एक छोटी-सी मकड़ी एक बड़े जानवर को फंसाकर खा जाती है. ये कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि असली घटना है. आयरलैंड के गैलवे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की, जिसमें नोबल फॉल्स विडो मकड़ी (Steatoda nobilis) ने एक पिग्मी श्रू (छछूंदर) को शिकार बनाया.
ये मकड़ी इंसानों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं, लेकिन छोटे जानवरों के लिए तो मौत का सौदागर है. सरल शब्दों में कहें तो, ये मकड़ी जहर और रेशम के जाल से बड़े शिकार को आसानी से मार देती है.
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नोबल फॉल्स विडो मकड़ी को 'फॉल्स ब्लैक विडो' भी कहते हैं. ये करीब आधा इंच (1.4 सेंटीमीटर) लंबी होती है. ये मूल रूप से मेडेरा और कैनरी द्वीपों की है, लेकिन अब यूके, आयरलैंड और दुनिया के कई हिस्सों में घुसपैठिए प्रजाति बन चुकी है.
इंसानों को काटने पर दर्द होता है. कभी-कभी बैक्टीरिया इंफेक्शन हो सकता है, लेकिन ये आक्रामक नहीं और घातक भी नहीं. हकीकत में ये कीटों और छोटे जीवों का शिकार करती है.
स्टडी के अनुसार ये मकड़ी अक्सर कशेरुकी जीवों (vertebrates) को शिकार बनाती है – जैसे छिपकलियां, चमगादड़ और अब चुहिया. स्टडी के लेखकों ने दक्षिणी इंग्लैंड के चिचेस्टर शहर में एक घर की बेडरूम खिड़की के बाहर ये दृश्य रिकॉर्ड किया. वीडियो में मकड़ी का जाल दिख रहा है, जिसमें एक छोटा स्तनधारी फंसा हुआ है. बाद में जांच से पता चला कि ये पिग्मी श्रू (Sorex minutus) था.
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पिग्मी श्रू छछूंदर का नाम है, लेकिन ये मकड़ी से बहुत बड़ा है. इसकी लंबाई करीब 5 सेंटीमीटर (2 इंच) होती है, प्लस 4 सेंटीमीटर की पूंछ. वजन में ये मकड़ी से 10 गुना भारी होता है. सामान्यतः बड़ी मकड़ियां जैसे टैरेंटुला बड़े शिकार को आसानी से संभाल लेती हैं, लेकिन छोटी मकड़ी के लिए ये चुनौती है. फिर भी, नोबल फॉल्स विडो ने कमाल कर दिखाया.
वीडियो में दिखा कि श्रू जाल में फंसकर अभी जिंदा था, लेकिन शुरू में हल्की हलचल के अलावा कुछ नहीं कर पाया. वजह? मकड़ी का न्यूरोटॉक्सिक जहर, जो मांसपेशियों को फौरन लकवा मार देता है. मकड़ी ने श्रू को रेशम से बांधा और खिड़की के ऊपर की छत तक 25 सेंटीमीटर ऊपर खींच लिया. 20 मिनट में शिकार छत पर पहुंच गया. फिर मकड़ी ने इसे रेशम में लपेटा, तीन दिनों तक खाया और बाकी फेंक दिया.
श्रू कैसे फंसा, ये साफ नहीं, लेकिन शायद संयोग नहीं था. वैज्ञानिकों का कहना है कि मकड़ी ने पास की विस्टीरिया झाड़ी पर चढ़ते श्रू को जाल में फंसाया. फिर जहर से लकवा मारा और रेशम से ऊपर खींचा. स्टडी के अनुसार, पिछले पांच सालों में ये तीसरी बार है जब ये मकड़ी कशेरुकी जीव को शिकार बनाई.
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इससे पता चलता है कि ये 'आदतन कशेरुकी शिकार' के लिए बनी है – मजबूत जहर, मजबूत रेशम और चालाक शिकार करने का तरीका. लीड लेखक मिशेल डुगॉन (गैलवे यूनिवर्सिटी के जूलॉजिस्ट) ने कहा कि ये मकड़ी बड़े शिकार के लिए पूरी तरह अनुकूलित है. जहर, रेशम और शिकार का व्यवहार – सब कुछ परफेक्ट है.
ये पहली बार है जब थेरिडिडी परिवार की कोई मकड़ी ने ब्रिटेन या आयरलैंड में श्रू को शिकार बनाया. दुनिया में किसी भी फॉल्स विडो ने ऐसा कभी नहीं किया.
ये स्टडी हमें घुसपैठिए प्रजातियों के बारे में ज्यादा बताती है. नोबल फॉल्स विडो यूके में फैल रही है और वन्यजीवों को प्रभावित कर सकती है. लेकिन इंसानों के लिए खतरा कम है. सीनियर लेखक जॉन डनबार ने कहा कि ये मकड़ी बहुत रोचक है, हमें अभी बहुत कुछ सीखना है. लोगों के ऑब्जर्वेशन से हमें पर्यावरण पर इसका असर समझने में मदद मिलती है. स्टडी Ecosphere जर्नल में पब्लिश की गई है.
आजतक साइंस डेस्क