Vaikuntha Ekadashi 2025: 30 या 31 दिसंबर, कब है साल की आखिरी एकादशी? जानें सही डेट और पारण का दिन

Vaikuntha Ekadashi 2025: साल 2025 की आखिरी एकादशी यानी वैकुंठ एकादशी आने वाली है. जो भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण पावन तिथि मानी जा रही है. इस एकादशी को लेकर लोग बड़े असमंजस में हैं कि यह कब मनाई जाएगी. तो आइए जानते हैं इसकी सही डेट.

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30 या 31 दिसंबर 2025, कब है वैकुंठ एकादशी (Photo: ITG) 30 या 31 दिसंबर 2025, कब है वैकुंठ एकादशी (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

Vaikuntha Ekadashi 2025: वैकुंठ एकादशी, भगवान विष्णु को समर्पित साल की सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक मानी जाती है. यह पावन तिथि 30 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी. वैकुंठ एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन का बहुत ही विशेष महत्व है. मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी का व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

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30 या 31 दिसंबर कब है वैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi 2025 Date & Tithi)

द्रिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 5 बजे होगा. उदयातिथि के अनुसार, 30 दिसंबर को ही वैकुंठ एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

इस एकादशी का पारण 31 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक होगा.

वैकुंठ एकादशी की पूजन विधि (Vaikuntha Ekadashi 2025 Pujan Vidhi)

वैकुंठ एकादशी के दिन भक्त ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु (नारायण) की विधि-विधान से पूजा करते हैं. पूजा में पीले वस्त्र, फूल, चंदन, रोली, अगरबत्ती, दीपक, फल और मिठाई अर्पित की जाती है. शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है.

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तुलसी पूजन और जरूरी सावधानियां (Vaikuntha Ekadashi 2025 Niyam)

वैकुंठ एकादशी पर तुलसी का पौधा लगाना या उसकी पूजा करना शुभ माना जाता है. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें. लेकिन इस दिन तुलसी के पौधे में जल नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि एकादशी पर माता तुलसी निर्जला व्रत करती हैं.

लक्ष्मी चालीसा पाठ का महत्व

वैकुंठ एकादशी पर लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों को समर्पित होता है. इस दिन विष्णु मंदिरों में विशेष दर्शन होते हैं, जिन्हें ‘वैकुंठ द्वार’ या ‘स्वर्ग का द्वार’ कहा जाता है. मान्यता है कि इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

दान-पुण्य से मिलती है समृद्धि (Vaikuntha Ekadashi Daan)

इस दिन गरीबों, ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन कराना बहुत शुभ माना जाता है. पीले वस्त्र, चना दाल, हल्दी, केसर, फल, मिठाई और भगवद्गीता जैसे पवित्र ग्रंथों का दान करने से धन-संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है.

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