Angarki Chaturthi 2021: प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. जब गणेश चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं. इसलिए आज अंगारकी चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी की पूजा की जाएगी. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा किए जाने से गणेश जी सभी संकट दूर करते हैं. इस पूजा के दौरान गणेश जी के विशेष मंत्रों का जाप करने से बड़ी से बड़ी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. आइए जानते हैं इस मंत्र के बारे में...
इस तरह शुरू करें व्रत
संकष्टी चतुर्थी जब मंगलवार के दिन हो, तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश का नाम लेकर व्रत शुरू करें. ध्यान रखें कि व्रत में गणपति पूजन के बाद चंद्र दर्शन करें और उसके बाद ही उपवास खोलें. इस व्रत को लेकर मान्यता है कि यदि इस दिन विधि विधान से पूजन किया जाता है ताे सभी संकटों काे गणपति स्वयं ही हर लेते हैं. इसके साथ ही हनुमान जी को यदि इस दिन सिंदूर अर्पित करें, तो मंगल दोष से भी राहत मिलती है.
इस मंत्र का करें जाप
अंगारकी चतुर्थी पर गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
ऐसे करें पूजा
इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं. इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करें, ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है. स्नान के बाद गणेश जी की पूजा करें. पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए. सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें. इसके बाद पूजा में तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें. ध्यान रहे कि पूजा के समय देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें. ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है. गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें. इस दौरान हनुमान जी का भी पूजन करें. हनुमान जी को सिंदूर से तिलकर करें. इसके बाद गणेश जी को भोग लगाएं. मंगल के दोष से राहत पाने के लिए इस दिन गणेशजी के साथ हनुमानजी का भी ध्यान करें. इसके साथ ऋणहर्ता और विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के गणेश स्तोत्र का पाठ करें.
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