क्या गायब हो जाएगा कैस्पियन सागर? पांच साल में तीन फीट नीचे गया पानी... 5 देशों के लिए खतरा

कैस्पियन सागर का सिकुड़ना एक गंभीर संकट है, जो न केवल अजरबैजान, बल्कि ईरान, कजाकिस्तान, रूस और तुर्कमेनिस्तान के लिए भी खतरा है. तेल शिपमेंट, बंदरगाह और मछली पकड़ने जैसे आर्थिक गतिविधियों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. स्टर्जन और कैस्पियन सील जैसी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं. जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप इस संकट को बढ़ा रहे हैं.

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अजरबैजान के बाकू शहर के पास कैस्पियर सागर का एरियल व्यू. (File Photo: Reuters) अजरबैजान के बाकू शहर के पास कैस्पियर सागर का एरियल व्यू. (File Photo: Reuters)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST

कैस्पियन सागर, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा नमकीन झील कहा जाता है, तेजी से सिकुड़ रहा है. अजरबैजान के अधिकारियों ने इस बारे में गंभीर चिंता जताई है. पिछले पांच साल में इसका जलस्तर 0.93 मीटर (3 फीट) नीचे गिर चुका है. यह गिरावट हर साल 20-30 सेंटीमीटर की रफ्तार से हो रही है.

इस सिकुड़ते सागर का असर न केवल तेल शिपमेंट और बंदरगाहों पर पड़ रहा है, बल्कि स्टर्जन मछलियां और कैस्पियन सील जैसी प्रजातियां भी खतरे में हैं. अजरबैजान के उप-पर्यावरण मंत्री रऊफ हाजीयेव ने इस संकट को आर्थिक और पर्यावरणीय आपदा करार दिया है.

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कैस्पियन सागर: दुनिया का अनमोल खजाना

कैस्पियन सागर अजरबैजान, ईरान, कजाकिस्तान, रूस और तुर्कमेनिस्तान जैसे पांच देशों से घिरा हुआ है. यह दुनिया का सबसे बड़ा बंद जलाशय है. जिसे नमकीन झील कहा जाता है. इसकी गहराई और विशालता इसे तेल और गैस भंडारों का केंद्र बनाती है.

इसके अलावा, यह स्टर्जन मछलियों का घर है, जिनके कैवियार (अंडे) की दुनिया भर में भारी मांग है. साथ ही, कैस्पियन सील जैसी अनोखी प्रजातियां भी यहीं पाई जाती हैं. लेकिन अब यह सागर तेजी से सिकुड़ रहा है, जिससे इन देशों की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और स्थानीय लोगों की जिंदगी पर गहरा असर पड़ रहा है.

जलस्तर में गिरावट: कितनी और क्यों?

रऊफ हाजीयेव ने बताया कि कैस्पियन सागर का जलस्तर दशकों से कम हो रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में यह रफ्तार बढ़ गई है. आंकड़ों के अनुसार...

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  1. पिछले 5 साल में जलस्तर 0.93 मीटर (3 फीट) गिरा.
  2. पिछले 10 साल में 1.5 मीटर की कमी आई.
  3. पिछले 30 साल में 2.5 मीटर की गिरावट दर्ज हुई.
  4. हर साल जलस्तर 20-30 सेंटीमीटर कम हो रहा है.

इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं...

जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान और कम बारिश के कारण सागर में पानी का प्रवाह कम हो रहा है. वोल्गा नदी, जो सागर में 80% पानी की आपूर्ति करती है, उसमें भी पानी की मात्रा घटी है.

वोल्गा नदी पर बांध: अजरबैजान का कहना है कि रूस ने वोल्गा नदी पर 40 बांध बनाए हैं. 18 और बन रहे हैं. ये बांध बिजली और सिंचाई के लिए पानी रोक रहे हैं, जिससे सागर तक पानी नहीं पहुंच रहा.

हालांकि, रूस इस समस्या का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन को मानता है. कुछ वैज्ञानिक, जैसे तेलमन जैनालोव और प्योत्र बुखारित्सिन का मानना है कि सागर के जलस्तर में उतार-चढ़ाव प्राकृतिक और चक्रीय है. लेकिन कजाकिस्तान के पर्यावरण विशेषज्ञ किरिल ओसिन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और नदियों का अत्यधिक उपयोग इस संकट को बढ़ा रहा है.

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आर्थिक असर: तेल और बंदरगाह

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कैस्पियन सागर के सिकुड़ने का सबसे बड़ा असर अजरबैजान की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, जो तेल और गैस पर निर्भर है. बाकू इंटरनेशनल सी पोर्ट के निदेशक एल्डर सलाखोव ने बताया कि सागर के कम होते जलस्तर के कारण जहाजों को बाकू बंदरगाह में आने-जाने में दिक्कत हो रही है. इससे...

  • तेल शिपमेंट में कमी आई है. दुबेंदी ऑयल टर्मिनल से 2025 की पहली छमाही में 8.1 लाख टन तेल और तेल उत्पाद भेजे गए, जो पिछले साल के 8.8 लाख टन से कम है.
  • लॉजिस्टिक्स लागत बढ़ गई है, क्योंकि जहाजों की माल ढोने की क्षमता घटी है.
  • बंदरगाहों को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग (खुदाई) का काम करना पड़ रहा है. 2024 में दुबेंदी टर्मिनल पर 2.5 लाख घन मीटर ड्रेजिंग की गई ताकि बड़े टैंकर आ सकें.

बाकू शिपयार्ड ने अप्रैल 2025 में एक नया ड्रेजिंग जहाज, इंजीनियर सोल्तान काजिमोव बनाया, जो समुद्र तल को 18 मीटर तक गहरा कर सकता है. यह बंदरगाह की क्षमता बनाए रखने में मदद करेगा.

पर्यावरण पर संकट

कैस्पियन सागर का सिकुड़ना केवल अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं है. यह पर्यावरणीय आपदा भी ला रहा है...

स्टर्जन मछलियां: ये मछलियां, जिनके कैवियार की कीमत लाखों में है. पहले से ही विलुप्त होने की कगार पर हैं. जलस्तर गिरने से इनके 45% ग्रीष्म और शरदकालीन आवास नष्ट हो गए हैं. साथ ही, वे वोल्गा नदी जैसे प्रजनन स्थलों तक नहीं पहुंच पा रही हैं.

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कैस्पियन सील: सागर का क्षेत्र सिकुड़ने और उत्तरी हिस्से में बर्फ के मैदानों के गायब होने से सील की प्रजनन जगहें खतरे में हैं. अगर जलस्तर 5 मीटर और गिरा, तो 81% प्रजनन स्थल नष्ट हो जाएंगे. 10 मीटर की गिरावट में ये लगभग पूरी तरह खत्म हो जाएंगे.

आर्द्रभूमि और लगून: सागर का पानी पीछे हटने से तटीय आर्द्रभूमि, लगून और रीड बेड्स नष्ट हो रहे हैं, जो कई प्रजातियों के लिए जरूरी हैं.

सामाजिक और क्षेत्रीय प्रभाव

कैस्पियन सागर के तट पर 1.5 करोड़ लोग रहते हैं, जिनमें से 40 लाख अजरबैजान में हैं. जलस्तर की कमी से...

  • स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है, खासकर मछुआरों की जो स्टर्जन पर निर्भर हैं.
  • पेयजल की आपूर्ति में दिक्कत हो रही है, जैसा कि कजाकिस्तान के अकताऊ शहर में 2023 में देखा गया, जहां आपातकाल घोषित करना पड़ा.
  • चीन और यूरोप के बीच व्यापार का महत्वपूर्ण रास्ता मध्य गलियारा (ट्रांस-कैस्पियन इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट प्रभावित हो रहा है. 

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क्या है इसका कारण?

  • जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान और कम बारिश सागर में पानी की आपूर्ति घटा रहे हैं. वोल्गा बेसिन में बारिश अब उत्तर की ओर (मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग) जा रही है, जो आर्कटिक महासागर में बह रही है.
  • वोल्गा नदी पर बांध: रूस के बांध और जलाशय सागर तक पानी नहीं पहुंचने दे रहे.
  • कारा-बोगाज-गोल खाड़ी: तुर्कमेनिस्तान में यह खाड़ी सागर से पानी खींचकर तेजी से वाष्पित कर रही है.
  • सैन्य गतिविधियां: रूस ने 2022 से कैस्पियन सागर से कलिबर क्रूज मिसाइलें दागी हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ा है. 2022 में कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में सैकड़ों सील मृत पाए गए.

क्या किया जा रहा है?

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अजरबैजान-रूस कार्य समूह: अप्रैल 2025 में दोनों देशों ने इस समस्या पर चर्चा के लिए पहली बार मुलाकात की. सितंबर में एक ऑनलाइन निगरानी कार्यक्रम शुरू करने की योजना है.
अस्ताना इंटरनेशनल फोरम (AIF2025): अजरबैजान के मुख्तार बाबायेव ने कैस्पियन सागर को बचाने के लिए एक उच्च-स्तरीय शिखर सम्मेलन बुलाने का प्रस्ताव रखा.
तेहरान कन्वेंशन: 2025 में होने वाली इस सम्मेलन में सागर के जलस्तर पर चर्चा होगी.
ड्रेजिंग: अजरबैजान और कजाकिस्तान ने बंदरगाहों को गहरा करने के लिए ड्रेजिंग शुरू की है.

भविष्य के खतरे और समाधान

विशेषज्ञों का अनुमान है कि 21वीं सदी के अंत तक कैस्पियन सागर का जलस्तर 9 से 18 मीटर तक गिर सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो...

  • बंदरगाह और व्यापार मार्ग बंद हो सकते हैं.
  • मछली और सील की प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हो सकती हैं.
  • कैस्पियन अराल सागर जैसी पर्यावरणीय त्रासदी बन सकता है.
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