रक्त वाहिकाओं की क्षमता है जो खून को सही से टिश्यू तक पहुंचाती है. इनकी लचीलापन हृदय स्वास्थ्य का मुख्य संकेतक है. कहीं भी लंबे समय तक बैठना वैस्कुलर फंक्शन को बिगाड़ता है, जिससे हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल और थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ता है. 

अध्ययन कहता है कि व्यायाम इन जोखिमों को कम करता है, जबकि योग में सुधार अनियमित है. युवाओं में योग का प्रभाव कम दिखा, लेकिन बुजुर्गों में कुछ फायदे हैं.

शोधकर्ता कहते हैं कि व्यायाम न सिर्फ वजन कम करने के लिए, बल्कि वैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है. डॉ. डेविड ने कहा कि योग की सांस्कृतिक जड़ें गहरी हैं. यह कंप्लीट हेल्थ के लिए हैं, लेकिन इसके साथ-साथ तेजी से किए जाने वाले व्यायाम को शामिल करना चाहिए. 

सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में व्यायाम और योग का मिश्रण सुझाएं, ताकि हृदय स्वास्थ्य सुलभ हो. यह आपके शरीर के आंतरिक GPS सिस्टम की रक्षा के बारे में है, जो आपको जीवित रखता है. यह अध्ययन व्यायाम को प्राथमिकता देता है, लेकिन योग को पूरी तरह खारिज नहीं करता. 

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