मिलिए क्यूट बम्पी से ... नीली आंखों वाली गुलाबी मछली से, जो समंदर में बहुत गहराई में मिली

कैलिफोर्निया तट पर 3268-4119 मीटर गहराई से तीन नई स्नेलफिश प्रजातियां मिलीं: बम्पी, डार्क और स्लीक. बम्पी स्नेलफिश गुलाबी, टेडपोल जैसी, गूगली आंखों वाली है. ये गहरे समुद्र के जीव दबाव और अंधेरे में जीवित रहते हैं. यह जैव विविधता की रक्षा के लिए जरूरी है, क्योंकि माइनिंग इसका खतरा बढ़ा रही है.

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ये है बम्पी जिसे कैलिफोर्निया के पास समंदर में खोजा गया है. (Photo: MBARI) ये है बम्पी जिसे कैलिफोर्निया के पास समंदर में खोजा गया है. (Photo: MBARI)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

कभी-कभी महासागर की गहराइयों से ऐसी जीव मिलते हैं जो सपने में डराते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ इतने प्यारे होते हैं कि एनिमल क्रॉसिंग गेम में जगह पा लें. कैलिफोर्निया के तट से 3268 से 4119 मीटर (10722 से 13514 फीट) गहराई से तीन नई स्नेलफिश प्रजातियां मिली हैं. इनमें सबसे क्यूट है बम्पी स्नेलफिश, जो गुलाबी रंग का, टेडपोल जैसा, गूगली आंखों वाला और मुस्कुराता हुआ जीव है.

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स्नेलफिश क्या हैं... नाम क्यों पड़ा?

स्नेलफिश (फैमिली लिपारिडे) नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उथले समुद्र में ये चट्टानों या समुद्री शैवाल पर चिपकने के लिए पेट पर चूसक डिस्क का इस्तेमाल करते हैं, जैसे घोंघा. गहराई में ये डिस्क से केकड़े पर सवारी लेते हैं या समुद्र तल पर खुद को अटकाते हैं. दुनिया भर के महासागरों में 400 से ज्यादा स्नेलफिश प्रजातियां हैं, लेकिन गहराई (अबिसल जोन) में बहुत कम देखी गई हैं. ये जेली जैसी बॉडी, ढीली त्वचा और पतली पूंछ वाले होते हैं.

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तीन नई प्रजातियां: नाम और विशेषताएं

ये तीनों नई प्रजातियां कैलिफोर्निया के मोन्टेरे बे एक्वेरियम रिसर्च इंस्टीट्यूट (MBARI) के रिसर्चर्स ने खोजीं. ये स्टेशन M (कैलिफोर्निया तट से 130 मील दूर) और मोन्टेरे कैनियन से मिलीं. 27 अगस्त 2025 को 'इच्थियोलॉजी एंड हेरपेटोलॉजी' जर्नल में इनकी डिटेल छपी है. 

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  • बम्पी स्नेलफिश (Careproctus colliculi): सबसे आकर्षक. गुलाबी रंग, गोल सिर, बड़ी नीली आंखें और बॉडी पर गांठें (बम्प्स). नाम 'colliculi' लैटिन में इसका मतलब 'छोटी पहाड़ियां' है. लंबाई 2-3 इंच. 2019 में MBARI के ROV Doc Ricketts ने इसे 3268 मीटर गहराई में देखा. CT स्कैन से इसकी हड्डियों और आंतरिक संरचना का पता चला. यह गहराई के दबाव में जीवित रहने के लिए प्रोटीन से बनी है.
  • डार्क स्नेलफिश (Careproctus yanceyi): काला रंग, गोल सिर, क्षैतिज मुंह. एक नॉस्ट्रिल और 6 ब्रांचियोस्टेगल रेज. 4119 मीटर गहराई से मिला. नाम वैज्ञानिक यान्सी के सम्मान में.
  • स्लीक स्नेलफिश (Paraliparis em): लंबा, काला, स्लीक बॉडी. स्टेशन M का नाम 'em' से प्रेरित. 4119 मीटर गहराई से.

ये सभी अबिसल जोन (महासागर तल का आधा हिस्सा) से हैं, जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती. दबाव सतह से 1000 गुना ज्यादा है. इनकी जेली बॉडी दबाव सहती है, बड़ी आंखें अंधेरे में मदद करती हैं. रंग छिपाव देते हैं.

खोज कैसे हुई? 

MBARI के रिसर्चर्स ने रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) Doc Ricketts से नमूने लिए. 2019 में बम्पी स्नेलफिश को पहली बार देखा गया. SUNY Geneseo यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों ने आकार, जेनेटिक्स और पारिस्थितिकी का अध्ययन किया. CT स्कैन से हड्डियां और आंतरिक भाग देखे गए.

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मरीन बायोलॉजिस्ट मैकेन्जी गेरिंगर ने कहा कि गहरे समुद्र जीवों की विविधता और अनुकूलनों का घर है. तीन नई प्रजातियों की खोज बताती है कि पृथ्वी पर कितना कुछ सीखना बाकी है. स्टीवन हैडॉक (MBARI) ने कहा कि गहराई की जैव विविधता का दस्तावेजीकरण बदलावों का पता लगाने के लिए जरूरी है.

स्नेलफिश का महत्व 

स्नेलफिश शिकारी और शिकार दोनों हैं, जो गहराई के इकोसिस्टम को संतुलित रखते हैं. ये अबिसल जोन में ज्यादा हैं. गहराई में खोज तेज हो रही है, ROV जैसे टूल्स से रोज नई खोजें हो रही हैं. लेकिन खतरा बढ़ रहा है- कोबाल्ट, हाइड्रोजन जैसे खनिजों के लिए माइनिंग शुरू हो सकती है.

मानवीय गतिविधियां (जैसे प्रदूषण) इन इकोसिस्टम को प्रभावित कर रही हैं, लेकिन हम अभी उनके असर को पूरी तरह नहीं जानते. ये खोज दिखाती है कि गहरा समुद्र अनछुए रहस्यों से भरा है. स्नेलफिश जैसी प्रजातियां दबाव, अंधेरे और ठंड में जीवित रहने के लिए अनुकूलित हैं, जो हमें जीवन की क्षमता सिखाती हैं.

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