National Space Day 2024: जिस दिन चंद्रमा पर लैंड हुआ था Chandrayaan-3, उस दिन मनाया जाएगा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस

ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने 23 अगस्त 2024 को National Space Day घोषित किया है. पिछले साल इसी दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास Chandrayaan-3 की लैंडिंग हुई थी. इसरो चीफ ने देश के सभी लोगों को इसरो के कार्यक्रमों और सेलिब्रेशन में भाग लेने की अपील की है.

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23 अगस्त 2024 को इसरो नेशनल स्पेस डे मनाने जा रहा है. इस बात की घोषणा खुद इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने की है. 23 अगस्त 2024 को इसरो नेशनल स्पेस डे मनाने जा रहा है. इस बात की घोषणा खुद इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने की है.

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

23 अगस्त 2023 को भारत का चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था. अब इसरो प्रमुख ने एक्स यानी ट्विटर पर एक वीडियो जारी करके इस दिन को नेशनल स्पेस डे (National Space Day) घोषित किया है. इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने देश भर के लोगों से इस सेलिब्रेशन में भाग लेने की अपील की है. 

इसरो चीफ ने कहा कि इस दिन पूरे देश में इसरो की तरफ से आयोजन होंगे. लेकिन इस सेलिब्रेशन से पहले ये जानते हैं कि कैसे हमारे ISRO वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 की लैंडिंग कराई थी... 

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पढ़िए खतरनाक लैंडिंग की पूरी कहानी 

23 अगस्त 2023 की शाम पांच बजकर 20 मिनट पर ISRO ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव स्ट्रीमिंग शुरू हुई थी. यूट्यूब, फेसबुक और इसरो की साइट पर. लाखों-करोड़ों लोग उसे देख रहे थे. जब इसरो वैज्ञानिकों ने सूचना दी कि अब लैंडिंग शुरु होने वाली है. लोग आतुरता से इसरो की स्ट्रीमिंग से नजरें भी नहीं हटा रहे थे. 

जिन चार्ट्स और ग्राफ्स को सिर्फ साइंटिस्ट समझते हैं, उन्हें देखकर लोग समझने की कोशिश कर रहे थे. हम आपको एक आसान से चार्ट से समझाते हैं कि इस लैंडिंग की खास बात क्या थी. 

लैंडिंग की जगह से चंद्रयान-3 ऊंचाई में 30 किलोमीटर और सतह से 745.6 किलोमीटर दूर था. यहां से शुरू होती है लैंडिंग. लैंडिंग को चार हिस्सों में बांटा गया था. 

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रफ ब्रेकिंग फेज: 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 7.4 किलोमीटर की दूरी तक चंद्रयान-3 के लैंडर को आना था. इसमें उसे 690 सेकेंड लगे. यानी 11.5 मिनट. इस दौरान चंद्रयान ने 713 किलोमीटर की यात्रा की. उसने यात्रा की शुरुआत 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड किया. यह गति नीचे आने की थी. हॉरीजोंटल गति .61 मीटर प्रति सेकेंड थी.

एल्टीट्यूड होल्ड फेज: यानी 32 से 28.52 किलोमीटर की दूरी तय की गई. ऊंचाई थी 6.8 किलोमीटर. समय लगा मात्र 10 सेकेंड. नीचे आने की गति 336 मीटर प्रति सेकेंड थी. हॉरीजोंटल गति .59 मीटर प्रति सेकेंड थी. 

फाइन ब्रेकिंग फेज: 28.52 किलोमीटर से 0 किलोमीटर तक की दूरी तय की. यानी लैंडर अब लैंडिंग वाली जगह के ठीक ऊपर था. ऊंचाई थी 0.8 से 1.3 किलोमीटर. क्योंकि उसे उतरने की सही जगह देखते हुए नीचे आना था. यानी वह हेलिकॉप्टर की तरह उड़ रहा था. उसके चारों पैर नीचे की तरफ थे. इस स्थिति में वह 2 मीटर प्रति सेकेंड की गति से 150 मीटर की ऊंचाई तक आया. ये पूरा प्रोसेस करने में इसे 175 सेकेंड लगे यानी करीब तीन मिनट.  

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टर्मिनल डिसेंट फेज: ये शुरू होती है 150 मीटर की ऊंचाई से सीधे नीचे सतह की ओर. इस दौरान चंद्रयान-3 का लैंडर हॉरीजोंटली 0.5 मीटर प्रति सेकेंड और 2 मीटर प्रति सेकेंड की गति से वर्टिकली नीचे आ रहा था. 

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150 मीटर से 60 मीटर तक आने में उसे 73 सेकेंड लगे. जिसमें 52 सेकेंड रीटारगेटिंग थे. यानी सुरक्षित जगह खोजने में लगे. इसके बाद 60 मीटर से 10 मीटर की दूरी उसने 38 सेकेंड में पूरी की. आखिरी 9 सेकेंड में उसने 10 मीटर से सतह तक की दूरी तय की. 

इतनी गणित और सटीकता के बाद विक्रम लैंडर ने अपने पांव चांद की जमीन पर रखे. तब जाकर यह मिशन सफल हुआ. इतना ही नहीं लैंडिंग के करीब तीन में जब लैंडिंग की वजह से उठी चांद की धूल (Moon Dust) जमीन पर बैठ गई, तब प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) बाहर निकला.

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