Baidyanath Mandir: रावण से नहीं होती ये एक गलती तो न होता बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, पढ़ें दिलचस्प कथा

Baidyanath Mandir: बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे चिकित्सकों के भगवान (वैद्य) के रूप में भी जाना जाता है. यहाँ भगवान शिव ‘बैद्यनाथ’ के रूप में पूजे जाते हैं. इस ज्योतिर्लिंग को विशेष स्थान प्राप्त है.

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बाबा बैद्यनाथ धाम सिर्फ एक ज्योतिर्लिंग ही नहीं, बल्कि एक शक्तिपीठ भी है. (Picture credit: PTI) बाबा बैद्यनाथ धाम सिर्फ एक ज्योतिर्लिंग ही नहीं, बल्कि एक शक्तिपीठ भी है. (Picture credit: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST

Baidyanath Mandir: हिंदू धर्म में श्रावण मास को बेहद पवित्र माना गया है. यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. माना जाता है कि जो भक्त सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम लेते हैं, उनके सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं. इन्हीं 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में  बाबा बैद्यनाथ धाम भी है, जो झारखंड के देवघर में स्थित है.

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कहां स्थित है बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग?

बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे चिकित्सकों के भगवान (वैद्य) के रूप में भी जाना जाता है. यहां भगवान शिव ‘बैद्यनाथ’ के रूप में पूजे जाते हैं. इस ज्योतिर्लिंग को विशेष स्थान प्राप्त है.

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

बैद्यनाथ धाम की कथा त्रेतायुग से जुड़ी है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, लंकापति रावण ने शिवजी को खुश करने के लिए कठोर तपस्या की थी. रावण ने अपने एक-एक करके नौ सिर महादेव को अर्पित कर दिए थे. जब वह दसवां सिर चढ़ाने वाला था, तभी भगवान शिव प्रकट हुए और रावण को दर्शन दिए थे. उस समय रावण ने भगवान शिव से उनकी पूजा के लिए शिवलिंग को लंका ले जाने की अनुमति मांगी ली थी. इस बात पर भगवान शिव ने शर्त रखी कि रास्ते में यदि तुमने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया, तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा. रावण ने यह स्वीकार किया और लंका की ओर चल पड़ा था.

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रास्ते में रावण को लघुशंका लगी और उसने शिवलिंग को एक चरवाहे को पकड़ा दिया था. लेकिन जब रावण लौटकर आया तब शिवलिंग जमीन पर रखा हुआ था. यह देखकर रावण ने शिवलिंग को उठाने की कोशिश की, लेकिन वह उसे नहीं उठा पाया. तभी से वह शिवलिंग देवघर में स्थापित हो गया है.

शक्तिपीठ के रूप में बैद्यनाथ धाम

बाबा बैद्यनाथ धाम सिर्फ एक ज्योतिर्लिंग ही नहीं, बल्कि एक शक्तिपीठ भी है. माना जाता है कि जब देवी सती ने यज्ञ में आत्मदाह किया था, तब भगवान शिव उनका शव लेकर विचरण करने लगे. भगवान विष्णु ने उनके शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से खंड-खंड कर दिया था. ऐसे में जहां-जहां उनके अंग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए थे. देवघर वह स्थान है जहां देवी सती का हृदय गिरा था, इसलिए इसे हृदयपीठ भी कहा जाता है. यहाँ स्थित शक्तिपीठ में देवी जया दुर्गा के रूप में विराजमान हैं.

बैद्यनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय

बैद्यनाथ मंदिर सुबह 4 बजे से भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया जाता है और मंदिर शाम 10 बजे के बाद बंद होता है. इस दौरान मंदिर में कई अलग-अलग आरतियां और श्रृंगार किया जाता है. दोपहर के समय 3:30 बजे से शाम 6 बजे तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. मंदिर के प्रागण में भक्त सुबह 4 बजे से 10 बजे तक कभी भी जा सकते हैं लेकिन मंदिर के गर्भ गृह का रास्ता बहार से होकर जाता है जो दोपहर में बंद रहता है. सावन के महीने में यहां विशेष भीड़ होती है और कांवड़ यात्रा का भी आयोजन होता है.

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कैसे पहुंचे बाबा बैद्यनाथ के धाम?

फ्लाइट रूट
अगर आप दिल्ली में रहने वाले हैं तो इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से फ्लाइट लेकर देवघर एयरपोर्ट (डीजीएच) पहुंचना होगा. इस एयरपोर्ट को बाबा बैद्यनाथ एयरपोर्ट भी कहा जाता है. इस यात्रा में आपको करीब सवा दो घंटे का समय लगेगा. इसके बाद आप बस या टैक्सी लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंच सकते हैं.

ट्रेन रूट
यदि आप ट्रेन से बाबा बैद्यनाथ धाम जाना चाहते हैं तो आपको देवघर जिले के जसीडीह जंक्शन पहुंचना होगा. यहां से बैद्यनाथ धाम की दूरी करीब 7 किलोमीटर है. आप ऑटो रिक्शा, टैक्सी या बस लेकर यहां पहुंच सकते हैं.

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