मानसून की भविष्यवाणी करता है ये चमत्कारी मंदिर, इस तरह देता है बारिश का संकेत

कानपुर के पास एक ऐसा प्राचीन मंदिर मौजूद है, जो मानसून के आने से पहले ही बारिश की स्थिति का संकेत दे देता है. सदियों पुरानी इस परंपरा में लोगों की गहरी आस्था है और हर साल यहां का यह अनोखा नज़ारा लोगों को चकित कर देता है. बेहटा और आसपास के गांव के लोगों का दावा है कि करीब 4 हजार साल पुराने इस मंदिर से संकेत मिल जाता है कि इस साल कैसे बारिश होगी.

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कानपुर स्थित करीब 4 हजार साल पुराना यह मंदिर बारिश से पहले ही मानसून का संकेत दे देता है. कानपुर स्थित करीब 4 हजार साल पुराना यह मंदिर बारिश से पहले ही मानसून का संकेत दे देता है.

सिमर चावला

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:51 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास एक ऐसा प्राचीन मंदिर मौजूद है, जो मानसून के आने से पहले ही बारिश की स्थिति का संकेत दे देता है. सदियों पुरानी इस परंपरा में लोगों की गहरी आस्था है और हर साल यहां का यह अनोखा नजारा लोगों को चकित कर देता है. बेहटा और आस-पास के गांव के लोगों का दावा है कि करीब 4 हजार साल पुराने इस मंदिर से संकेत मिल जाता है कि इस साल बारिश कब और कैसी होगी. ये भविष्यवाणी सटीक साबित होती है. इसलिए लोगों की मंदिर में आस्था है.

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शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर घाटमपुर के बेहटा गांव में स्थित भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि वर्षा की भविष्यवाणी के लिए भी प्रसिद्ध है. मौसम विभाग के अलावा लोग यहां की भविष्यवाणी को भी मानते हैं. यही वजह है कि देश-विदेश से कई वैज्ञानिक भी इस रहस्य को समझने के लिए यहां आ चुके हैं.

मंदिर के महंत केपी शुक्ला बताते हैं कि मानसून से लगभग एक हफ्ता पहले, भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा पर मंदिर के गुंबद से पानी की बूंदें गिरने लगती हैं. उनका कहना है कि अगर पत्थर हल्की नमी लिए हो तो कम बारिश होती है, बूंदें साफ दिखाई दें तो सामान्य बारिश होती है और अगर बूंदें ज्यादा मात्रा में हों तो अच्छी बारिश के संकेत होते हैं. इस साल भी उन्होंने अच्छा मानसून होने की संभावना जताई है. अब तक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया यह रहस्य.

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महंत का कहना है कि यह मंदिर ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से भी पुराना है. यहां मौर्य, गुप्त और सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी मिले हैं. रविवार की रात भी प्रतिमा पर बूंदें देखी गईं. कई वैज्ञानिक अब तक इसकी जांच कर चुके हैं, मगर इसका रहस्य अब भी अनसुलझा है. वैज्ञानिकों की नज़र में चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एस. एन. सुनील पांडेय बताते हैं कि उन्होंने दो बार मंदिर का निरीक्षण किया. उनके मुताबिक, पत्थर में नमी जमने से बूंदें बन जाती हैं, जिसे लोग मानसून का संकेत मानते हैं. हालांकि, इसके पीछे का असली कारण अब भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है.

गांव के बुजुर्ग भगवान दीन का कहना है कि यह चमत्कार हर साल दिखाई देता है और भविष्यवाणियां अक्सर सही साबित होती हैं. गांव की ही अंशिका वर्मा बताती हैं कि भीषण गर्मी के बीच प्रतिमा पर बूंदें देखना रहस्य जैसा लगता है. उनके पूर्वज भी इन्हीं बूंदों के आधार पर मानसून का अंदाजा लगाया करते थे.

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