हिमालय में बसा भारत का कोल्ड डेजर्ट बना 13वां यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व, पहला हाई-एल्टीट्यूड बायोरिजर्व

भारत का कोल्ड डेजर्ट अब 13वां यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व बन गया. हाल ही में चीन के हांगझोउ में घोषणा हुई. हिमालय का यह पहला हाई-एल्टीट्यूड कोल्ड डेजर्ट रिजर्व 7770 वर्ग किमी में फैला है. पिन वैली, चंद्रताल, सरचू, किब्बर शामिल. स्नो लेपर्ड, हिमालयी आईबेक्स जैसे जानवर, 732 पौधे प्रजातियां. 12000 लोग पशुपालन से जीविका चलाते.

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ये है भारत की नुब्रा वैली. इसी पिन वैली है जिसे हाई एल्टीट्यूज रिजर्व बनाया गया है. (File Photo: Getty) ये है भारत की नुब्रा वैली. इसी पिन वैली है जिसे हाई एल्टीट्यूज रिजर्व बनाया गया है. (File Photo: Getty)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:14 PM IST

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और शैक्षिक संस्था यूनेस्को ने भारत के कोल्ड डेजर्ट को बायोस्फियर रिजर्व घोषित कर दिया. यह भारत का 13वां यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व है. यह पहला हाई-एल्टीट्यूड (ऊंचाई वाला) कोल्ड डेजर्ट रिजर्व है. यह घोषणा चीन के हांगझोउ में पांचवें वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ बायोस्फियर रिजर्व्स में हुई. दुनिया भर में 26 नए स्थलों को चुना गया. यह रिजर्व यूनेस्को के ग्लोबल नेटवर्क का हिस्सा बनेगा.

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कोल्ड डेजर्ट क्या है? एक ठंडी और सूखी दुनिया

कोल्ड डेजर्ट हिमालय की गोद में बसा एक अनोखा इलाका है. यह ऊंचाई 3300 से 6600 मीटर तक फैला है. कुल क्षेत्रफल 7770 वर्ग किलोमीटर है. यहां हवा तेज चलती है, बर्फीले मैदान, ग्लेशियर घाटियां, पहाड़ी झीलें और ऊबड़-खाबड़ ठंडे रेगिस्तान हैं. यह दुनिया के सबसे ठंडे और सूखे पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है.

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यह रिजर्व पिन वैली नेशनल पार्क और उसके आसपास के इलाकों को कवर करता है. इसमें चंद्रताल झील, सरचू और किब्बर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी शामिल हैं. यह ट्रांस-हिमालय क्षेत्र का हिस्सा है, जहां सर्दियां बहुत कठोर होती हैं.

जैव विविधता: जानवरों और पौधों का खजाना

यह रिजर्व वन्यजीवों का घर है. यहां बर्फीले तेंदुए (स्नो लेपर्ड), हिमालयी आईबेक्स (बकरी जैसा जानवर), नीले भेड़िए (ब्लू शीप), हिमालयी भेड़िये, गोल्डन ईगल और हिमालयी स्नो कॉक जैसे दुर्लभ जानवर रहते हैं. ये जानवर ऊंचाई पर ही जीवित रह सकते हैं.

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पौधों की बात करें तो यहां 732 प्रकार की वैस्कुलर प्लांट्स (नस वाली पौधें) हैं. इनमें 30 एंडेमिक (केवल यहीं पाई जाने वाली) और 157 नियर-एंडेमिक (करीब-करीब यहीं की) प्रजातियां हैं. ये पौधे हिमालय की अनोखी जलवायु में उगती हैं.

लोगों का जीवन: पशुपालन और परंपराएं

इस रिजर्व में करीब 12,000 लोग बिखरे हुए गांवों में रहते हैं. वे याक और बकरी पालन, छोटे स्तर की खेती और पारंपरिक तिब्बती चिकित्सा से गुजारा चलाते हैं. बौद्ध मठों की परंपराएं और स्थानीय पंचायतें यहां के नाजुक संसाधनों का प्रबंधन करती हैं. लोग प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीते हैं.

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घोषणा का महत्व: संरक्षण और विकास का संतुलन

यूनेस्को के साउथ एशिया रीजनल ऑफिस के डायरेक्टर टिम कर्टिस ने कहा कि कोल्ड डेजर्ट बायोस्फियर रिजर्व एक मजबूत उदाहरण है कि नाजुक पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा कैसे की जा सकती है. साथ ही उन समुदायों का समर्थन जो इन पर निर्भर हैं. 

यह घोषणा भारत की संरक्षण और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दिखाती है. यह घोषणा यूनेस्को के मैन एंड द बायोस्फियर प्रोग्राम की 50वीं वर्षगांठ पर हुई. यह प्रोग्राम दुनिया भर में 785 स्थलों पर संरक्षण, सतत विकास और रिसर्च को बढ़ावा देता है।

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भारत के अन्य बायोस्फियर रिजर्व

भारत अब 13 यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व वाला देश बन गया. पहले के रिजर्व में नीलगिरि, नंदा देवी, सुंदरबन, नोएल्स, पचमारही, खंगचेंदजोंगा, आगरा, ग्रेट निकोबार, मानारमाई, पारुल, अचंकोलम और खांगचेंदजोंगा शामिल हैं. कोल्ड डेजर्ट इनमें सबसे ऊंचाई वाला और ठंडा है.

यह रिजर्व न सिर्फ जैव विविधता बचाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन को बेहतर बनाएगा. पर्यटन और रिसर्च से विकास होगा, लेकिन प्रकृति की रक्षा पहले. भारत का यह कदम पर्यावरण संरक्षण में नई मिसाल बनेगा.

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