'यहां बाबा से ऊर्जा लेकर जनता की सेवा करूंगा', बालकनाथ आश्रम में बोले अमित शाह
अमित शाह ने राजस्थान में बाबा बालकनाथ की समाधि स्थल पर आयोजित 108 कुंडीय महामृत्युंजय महायज्ञ में भाग लिया. शाह ने बाबा बस्ती नाथ के धार्मिक जागरूकता प्रयासों की सराहना की और इसे सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने वाला बताया.
राजस्थान के कोटपूतली के पावटा में स्थित बाबा बालनाथ जी की समाधि स्थल पर बाबा बस्ती नाथ जी द्वारा आयोजित 108 कुंडीय महामृत्युंजय महायज्ञ में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रामनवमी के खास मौके पर शिरकत की. इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और बीजेपी के कई नेता शामिल हुए.
108 कुंडीय महामृत्युंजय महायज्ञ को अमित शाह ने संबोधित किया है. शाह ने कहा, 'यज्ञ के माध्यम से लगातार 1 साल तक समाज के हर वर्ग को सनातन धर्म में मानने वाले हर जाति को जोड़कर बाबा बस्ती नाथ ने महान प्रयास किया है. मैं बाबा बद्रीनाथ जी को बहुत-बहुत धन्यवाद कहना चाहता हूं.'
यही भूमि पर एक वर्ष से 108 कुण्डिय महामृत्युंजय महायज्ञ शुरू हुआ था. आज इसका समापन होने जा रहा है. पिछली रामनवमी से इस रामनवमी तक हर 5 दिन में समाज के हर हिस्से से पांच जोड़ा पवित्र भाव के साथ 108 कुंडी यज्ञ पर बैठकर प्रकृति के संरक्षण और सनातन के प्रचार के लिए यहां पर यज्ञ किया है.
मैं बहुत कम आयु से सार्वजनिक जीवन में जुटा हूं. कई सारे धार्मिक कार्यक्रम में भी गया हूं, परंतु इस प्रकार का समाज को जोड़ने वाला. व्यक्तियों को धर्ममय बनाने वाला और पर्यावरण की सेवा करने वाला प्रयास मैंने आज तक नहीं देखा.
इस आश्रम में बाबा बालनाथ जी की प्रेरणा से 16 साल से लगातार यज्ञों का आयोजन बाबा बद्रीनाथ जी के प्रयास से हुआ. अनेक भक्तों ने यहां आकर व्यसनों का त्याग किया. नशामुक्ति की प्रतिज्ञा की, सामाजिक समरसता का प्रतीक बने और बाबा बालनाथ जी की समाधि को और ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने का काम किया. ये जो अखंड दूरी है एक महासिद्ध योगी ने इसको शुरू किया और .बस्ती नाथ जी आज उसको आगे बढ़ा रहे हैं.
संतो, महापुरुषों का, ऋषियों का, मुनियों का, इस देश में पदुर्भाव हुआ, बाबा बालनाथ जी भी ऐसे महायोगी थे. जिन्होंने इसी भूमि पर जन्म लेकर देश और विदेश में 84 धुनों की स्थापना कर अपने पूरे जीवन को धर्ममय बनाने का काम किया. 84 चक्र से मुक्ति प्राप्त कर जब उन्होंने समाधि ली. एक स्थान उनकी तप की ऊर्जा से इतना ऊर्जावान हुआ, जैसे अभी बाबा जी ने बताया, कोई बड़े भामा से बड़े धनपति के दान के बगैर समाज ही यहां पर चलने वाले सारे क्रियाकलापों को आगे बढ़ाता है.
यहां पर कई हताश मन को आशा मिली है. निराश लोगों को चेतना मिली है, बेसहारा को धर्म का सहारा मिला है और बेजुबान जीवों पर दया करके कई के जीवन आगे बढ़ाये. आज बाबा बालनाथ जी के जो उपदेश है सत्य और तपस्या में विश्वास रखो. वैराग्य और सेवा को जीवन का आधार बनाओ, प्राकृतिक जीवन जीओ और पशु पक्षियों की सेवा करो. ये चारों सिद्धांतों को बाबा बद्रीनाथ आगे बढ़ा रहे हैं.
देव अंकुर