नवरात्र के अवसर पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना की जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. नवरात्रों के शुभ अवसर पर आज हम आपको मातारानी के प्रसिद्ध शक्ति पीठों के बारे में बताएंगे. शास्त्रों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ का उदय हुआ है.
दुनियाभर में कुल 51 स्थानों में माता के शक्तिपीठों का निर्माण हुआ है. अगले जन्म में सती ने राजा हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को पुन: पति रूप में प्राप्त किया. पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित हैं.
देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है तो देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है. तन्त्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. आपको बता दें कि देवी पुराण के मुताबिक 51 शक्तिपीठ में से कुछ विदेश में भी स्थापित हैं. भारत में 42 शक्तिपीठ है और 5 देशों में 9 शक्तिपीठ है.
विदेश में 9 शक्तिपीठ स्थापित है. जो इस प्रकार हैं:- पाकिस्तान में 1, बांग्लादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 और नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं.
इसमें 1. मानस शक्तिपीठ, तिब्बत, (2) लंका शक्तिपीठ, श्रीलंका (3) गण्डकी
शक्तिपीठ, नेपाल (4) गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल (काठमांडू), (5) हिंगलाज
शक्तिपीठ, पाकिस्तान, (6) बांग्लादेश में सुगंध शक्तिपीठ, खुलना, (7)
करतोयाघाट शक्तिपीठ, भवानीपुर, (8) चट्टल शक्तिपीठ, चटगांव, (9) यशोर
शक्तिपीठ, जैसोर शामिल हैं.
मानस शक्तिपीठ, तिब्बत:
तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित है. जहां माता की दाहिना हथेली गिरी थी.
यहां की शक्ति की दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं. मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है.
हिंगलाज शक्तिपीठ, पाकिस्तान: पुराणों के अनुसार सती
का सिर गिरा था. इसीलिए मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं,
बल्कि उनका सिर्फ सिर नजर आता है.
लंका शक्तिपीठ, श्रीलंका: यहां सती का का "पायल" गिरी थी. हालांकि उस स्थान का पता नहीं पायल श्री लंका के किस स्थान पर गिरी थी.
गण्डकी शक्तिपीठ, नेपाल: इस शक्तिपीठ में सती के "दक्षिणगण्ड" (कपोल) गिरा था. यहां शक्ति `गण्डकी´ तथा भैरव चक्रपाणि हैं.
गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल (काठमांडू): यहां सती के शरीर के दोनो घुटने गिरे थे. सुगंधा शक्तिपीठ, खुलना: यहां सती की नासिका गिरी थी. ये मां के सुगंध का शक्तिपीठ है.
करतोयाघाट शक्तिपीठ, भवानीपुर: यहां सती का त्रिनेत्र गिरा था. चट्टल शक्तिपीठ, चटगांव: यहां सती की 'दाहिनी भुजा' गिरी थी.
यशोर शक्तिपीठ, जैसोर: यहां सती की 'बाई हथेली' गिरी थी. यह शक्तिपीठ वर्तमान बांग्लादेश में खुलना जिले के जैसोर नामक नगर में स्थित है.