आजकल हवाई यात्रा सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन हाल के दिनों में बोइंग विमानों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. खासकर, बोइंग 737 मैक्स जैसे मॉडलों में तकनीकी खामियों की शिकायतें सामने आई हैं, जिसके कारण इसके अपने कर्मचारी भी इन विमानों में यात्रा करने से कतराते हैं.
भारत में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने भी एयर इंडिया पर सख्त कार्रवाई की है, क्योंकि इसकी उड़ानों में सुरक्षा और अनुपालन में गंभीर चूक पाई गईं. आइए समझते हैं पूरे मामले को जिसमें एक्स पोस्ट्स और DGCA की कार्रवाइयों का विश्लेषण शामिल है.
बोइंग विमानों में खामियां: कर्मचारियों का डर
हाल ही में खबरें आई हैं कि बोइंग के कई कर्मचारी, जो इन विमानों के पुर्जे बनाते हैं, खुद इनमें यात्रा करने से बचते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इन विमानों के फ्यूजलेज (विमान का मुख्य ढांचा) में गंभीर खामियां पाई गई हैं. उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग 737 मैक्स 9 के फ्यूजलेज में दरारें और कमजोर जोड़ पाए गए, जो हजारों उड़ानों के बाद विमान को तोड़ सकते हैं.
2024 में अलास्का एयरलाइंस के एक विमान में मिड-एयर फ्यूजलेज ब्लोआउट की घटना ने इस खतरे को उजागर किया, जिसमें सौभाग्य से कोई बड़ी हानि नहीं हुई. एक्स यूजर @Chellaney ने लिखा कि बोइंग की गुणवत्ता नियंत्रण में कमी के कारण इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. वहीं, @TheTreeni ने बताया कि कर्मचारी इस बात से चिंतित हैं कि अगर वे खुद इन विमानों में नहीं बैठना चाहते, तो आम यात्रियों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी? यह सवाल विमानन उद्योग में गंभीर बहस का विषय बन गया है.
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DGCA की एयर इंडिया पर कार्रवाई
भारत में DGCA ने एयर इंडिया की सुरक्षा और अनुपालन में लगातार चूक के लिए कई बार जुर्माना लगाया है, खासकर तब जब यह बोइंग विमानों का इस्तेमाल कर रही थी. नीचे कुछ प्रमुख कार्रवाइयों की सूची दी गई है, जो एयर इंडिया के खिलाफ 2022 से 2024 के बीच की गईं...
इन कार्रवाइयों से साफ है कि DGCA ने एयर इंडिया की ओर से सुरक्षा नियमों की अनदेखी को गंभीरता से लिया है. @bsindia की पोस्ट में बताया गया कि 2022 में निजीकरण के बाद से एयर इंडिया पर कई बार सवाल उठे हैं, जिसमें पायलटों की ट्रेनिंग, कॉकपिट सुरक्षा और यात्री सेवाओं में कमी शामिल है.
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हालिया हादसा और सुरक्षा चिंताएं
12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया. इस हादसे में 242 यात्रियों में से केवल एक, 38 वर्षीय रमेश विश्वासकुमार जिन्होंने इमरजेंसी एग्जिट से निकलकर अपनी जान बचाई. @Sputnik_India ने बताया कि यह हादसा बोइंग विमान के फ्यूजलेज में खामियों और रखरखाव की कमी का नतीजा हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो भविष्य में और हादसे हो सकते हैं.
तुलना और सबक
बोइंग की समस्याएं केवल भारत तक सीमित नहीं हैं. अमेरिका में भी इसके खिलाफ मुकदमे और जांच चल रही है, खासकर फ्यूजलेज और डोर प्लग सिस्टम की खामियों को लेकर. भारत में DGCA की सख्ती ने यह संदेश दिया है कि सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा. एयर इंडिया को चाहिए कि वह अपने रखरखाव और पायलट ट्रेनिंग पर ध्यान दे, ताकि यात्रियों का भरोसा वापस जीता जा सके.
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बोइंग विमानों में खामियों और एयर इंडिया की सुरक्षा चूक ने हवाई यात्रा को लेकर चिंता बढ़ा दी है. कर्मचारियों का डर और DGCA की कार्रवाइयां इस बात का सबूत हैं कि सुधार की जरूरत है. अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि विमानन उद्योग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा सकता है.
ऋचीक मिश्रा