जंगलों में जानवरों की मौत, खेत हो रहे बंजर... जोजरी नदी में प्रदूषण पर 9 अक्टूबर को SC सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों को गंभीर बताते हुए राज्य सरकार व केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि उद्योग पर्यावरण नियमों का पालन करें. जहर उगल रही जोजरी नदी का पानी पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है.

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टाइल्स और कपड़ा उद्योगों से निकलने वाले कचरे को बिना ट्रीट किए राजस्थान की जोजरी नदी में डाला जा रहा. (File Photo: PTI) टाइल्स और कपड़ा उद्योगों से निकलने वाले कचरे को बिना ट्रीट किए राजस्थान की जोजरी नदी में डाला जा रहा. (File Photo: PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:05 PM IST

राजस्थान के नागौर, जोधपुर और बाड़मेर जिलों से बहने वाली जोजरी नदी में औद्योगिक कचरे (इंडस्ट्रियल वेस्ट) से फैलते घातक प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि 9 अक्टूबर को इस पर आदेश पारित किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने दशहरे की छुट्टियों के बाद मामले को सूचीबद्ध करते हुए राजस्थान सरकार के वकील से कहा, 'हम इस पर दशहरा अवकाश के बाद आदेश पारित करेंगे.' इस मामले पर मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. 16 सितंबर को कोर्ट ने जोजरी नदी (जिसे मरूधरा जोजरी भी कहा जाता है) में कपड़ा और टाइल्स फैक्ट्रियों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे के डिस्चार्ज पर स्वत: संज्ञान लिया था.

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बिना ट्रीटमेंट नदी में डाला जा रहा इंडस्ट्रियल वेस्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'राजस्थान की जोजरी नदी में कपड़ा और टाइल्स फैक्ट्रियों से निकलने वाले बड़े पैमाने पर औद्योगिक कचरा डाला जा रहा है, जिससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं और पेयजल मनुष्यों व पशुओं दोनों के लिए अयोग्य हो गया है.' राजस्थान के नागौर जिले में पूंडलू गांव के पास की पहाड़ियों से निकलने वाली यह नदी जोधपुर जिले में खेजड़ला खुर्द के पास लूणी नदी में मिल जाती है. नदी के किनारे बड़ी संख्या में कपड़ा उद्योग और टाइल्स निर्माण इकाइयां हैं.

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सैकड़ों गांवों, जंगलों और खेतों पर पड़ रहा है असर

इनसे निकलने वाला खतरनाक औद्योगिक कचरा बिना किसी शोधन के सीधे नदी में डाला जा रहा है. इसका भयानक असर सैकड़ों गांवों, जंगलों और खेतों पर पड़ रहा है. वन अभयारण्यों में इस नदी का पानी पीने से हिरणों की मौत हो रही है, जबकि स्थानीय लोगों का जीना मुहाल हो गया है. खेत जहरीले हो रहे हैं और कृषि योग्य भूमि बंजर बनती जा रही है. स्थानीय लोगों के अनुसार, राज्य और केंद्र सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. अंतत: सुप्रीम कोर्ट को ही स्वत: संज्ञान लेकर बड़ा हस्तक्षेप करना पड़ा.

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स्थानीय लोगों को त्वचा रोग, श्वसन संबंधी समस्याएं

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों को गंभीर बताते हुए राज्य सरकार व केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि उद्योग पर्यावरण नियमों का पालन करें. जहर उगल रही जोजरी नदी का पानी पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव डाल रहा है. इससे कृषि भूमि बर्बाद हो रही है और स्थानीय निवासियों को त्वचा रोग, श्वसन संबंधी समस्याएं व अन्य स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है. 

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नदी को प्रदूषित करने वाले उद्योगों पर गिरेगी गाज?

सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के वकील ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के कुछ आदेशों का हवाला दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमें इसकी जानकारी है.' कोर्ट ने राज्य को यदि आवश्यक हो तो मामले में नोट दाखिल करने की अनुमति भी दी. यह मामला पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से महत्वपूर्ण है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने पहले गंगा प्रदूषण जैसे मामलों में सख्त निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट का 9 अक्टूबर का आदेश जोजरी नदी को प्रदूषित करने वाले उद्योगों पर लगाम कस सकता है.

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