सुनीता विलियम्स और स्पेस स्टेशन को रूस ने बचाया, 6 दिन में दो बार टकराने वाला था अंतरिक्ष का कचरा

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर इस समय सुनीता विलियम्स को लेकर छह लोग मौजूद हैं. लेकिन 19 और 25 नवंबर को इन सबकी जान पर आफत आ गई थी. अंतरिक्ष का कचरा स्पेस स्टेशन से टकराने वाला था. तब रूस के कार्गो शिप ने स्पेस स्टेशन की पोजिशन बदली. तब जाकर ये सारे एस्ट्रोनॉट्स और स्टेशन बच पाया.

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ये है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, जिसमें इस समय सुनीता विलियम्स के साथ छह और एस्ट्रोनॉट्स रह रहे हैं. (फोटोः NASA/SpaceX) ये है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, जिसमें इस समय सुनीता विलियम्स के साथ छह और एस्ट्रोनॉट्स रह रहे हैं. (फोटोः NASA/SpaceX)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station - ISS) को 19 और 25 नवंबर के बीच दो बार अपनी पोजिशन बदलनी पड़ी. अगर ऐसा न करते तो स्पेस स्टेशन पर मौजूद छह एस्ट्रोनॉट्स की जान खतरे में आ जाती. इस बार चार अमेरिकी और तीन रूसी एस्ट्रोनॉट्स की जान बचाने के लिए रूस आगे आया. 

रूस के रोबोटिक कार्गो शिप प्रोग्रेस 89 फ्राइटर (Progress 89 freighter) जो इस समय स्पेस स्टेशन से जुड़ा हुआ है, उसने स्टेशन को बचाने के लिए अपने इंजन 3.5 मिनट के लिए ऑन किए. ये बात है 25 नवंबर की. ताकि स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में तेजी से आ रहे कचरे से बचाया जा सके. स्पेस स्टेशन की पोजिशन बदली जा सके. 

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NASA ने अपने बयान में कहा है कि स्पेस स्टेशन जिस रास्ते पर जा रहा था, उसपर अंतरिक्ष का कचरा आता दिखाई दिया. तब रूस के कार्गो शिप प्रोग्रेस 89 के थ्रस्टर्स ऑन किए गए. ये करीब साढ़े तीन मिनट ऑन रहे. स्पेस स्टेशन की पोजिशन बदली गई ताकि कचरे से स्टेशन और इस पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को बचाया जा सके. 

1650 फीट ऊपर ले जाया गया स्पेस स्टेशन

रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा कि 25 नवंबर को स्पेस स्टेशन की ऊंचाई को 1650 फीट यानी करीब 500 मीटर बढ़ाया गया था. ऐसा ही काम प्रोग्रेस 89 ने 19 नवंबर को भी किया था. तब इसके इंजन 5.5 मिनट के लिए ऑन किए गए थे. क्योंकि उस समय स्पेस स्टेशन से साल 2015 में बेकार हो चुका अमेरिकी डिफेंस और मौसम की जानकारी देने वाला सैटेलाइट टकराने वाला था. 

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इस समय कौन-कौन है स्पेस स्टेशन पर? 

अमेरिकी एस्ट्रोनॉटः बुच विलमोर, सुनीता विलियम्स, डॉन पेटीट और निक हेग. 

रूसी कॉस्मोनॉटः एलेक्जेंडर गोरबुनोव, एलेक्सी ओवशिनिन और इवान वैगनर. 

धरती के चारों तरफ 10,200 सैटेलाइट

यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक धरती की निचली कक्षा यानी लोअर अर्थ ऑर्बिट में इस समय करीब 10,200 सक्रिय सैटेलाइट्स धरती के चक्कर लगा रही हैं. इसमें सबसे ज्यादा SpaceX के Starlink ब्रॉडबैंड मेगाकॉन्स्टीलेशन के सैटेलाइट्स हैं. करीब 6700 स्टारलिंग इस समय धरती के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए काम कर रहे हैं. 

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अंतरिक्ष का कचरा इससे कई गुना ज्यादा

यूरोपियन स्पेस एजेंसी के मुताबिक सैटेलाइट तो कम हैं. इनसे कई गुना ज्यादा कचरा धरती के चारों तरफ घूम रहा है. इसमें 40,500 पदार्थ तो करीब 4 इंच चौड़े हैं. 11 लाख टुकड़े 0.4 इंच से 4 इंच के बीच हैं. यानी 1 से 10 सेंटीमीटर के बीच. 13 करोड़ टुकड़े एक मिलिमीटर चौड़े हैं. 

ये छोटे-छोटे टुकड़े भी स्पेस स्टेशन और एस्ट्रोनॉट्स की जान ले सकते हैं. क्योंकि ये अत्यधिक स्पीड में उड़ते हैं. आमतौर पर स्पेस स्टेशन को धरती की सतह से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर रखा जाता है. यह धरती के चारों तरफ 28,160 km/hr की स्पीड से घूमता है. स्पेस स्टेशन लगभग ये काम हर साल करता है. 1999 के बाद से अब तक करीब 32 बार स्पेस स्टेशन की पोजिशन बदली गई है, ताकि वह सुरक्षित रहे. 

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